सीएए : जनता का उत्पीड़न बंद हो
CAA-NRC-NPR के नाम पर देश की जनता को प्रताड़ित करने और सांप्रदायिकता फैलाने की सरकारी साजिश का विरोध करो।
साथियों ,
एक ऐसे दौर में जब भारत की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है, GDP घटकर 4.5 से भी नीचे जा रही है, बेरोजगारी की दर बीते 45 साल में सबसे खराब स्थिति में पहुंच रही है ,शिक्षा और इलाज लगातार महंगा होता जा रहा है, सरकारी स्कूलों , अस्पतालों की स्थिति जानबूझकर खस्ता की जा रही है ,भ्रष्टाचार, महंगाई चरम पर है और हिंसा तथा बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, तब इन सब बुनियादी मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने नागरिकता का मुद्दा उठाया है और पूरे देश को एक भयानक मानव संकट में डाल दिया है। जिसका विरोध पूरे देश में हो रहा है और सरकार शांतिपूर्वक हो रहे विरोध को साजिशन हिंसक बनाकर बदनाम करने तथा सांप्रदायिकता फैलाने में लगी हुई है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध क्यों करना चाहिए?
1- दुनिया के किसी भी देश के नागरिक को भारत की नागरिकता देने की व्यवस्था भारत के नागरिकता कानून में पहले से ही थी। लेकिन धार्मिक आधार पर भेदभाव करने की मंशा से इस कानून में बदलाव किया गया है जो कि भारतीय संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।
2- नागरिकता कानून में किए गए इस बदलाव की इस वजह से दुनियाभर में भारत की बदनामी हो रही है।
3- नए कानून में केवल पाकिस्तान ,अफगानिस्तान और बांग्लादेशी, हिंदुओं, बौद्धों की बात है जबकि श्रीलंका में प्रताड़ित तमिल हिंदुओं और चीन के तिब्बत से प्रताड़ित बौद्धों को शामिल नहीं किया गया है कानून से मुसलमानों को बाहर रखकर हिंदू, मुसलमान की डिबेट शुरू करके देश को बांटा गया है और दुनिया भर में रह रहे हिंदुओं सहित सभी भारतीयों को संकट पैदा कर दिया है।
4- CAA लागू करने के बाद सरकार पूरे देश में NRC लागू करेगी, यह बात गृहमंत्री अमित शाह ने कई बार संसद के अंदर और बाहर कहीं है ।यदि NRC लागू हो गई तो देश और भी बड़े संकट में फंस जाएगा।
भारतीय नागरिकता रजिस्टर NRC का विरोध क्यों करना चाहिए?
1- यह जनता का अपमान है - 'सबका साथ- सबका विकास' के वायदे के साथ जनता से वोटों की भीख मांग कर सरकारी गाड़ी- बंगलों का सुख भोगने वाले मंत्री इस NRC के जरिए उन्हें मतदाताओं से पूछेंगे कि बताओ तुम और तुम्हारे बाप -दादा इस देश के नागरिक हो या नहीं?
2- आसाम में किया गया NRC का प्रयोग भयानक है-
आसाम की जनता को करीब 10 साल तक अपनी नागरिकता के सबूत जुटाने के चलते परेशान होना पड़ा। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार के करीब 1600 करोड़ रुपए और जनता के करीब 8000 करोड रुपए खर्च हुए। इसके बावजूद करीब 19 लाख लोग खुद को भारतीय नागरिक साबित नहीं कर सके। इनमें से करीब 7 लाख लोग मुसलमान है जबकि करीब 12 लाख लोग हिंदू व अन्य धर्मों को मानने वाले हैं। NRC के शिकार हुए इन लाखों लोगों में गरीब मजदूर के अलावा पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का परिवार और कारगिल युद्ध में अपनी वीरता के लिए भारत सरकार से सम्मानित मोहम्मद सनाउल्लाह समेत अनेको वीर देशभक्त तथा शहीद हुए सैनिकों की विधवा पत्नियां व बच्चे शामिल है। नागरिकता साबित ना कर पाने वाले ऐसे अभागे लोगों को 'डिटेंशन कैंप' में रखने की व्यवस्था की गई है। जिनकी हालत नर्क से बदतर है।
3- नागरिकता साबित करना बहुत मुश्किल है -
गृह मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड/मतदाता पहचान पत्र/ पासपोर्ट जैसे कागजात नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि अपनी और अपने पुरखों की नागरिकता साबित करने के लिए जरूरी कागज देना जुटाना और सरकारी अधिकारियों से उन्हें प्रमाणित करवाना बहुत कठिन व परेशान कर देने वाली प्रक्रिया होगी। यह भी गौर करने वाली बात है जो देश 70 साल में सही तरीके से मतदाता सूची तक ना बना सका है उसके कर्मचारी कैसे बिना गलती किए NRC तैयार कर लेंगे? इन गलतियों के कारण NRC से बाहर होने वाले करोड़ों भारतीयों के भविष्य का क्या होगा?
4- देश में जनता पर बोझ- यदि पूरे देश में NRC लागू हो गई तो जरा सोचिए कि अपने काम- धंधे छोड़कर नागरिकता साबित करने की कसरत में कई कई दिन तक लंबी-लंबी लाइनों में खड़े रहने से जनता का कितना नुकसान होगा। खासतौर पर उन करोड़ों भूमिहीन, मजदूरों महिलाओं का क्या होगा जो एक दिन की भी मजदूरी को अगर छोड़ दें तो उन्हें रात को भूखा सोना पड़ता है। जाहिर है उस उठापटक के बीच भारत की पहले से ही चौपट हो चुकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगी और इस प्रक्रिया पर खर्च होने वाले हजारों- करोड़ों रुपयों की भरपाई जनता पर महंगाई और टैक्स का बोझ लादकर की जाएगी।
NPR का विरोध क्यों किया जाना चाहिए?
NPR छलावा है-
जो सरकार पहले पूरी तानाशाही के साथ NRC को देश की जनता पर थोपने का ऐलान कर रही थी वह जनता के विरोध प्रदर्शनों से डरी है और अब खुल्लम-खुल्ला NCR लाने की बजाय NPR की बात करने लगी है।
NRC की तरफ पहला कदम है NPR -
31 जुलाई 2019 को जारी गृह मंत्रालय की उद्घोषणा से स्पष्ट है कि NPR जनगणना कानून के तहत बनने वाला रजिस्टर नहीं है बल्कि नागरिकता कानून के तहत तैयार किया जा रहा है जो NRC का पहला कदम होगा।
सरकार की इस बात का भरोसा क्यों ना किया जाए कि CAA-NRC-NPR किसी से किसी को परेशानी नहीं होगी?
याद कीजिए कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए मोदी जी ने कहा कि कुछ ही दिन में भ्रष्टाचार, आतंकवाद , काला धन ,जाली नोट जैसी समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी ।लेकिन समय गवाह है कि नोटबंदी से इसमें कोई लक्ष्य हासिल हुआ, उलटा करोड़ों लोग बैंक और एटीएम की लाइन में परेशान हुए, 150 से ज्यादा लोग इन लाइनों में ही दम तोड़ गए, उद्योग धंधे तबाह हो गए, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए और भारत की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।इन सब के बाद मोदी जी ने अपने वायदे के अनुसार कभी किसी चौराहे पर ना तो जनता से मिलने आए ना ही अब मोदी जी या उनका कोई मंत्री नोटबंदी से इस देश को हुए फायदे बताने को तैयार है ।सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड को जरूरी बनाने के चलते भी सरकार जनता को लंबी लाइनों में खड़ा कर चुकी है। किंतु इसका भी जनता को कोई लाभआज तक नहीं मिला है। सरकार के ऐसे तानाशाही फैसले से सबसे ज्यादा गरीब मेहनतकश लोगों को ही नुकसान हुआ है। इसलिए इस सरकार की बात का भरोसा करना मूर्खता होगी।
साभार : राममोहन राय, नई दिल्ली ।
साथियों ,
एक ऐसे दौर में जब भारत की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है, GDP घटकर 4.5 से भी नीचे जा रही है, बेरोजगारी की दर बीते 45 साल में सबसे खराब स्थिति में पहुंच रही है ,शिक्षा और इलाज लगातार महंगा होता जा रहा है, सरकारी स्कूलों , अस्पतालों की स्थिति जानबूझकर खस्ता की जा रही है ,भ्रष्टाचार, महंगाई चरम पर है और हिंसा तथा बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, तब इन सब बुनियादी मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने नागरिकता का मुद्दा उठाया है और पूरे देश को एक भयानक मानव संकट में डाल दिया है। जिसका विरोध पूरे देश में हो रहा है और सरकार शांतिपूर्वक हो रहे विरोध को साजिशन हिंसक बनाकर बदनाम करने तथा सांप्रदायिकता फैलाने में लगी हुई है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध क्यों करना चाहिए?
1- दुनिया के किसी भी देश के नागरिक को भारत की नागरिकता देने की व्यवस्था भारत के नागरिकता कानून में पहले से ही थी। लेकिन धार्मिक आधार पर भेदभाव करने की मंशा से इस कानून में बदलाव किया गया है जो कि भारतीय संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।
2- नागरिकता कानून में किए गए इस बदलाव की इस वजह से दुनियाभर में भारत की बदनामी हो रही है।
3- नए कानून में केवल पाकिस्तान ,अफगानिस्तान और बांग्लादेशी, हिंदुओं, बौद्धों की बात है जबकि श्रीलंका में प्रताड़ित तमिल हिंदुओं और चीन के तिब्बत से प्रताड़ित बौद्धों को शामिल नहीं किया गया है कानून से मुसलमानों को बाहर रखकर हिंदू, मुसलमान की डिबेट शुरू करके देश को बांटा गया है और दुनिया भर में रह रहे हिंदुओं सहित सभी भारतीयों को संकट पैदा कर दिया है।
4- CAA लागू करने के बाद सरकार पूरे देश में NRC लागू करेगी, यह बात गृहमंत्री अमित शाह ने कई बार संसद के अंदर और बाहर कहीं है ।यदि NRC लागू हो गई तो देश और भी बड़े संकट में फंस जाएगा।
भारतीय नागरिकता रजिस्टर NRC का विरोध क्यों करना चाहिए?
1- यह जनता का अपमान है - 'सबका साथ- सबका विकास' के वायदे के साथ जनता से वोटों की भीख मांग कर सरकारी गाड़ी- बंगलों का सुख भोगने वाले मंत्री इस NRC के जरिए उन्हें मतदाताओं से पूछेंगे कि बताओ तुम और तुम्हारे बाप -दादा इस देश के नागरिक हो या नहीं?
2- आसाम में किया गया NRC का प्रयोग भयानक है-
आसाम की जनता को करीब 10 साल तक अपनी नागरिकता के सबूत जुटाने के चलते परेशान होना पड़ा। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार के करीब 1600 करोड़ रुपए और जनता के करीब 8000 करोड रुपए खर्च हुए। इसके बावजूद करीब 19 लाख लोग खुद को भारतीय नागरिक साबित नहीं कर सके। इनमें से करीब 7 लाख लोग मुसलमान है जबकि करीब 12 लाख लोग हिंदू व अन्य धर्मों को मानने वाले हैं। NRC के शिकार हुए इन लाखों लोगों में गरीब मजदूर के अलावा पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का परिवार और कारगिल युद्ध में अपनी वीरता के लिए भारत सरकार से सम्मानित मोहम्मद सनाउल्लाह समेत अनेको वीर देशभक्त तथा शहीद हुए सैनिकों की विधवा पत्नियां व बच्चे शामिल है। नागरिकता साबित ना कर पाने वाले ऐसे अभागे लोगों को 'डिटेंशन कैंप' में रखने की व्यवस्था की गई है। जिनकी हालत नर्क से बदतर है।
3- नागरिकता साबित करना बहुत मुश्किल है -
गृह मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड/मतदाता पहचान पत्र/ पासपोर्ट जैसे कागजात नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि अपनी और अपने पुरखों की नागरिकता साबित करने के लिए जरूरी कागज देना जुटाना और सरकारी अधिकारियों से उन्हें प्रमाणित करवाना बहुत कठिन व परेशान कर देने वाली प्रक्रिया होगी। यह भी गौर करने वाली बात है जो देश 70 साल में सही तरीके से मतदाता सूची तक ना बना सका है उसके कर्मचारी कैसे बिना गलती किए NRC तैयार कर लेंगे? इन गलतियों के कारण NRC से बाहर होने वाले करोड़ों भारतीयों के भविष्य का क्या होगा?
4- देश में जनता पर बोझ- यदि पूरे देश में NRC लागू हो गई तो जरा सोचिए कि अपने काम- धंधे छोड़कर नागरिकता साबित करने की कसरत में कई कई दिन तक लंबी-लंबी लाइनों में खड़े रहने से जनता का कितना नुकसान होगा। खासतौर पर उन करोड़ों भूमिहीन, मजदूरों महिलाओं का क्या होगा जो एक दिन की भी मजदूरी को अगर छोड़ दें तो उन्हें रात को भूखा सोना पड़ता है। जाहिर है उस उठापटक के बीच भारत की पहले से ही चौपट हो चुकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगी और इस प्रक्रिया पर खर्च होने वाले हजारों- करोड़ों रुपयों की भरपाई जनता पर महंगाई और टैक्स का बोझ लादकर की जाएगी।
NPR का विरोध क्यों किया जाना चाहिए?
NPR छलावा है-
जो सरकार पहले पूरी तानाशाही के साथ NRC को देश की जनता पर थोपने का ऐलान कर रही थी वह जनता के विरोध प्रदर्शनों से डरी है और अब खुल्लम-खुल्ला NCR लाने की बजाय NPR की बात करने लगी है।
NRC की तरफ पहला कदम है NPR -
31 जुलाई 2019 को जारी गृह मंत्रालय की उद्घोषणा से स्पष्ट है कि NPR जनगणना कानून के तहत बनने वाला रजिस्टर नहीं है बल्कि नागरिकता कानून के तहत तैयार किया जा रहा है जो NRC का पहला कदम होगा।
सरकार की इस बात का भरोसा क्यों ना किया जाए कि CAA-NRC-NPR किसी से किसी को परेशानी नहीं होगी?
याद कीजिए कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए मोदी जी ने कहा कि कुछ ही दिन में भ्रष्टाचार, आतंकवाद , काला धन ,जाली नोट जैसी समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी ।लेकिन समय गवाह है कि नोटबंदी से इसमें कोई लक्ष्य हासिल हुआ, उलटा करोड़ों लोग बैंक और एटीएम की लाइन में परेशान हुए, 150 से ज्यादा लोग इन लाइनों में ही दम तोड़ गए, उद्योग धंधे तबाह हो गए, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए और भारत की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।इन सब के बाद मोदी जी ने अपने वायदे के अनुसार कभी किसी चौराहे पर ना तो जनता से मिलने आए ना ही अब मोदी जी या उनका कोई मंत्री नोटबंदी से इस देश को हुए फायदे बताने को तैयार है ।सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड को जरूरी बनाने के चलते भी सरकार जनता को लंबी लाइनों में खड़ा कर चुकी है। किंतु इसका भी जनता को कोई लाभआज तक नहीं मिला है। सरकार के ऐसे तानाशाही फैसले से सबसे ज्यादा गरीब मेहनतकश लोगों को ही नुकसान हुआ है। इसलिए इस सरकार की बात का भरोसा करना मूर्खता होगी।
साभार : राममोहन राय, नई दिल्ली ।
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