UP : Priyanka Gandhi's political fight to Yogi government and Mayawati : लॉकडाउन के बाद योगी के साथ मायावती से भी होगी प्रियंका गांधी की सियासी भिड़ंत



वैसे तो उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी पिछले कुछ अर्से से लगातार योगी सरकार से मोर्चा ले रही हैं, मगर उनकी यह सियासत भाजपा की बजाय बसपा सुप्रीमो मायावती को कुछ ज्यादा ही बेचैन कर रही है। शायद तभी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के चौथे नंबर की पार्टी होने के बावजूद बसपा प्रमुख के प्रियंका के सियासी कदमों पर साधे जा रहे निशाने से कांग्रेस नेतृत्व विचलित नहीं है। इसके उलट पार्टी साफ संकेत दे रही है कि मायावती के हमलों से बेफिक्र प्रियंका गांधी आने वाले दिनों में योगी सरकार से सीधे सियासी मोर्चा लेने की अपनी सक्रियता में और इजाफा करेंगी।


  • कांग्रेस पर मायावती के हमले से भाजपा को बचाव कवच


प्रियंका और योगी सरकार के बीच प्रवासी मजदूरों को बस से उनके घर भेजने के विवाद के बाद मायावती ने उत्तरप्रदेश के कुछ मजदूरों के साथ राहुल गांधी के वीडियो को नाटक बताते हुए शनिवार को कांग्रेस पर जिस तरह हमला किया उसको लेकर मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक पार्टी के उच्च पदस्थ का मानना है कि अब संदेह की गुंजाइश नहीं कि प्रियंका के राजनीतिक कदम सूबे की सियासत में पहले से ज्यादा तेज होंगे। बेशक कोरोना महामारी काल की बंदिशों में जमीनी सक्रियता को गति देना कठिन है, लेकिन जनता से जुड़े अहम मुद्दों पर सियासी मोर्चा लेने की सक्रियता बढ़नी तय है।योगी सरकार और प्रियंका के बीच बीते दिनों जिन बड़े मुद्दों पर सियासी भिड़ंत हुई है, उसमें बसपा प्रमुख ने कांग्रेस पर हमला कर भाजपा को परोक्ष रुप से बचाव कवच देने की कोशिश की है।  कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने तो इसपर कहा भी था कि प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 बसों के भेजने के विवाद में मायावती के दो-तीन दिनों तक किए गए ट्वीट इसी ओर इशारा करते हैं।

  • प्रियंका की सक्रियता पर मायावती की बेचैनी क्यों ?

मजदूरों को बस से भेजने के मुद्दे पर केंद्र या योगी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की बजाय मानवता की मदद के कांग्रेस के प्रयासों पर ही बसपा सुप्रीमो मायावती का निशाना यह दर्शाता है कि प्रियंका गांधी की सूबे की सियासत में बढ़ रही पैठ से मायावती परेशान हो रही हैं।
कांग्रेस के  प्रवक्ता राजीव शुक्ल ने तो कहा भी है कि प्रियंका गांधी मजदूरों की दुर्दशा से व्यथित और भावुक हैं, इसीलिए मानवता के नाते हर संभव मदद करना चाहती हैं। प्रियंका की मजदूरों की मदद को राजनीतिक बताकर निशाना बनाना गलत है, क्योंकि न अभी देश में कहीं चुनाव हैं और न हीं उत्तरप्रदेश में।
प्रियंका गांधी योगी सरकार से जनहित के मुद्दों पर संघर्ष करती दिख रही हैं।
मायावती पर हालांकि प्रियंका गांधी कोई निजी हमला नहीं कर रहीं हैं, इसके बावजूद मायावती को लगता है कि इस समय लॉकडाउन के कारण मजबूर और लाचार हुआ मजदूर बसपा का जनाधार है और यदि उसका रुख कांग्रेस की ओर हो गया तो बसपा के लिए फिर कुछ नहीं बचेगा, इसी कारण मायावती मजदूरों की इस हालत के लिए सरकार को घेरने की बजाय प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पर टिवटर के जरिए हमलवार हैं। वैसे वह खुद और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता कहीं भी इन लाचार मजदूरों के ल‌िए किसी भी स्तर पर सक्रिय नहीं दिख रहे हैं।
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि प्रवासी मजदूरों को बस से घर भेजने के मुद्दे पर ही नहीं सोनभद्र के बड़े हत्याकांड के मामले में भी प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को सियासी रूप से बैकफुट पर धकेलने का काम किया है। मायावती का कांग्रेस को घेरने के प्रयास को लेकर सियासी गलियारों की चर्चाएं भी काफी गंभीर हैं। लोग ऐसे तमाम कारण गिनाते हैं, जिसके कारण मायावती भाजपा सरकार के पक्ष में खड़ी दिखती हैं।  और कई बार तो मायावती कांग्रेस के खिलाफ वह काम कर देती हैं, जो भाजपा या सरकार के प्रवक्ता भी नहीं कर पाते हैं।
इसी से लगताहै कि लॉकडाउन के बाद उत्तर प्रदेश का सियासी पारा गरमाएगा तो सरकार के साथ-साथ प्रियंका गांधी की सियासी भिड़ंत मायावती से भी होती नजर आएगी।


  • दिल्ली से मौर्य टाइम्स के लिए दिनेश गुप्ता की रिपोर्ट।

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