दिल्ली : गार्गी कॉलेज की घटना हमारी घृणित मानसिकता व राजनीति का आईना
वैदिक मंत्रों की द्रष्टा "महर्षि गार्गी" के नाम से, दिल्ली में बने "गार्गी महिला कॉलेज" में दिनांक 6 फरवरी 2020 को जिस अभद्रता व अश्लीलता का नंगा नाच देखने को मिला,वह न केवल अकल्पनीय है अपितु घोर निंदनीय है। ऐसी सूचना मिल रही है कि गुंडा तत्व सैकड़ों की संख्या में लड़कियों की कक्षाओं एवं उनकी पनाहगाह हॉस्टल में घुस गए तथा उन्होंने उनके प्राइवेट पार्ट्स को कलंकित किया, अश्लील हरकतें की तथा उनके सामने हस्तमैथुन कर अपनी वासना को भी दर्शाया। अशोभनीय बात यह है कि यह सभी गुंडे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के पवित्र नाम को लेकर जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। हमें अफसोस होता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी महाराज जिनका नाम लेने मात्र से अनेक दुखों का निवारण होता है, मनुष्य में पवित्रता एवं शुचिता का प्रवेश होता है तथा वातावरण में आध्यात्मिकता का वास होता है, उस नाम को लेकर कोई कैसे ऐसे कर सकता है?
पिछले कुछ वर्षों में यह देखने में आया है कि यह नारा एक राजनीतिक रूप लेता जा रहा है। संविधान के मंदिर लोकसभा में एक वर्तमान सांसद ने भी कुछ दिन पहले ही अपने विरोधियों को सलाह दी थी कि वह जय श्री राम का नारा लगाएं ,ताकि उनके पाप धुल सकें।उन्हीं सांसद ने महिलाओं के आंदोलन के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि यह आंदोलन समाप्त होना चाहिए वरना इस समुदाय के लोग दिल्ली के घरों में घुसकर महिलाओं के साथ रेप करेंगे। क्या गार्गी कॉलेज में हुआ घटनाक्रम ऐसी ही किसी दुष्प्रेरणा का ही तो परिणाम नहीं है? स्मरण रहे पिछले कुछ दिन पहले एक केंद्रीय मंत्री ने 'गोली मारो सालों को' का नारा लगाया था और अगले ही दिन एक गुंडा युवक ने अपनी पिस्तौल लहराते जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के बाहर आंदोलनरत छात्रों पर अपनी देसी पिस्तौल से कई फायर किये । उसके दो दिन बाद ही एक अन्य युवक ने शाहीन बाग में गोलियां चलाई।
भगवान श्री राम के राज्य की कल्पना करते हुए संत तुलसीदास जी ने लिखा, " *दैहिक दैविक भौतिक तापा रामराज काहू नहीं व्यापा*।"
एक अन्य संत स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने कहा," *राम नाम मुद मंगलकारी, विघ्न हरे सब बाधा सारी*। महात्मा गांधी ने तो राम नाम को अमोघ औषधि कहा जो सब बीमारियों का एक अचूक इलाज है और उन्होंने इसका परिचय भी दिया कि जब आतंकवादी नाथूराम गोडसे ने जब उन पर गोलियां चलाई तो उनके मुख से निकला अंतिम शब्द, ' *हे राम* 'था ।
यह समझ से बाहर है कि बदमाश लोगों के निशाने पर कमजोर वर्गों के लोग ही क्यों होते हैं? यदि वे अपनी बहादुरी दिखाना चाहते हैं तो उन्हें सार्थक पहल कर मां- बहनों की इज्जत के लिए अपना बल दिखाना चाहिए। परंतु होता इसके विपरीत है।
हम मनुस्मृति के संदेश" *यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता*" का पाठ तो करते हैं, परंतु हमारी करनी तो दुष्टों जैसी होती है। यह हमारी मानसिकता का भी परिचय है कि हमारे निशाने पर सदा महिलाएं, दलित अल्पसंख्यक एवं गरीब लोग ही होते हैं। भारत माता की जय एवं नवरात्रों पर कुमारी कन्याओं को पूजने वाला समाज कितना भयानक व घिनौना काम करता है। इससे रूह कांप उठती है।
आज दिल्ली चुनाव का नतीजा आया है। बेशक काम की जीत है और नफरत व घृणा की हार। परंतु हमें याद रखना चाहिए इन तमाम चुनाव में महिला सुरक्षा का मुद्दा गायब था।
गार्गी कॉलेज में हुआ वाकया हम सबके लिए आईना है कि हम' *बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ*' का कौन सा संदेश अपने बच्चों को देना चाहते हैं। यदि इस ओर गंभीरता से कदम उठाकर नेताओं की भाषा और गुंडों की करनी पर रोकथाम नहीं लगाई गई तो भविष्य में हम कैसा देश बनाएंगे, इस पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह है।
साभार : राममोहन राय, पानीपत ।
पिछले कुछ वर्षों में यह देखने में आया है कि यह नारा एक राजनीतिक रूप लेता जा रहा है। संविधान के मंदिर लोकसभा में एक वर्तमान सांसद ने भी कुछ दिन पहले ही अपने विरोधियों को सलाह दी थी कि वह जय श्री राम का नारा लगाएं ,ताकि उनके पाप धुल सकें।उन्हीं सांसद ने महिलाओं के आंदोलन के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि यह आंदोलन समाप्त होना चाहिए वरना इस समुदाय के लोग दिल्ली के घरों में घुसकर महिलाओं के साथ रेप करेंगे। क्या गार्गी कॉलेज में हुआ घटनाक्रम ऐसी ही किसी दुष्प्रेरणा का ही तो परिणाम नहीं है? स्मरण रहे पिछले कुछ दिन पहले एक केंद्रीय मंत्री ने 'गोली मारो सालों को' का नारा लगाया था और अगले ही दिन एक गुंडा युवक ने अपनी पिस्तौल लहराते जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के बाहर आंदोलनरत छात्रों पर अपनी देसी पिस्तौल से कई फायर किये । उसके दो दिन बाद ही एक अन्य युवक ने शाहीन बाग में गोलियां चलाई।
भगवान श्री राम के राज्य की कल्पना करते हुए संत तुलसीदास जी ने लिखा, " *दैहिक दैविक भौतिक तापा रामराज काहू नहीं व्यापा*।"
एक अन्य संत स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने कहा," *राम नाम मुद मंगलकारी, विघ्न हरे सब बाधा सारी*। महात्मा गांधी ने तो राम नाम को अमोघ औषधि कहा जो सब बीमारियों का एक अचूक इलाज है और उन्होंने इसका परिचय भी दिया कि जब आतंकवादी नाथूराम गोडसे ने जब उन पर गोलियां चलाई तो उनके मुख से निकला अंतिम शब्द, ' *हे राम* 'था ।
यह समझ से बाहर है कि बदमाश लोगों के निशाने पर कमजोर वर्गों के लोग ही क्यों होते हैं? यदि वे अपनी बहादुरी दिखाना चाहते हैं तो उन्हें सार्थक पहल कर मां- बहनों की इज्जत के लिए अपना बल दिखाना चाहिए। परंतु होता इसके विपरीत है।
हम मनुस्मृति के संदेश" *यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता*" का पाठ तो करते हैं, परंतु हमारी करनी तो दुष्टों जैसी होती है। यह हमारी मानसिकता का भी परिचय है कि हमारे निशाने पर सदा महिलाएं, दलित अल्पसंख्यक एवं गरीब लोग ही होते हैं। भारत माता की जय एवं नवरात्रों पर कुमारी कन्याओं को पूजने वाला समाज कितना भयानक व घिनौना काम करता है। इससे रूह कांप उठती है।
आज दिल्ली चुनाव का नतीजा आया है। बेशक काम की जीत है और नफरत व घृणा की हार। परंतु हमें याद रखना चाहिए इन तमाम चुनाव में महिला सुरक्षा का मुद्दा गायब था।
गार्गी कॉलेज में हुआ वाकया हम सबके लिए आईना है कि हम' *बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ*' का कौन सा संदेश अपने बच्चों को देना चाहते हैं। यदि इस ओर गंभीरता से कदम उठाकर नेताओं की भाषा और गुंडों की करनी पर रोकथाम नहीं लगाई गई तो भविष्य में हम कैसा देश बनाएंगे, इस पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह है।
साभार : राममोहन राय, पानीपत ।
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