अलविदा : शमशेर सिंह सुरजेवाला

एक मित्र, साथी और सहयोगी को  "विनम्र श्रद्धांजलि"
श्री शमशेर सिंह सुरजेवाला एक प्रतिभाशाली राजनीतिज्ञ ही नहीं अपितु एक समर्पित कार्यकर्ता एवं निरपेक्ष समाज सेवी थे । उनके निधन से हरियाणा ने जहां एक जननेता खो दिया है वहीं कांग्रेस पार्टी ने एक सुलझा हुआ विचारक तथा मार्गदर्शक भी खो दिया है ।
   श्री सुरजेवाला से हमारा परिचय वर्ष 1973-74 में हुआ था, जब पूरे देश में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध समूचे विपक्ष का आंदोलन श्री जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चल रहा था । उस समय वे तथा चोधरी बीरेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री,  कांग्रेस पार्टी में वामपंथी धड़े के नेता थे और हम प्रो0 रती राम चौधरी के साथ टीचर्स स्टूडेंट्स फ्रंट पर सीपीआई में सक्रिय थे । हमारा विचार था कि जेपी का आंदोलन दक्षिण पंथ से अनुप्रेरित है तथा इसकी किसी भी प्रकार से सफलता देश को फासिज्म की तरफ ले जाएगी । एक तरफ जेपी का संपूर्ण क्रांति आंदोलन था दूसरी तरफ कांग्रेस व सीपीआई का संयुक्त प्रतिरोध था । हम सभी मिल कर फासीवाद विरोधी कन्वेंशन करते तथा लोगों को इसके प्रति सचेत रहने के लिए जागरूकता अभियान चलाते।  वर्ष 1975 में आपात काल की घोषणा हुई जो लगातार तीन वर्षों तक चला । उसी दौरान प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने बीस सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की जो कांग्रेस के भीतर प्रगतिशील विचारों के लोगो के लिए उत्साहवर्धक था । बंधुआ मजदूर मुक्ति, न्यूनतम वेतन , छात्रों एवं युवाओं को शिक्षा एवं रोजगार के अवसर देने के कार्यक्रम ने जनता में भी एक रोशनी फूंकने का काम किया । उसी दौरान श्री संजय गांधी के पांच सूत्री कार्यक्रम ने पूरे अभियान को ही दिशाहीन कर दिया । आखिरकार सन 1977 में लोकसभा चुनाव हुए जिसमें जनता पार्टी की  विजय हुई । इसके कुछ दिन बाद ही मोरार जी देसाई सरकार ने पांच कांग्रेस शासित प्रदेशों की सरकारें भंग कर दी व इन प्रदेशों में हरियाणा भी था । पूरे देश - प्रदेश में जनता पार्टी की भयंकर आंधी थी । हरियाणा विधान सभा के 90 स्थानों में 87 पर जनता पार्टी ने कीर्तिमान स्थापित किया । कांग्रेस ने कुल तीन स्थान पर जीत हासिल की । इन तीन स्थानों में जीत हासिल करने वालो में श्री शमशेर सिंह सुरजेवाला भी थे ।
 सन 1980 के चुनावों में कांग्रेस में सत्ता वापिसी हुई और इन बार श्री शमशेर सिंह सुरजेवाला ,हरियाणा सरकार में बिजली मंत्री बने ।
 इस दौरान हमने भी एलएलबी पास कर ली थी । उसी दौरान आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन की ओर से सोवियत यूनियन जाने का प्रस्ताव आया पर हमारे पास तो पासपोर्ट ही नहीं था । हमने अपनी इस व्यथा को श्री शमशेर सिंह सुरजेवाला को बताया और उन्होंने इसका तुरन्त हल कर एक दिन में ही पासपोर्ट उपलब्ध करवाया जिस की वजह से हम विदेश जा पाए ।
  वर्ष 1988-89में जब श्री सुरजेवाला  हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि हम उनकी टीम के सहयोगी बने तथा प0 जवाहर लाल नेहरू जन शताब्दी का काम संभाले । तब उस समय उन्होंने मुझे तथा श्री आई डी स्वामी ,पूर्व केंद्रीय मंत्री, को प्रदेश कांग्रेस के विचार विभाग का कार्य  सौंपा जिसे हमने बखूबी किया ।
   श्री सुरजेवाला ने हरियाणा में कांग्रेस सोशलिस्ट फोरम की स्थापना की तथा बाद में वे किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ।
    श्री दीप चंद निर्मोही द्वारा श्रीमती इंदिरा गांधी पर लिखी पुस्तक "विश्व की सर्वाधिक संघर्षशील महिला" पर एक कार्यक्रम "कृति और कृति कार सम्मान समारोह" में वे हमारे निमंत्रण पर पानीपत आए । वे स्व. निर्मला देशपांडे जी के भी अत्यन्त विश्वाशपात्र थे तथा श्री वसंत साठे जी के निकटस्थ मित्र ।
    वे भारत की संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे तथा हरियाणा सरकार में भी अनेक महकमों के मंत्री ।
  एक लंबी बीमारी के बाद आज उनका निधन हो गया । उनके काम को उनका सुपुत्र श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला आगे बढ़ाए इसी कामना से हम श्री शमशेर सिंह सुरजेवाला को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है ।
साभार : राम मोहन राय, पानीपत (हरियाणा)

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