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Showing posts from July, 2020

Ayodhya : अयोध्या तो सजी ! लव के लाहौर का क्या ?

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अयोध्या तो सजी ! लव के लाहौर का क्या ? के. विक्रम राव लाहौर के नौलखा बाजार में श्रीशहीदी गुरुद्वारा स्थान को मस्जिद बनाया जा रहा है| कांग्रेसी मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह तथा अकालीदल विपक्ष के नेता सुखबीर सिंह बादल की अपील पर भाजपायी विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस्लामी पकिस्तान के उच्चायुक्त से नई दिल्ली में गत मंगलवार (28 जुलाई) को इस ज्यादती पर आक्रोश व्यक्त कर दिया है|  लाहौर के इसी इलाके में चौथे मुग़ल बादशाह नूरुद्दीन जहांगीर ने पांचवे सिख गुरु अर्जुन देव को मार डाला था| कारण था कि इस शहीद ने गुरुग्रंथ साहिब को छोड़कर कुरआन पढने से इनकार कर दिया था| जिस गुरुद्वारे पर चाँदसितारा का परचम लहराया जा रहा है, उसी स्थल पर 25-वर्षीय भाई तारु सिंह जी को लाहौर के मुग़ल सूबेदार जकारिया खान ने शहीद किया था| तारु सिंह ने केश कटाने ने इनकार कर दिया तो उनके सर के बाल खाल समेत उखाड़े गए थे| पहले तो नाई को बुलवाया, फिर लोहार को| उसने आरी का उपयोग किया था| फिर भी तारु सिंह ने लाइलाही इल अल्लाह नहीं उच्चारा| इस संधू –जाट सिख पर लघु फिल्म भी बनी| कवीन्द्र रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इनकी श्रद्धांजलि में गीत

DALAI LAMA : भारत ने दुनिया को ज्ञान विज्ञान और आध्यात्म का सन्देश

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भारत ने दुनिया को दिया ज्ञान विज्ञान और आध्यात्म का सन्देश : दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु परम पावन दलाई लामा जी द्वारा आज विभिन्न लॉ  विश्वविद्यालयों एवं कानूनी संस्थाओं के 17 प्रज्ञावान   जिज्ञासओं को आज के विश्व की समस्याओं के उत्तर विषय पर संबोधित करते हुए कहा  कि भारत एक ऐसा देश है कि जिसने पूरे विश्व को ज्ञान- विज्ञान और आध्यात्म का संदेश दिया। भगवान बुद्ध ने लगभग 2500 वर्ष पूर्व बोधित्व की प्राप्ति के पश्चात स्पष्ट रूप से कहा कि उनके मत को कोई भी आस्था के आधार पर स्वीकार न करें, अपितु तर्क  के आधार पर उसकी जांच और प्रयोग करें, तभी उसे माने। हमारे देश में दो तरह के वैश्विक विचार रहे हैं। एक नालंदा और दूसरा संस्कृत विचार। नालंदा पक्ष के अनेक आचार्यों ने बुद्ध धर्म की समालोचना एवं समीक्षा की और वहीं के आचार्य नागार्जुन ने भगवान बुद्ध के शिष्य होने के बावजूद भी उनके ही कई विचारों को तर्क के आधार पर नकार दिया। पाली एवं अन्य भाषा के ग्रंथों का संस्कृत में अनुवाद करके 300 से भी अधिक संकलन तैयार किए गए। जिससे यह साबित होता है कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। 

L.K.ADWANI : अब चले हज पर आडवाणी जी

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अब चले हज पर आडवाणीजी  के. विक्रम राव राम जन्मभूमि मुक्ति संग्राम के लिए गठित कारसेवकों की सेना के सिपाहसालारे-आजम श्री लालचन्द किशिनचन्द आडवाणी ने बाबरी ढांचे के ध्वंस करने पर चले मुकदमें में अपना बयान लखनऊ के विशेष सीबीआई अदालत में (24 जुलाई 2020) दर्ज करा दिया | आडवाणी ने जज को बताया कि कांग्रेस सरकार ने उन्हें फंसाया है| गवाह झूठे हैं| कैसेट से छेड़छाड़ हुई है| फोटोग्राफ फर्जी हैं| पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है| आडवाणी का दावा था कि वे एकदम निर्दोष हैं| (25 जुलाई 2020, इकनोमिक टाइम्स). अर्थात यह सारा रूपक, बल्कि प्रहसन, यही एहसास कराता है कि बधिक अब निरामिष हो गया है|   तो प्रश्न है कि फिर उन्तीस वर्षों से “मंदिर वहीँ बनायेंगे” का मन्त्र क्यों वे अलाप रहे थे ?  भाजपा चुनाव घोषणापत्र में क्या वोटरों को रामलला के नाम पर झांसा दिया जा रहा था?  अगर ढांचा नेस्तनाबूद नहीं करना था तो फिर 1991 में सोमनाथ से चलकर सरयू तट पर कारसेवकों का बलिदान क्यों कराया?  दिसंबर 6, 1992, को ढांचा दरकाते हुए भाजपायी सदस्यों से आडवाणी जी स्पष्ट कह देते कि उनका लक्ष्य अलग है| हालाँकि उकसाने और करनेवाले में

Fanishwar Nath Renu : साहित्यकार सरहद की कैद में कर्मों ?

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साहित्यकार सरहद की कैद में क्यों ? के. विक्रम राव  फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती शुरू हुए चार माह (4 मार्च से) बीत गए| एक तिहाई काल तो गुजर गया| कोरोना का बहाना मिल गया| फिर भी हिंदी भूभाग में, खासकर दोआबा में, कोई तेज साहित्यिक स्पंदन अथवा हलचल न दिखी, न सुनाई दी| मानों वे मुगलसराय (अब डीडीयू जंक्शन) के पूरब तक ही बांध दिए गए हों| वहां भी बस अररिया से पूर्णिया तक के साठ किलोमीटर के दायरे में ही| हालाँकि हिंदी-धरा तो काफी व्यापक है| अर्थात, अगर “भारत यायावर” जी, डॉ. रामबचन राय और पूर्व विधायक प्रेमकुमार मणि को छोड़ दें, तो अन्य नाम खोजने पड़ेंगे|  सवाल यही कि नदीतट तक ही हिंदी सीमित क्यों ? वह संगम तट  से सागर तट तक है| क्योंकि डॉ. धर्मवीर भारती बांद्रा तक पहुंचे थे| भला हुआ कि अपनी संतानों के कारण अमृतलाल नागर चौक तथा भगवती चरण वर्मा “चित्रलेखा” बिल्डिंग (महानगर) तक कैद नहीं रहे| उनका व्यक्तित्व देशव्यापी रहा| फणीश्वरनाथ रेणुजी को साहित्य से हटकर भी आम भारतीय जानता है| विशेषकर हम जेपी के लोग रेणु को तानाशाही से लड़े धनुर्धर के रूप में देख चुके हैं| जो पीढ़ी गुजर गई, उसने  जाना था बापू के “भा

Help to poor(Video ) : किसी दर्दमंद के काम आ

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P.V. Narasimha Rao : एक बार फिर नरसिम्हा राव

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एक बार फिर नरसिम्हा राव के. विक्रम राव राष्ट्रीय मीडिया में  (25 जुलाई 2020) सुर्खी है कि “अंततः मां-बेटे ने पी.वी. नरसिम्हा राव की आर्थिक उपलब्धियों की प्रशंसा की। ” इस प्रधानमंत्री की मौत के सोलह साल बाद ही सही, कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष (सोनिया गाँधी) और निवर्तमान अध्यक्ष (राहुल गाँधी) को अपनी पार्टी के पुराने मुखिया रहे इस प्रथम दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री की याद तो आयी। उनके गृहराज्य तेलंगाना में नरसिम्हा राव का वर्षपर्यंत जन्मशती समारोह (28 जून 2020) मनाया जा रहा है। मगर कल 29वीं वर्षगांठ थी, जब नरसिम्हा राव के वित्तमंत्री सरदार मनमोहन सिंह का क्रांतिकारी, सुधारवादी आर्थिक बजट (24 जुलाई 1991) पेश हुआ था। उस वक्त भारत विश्व में दिवालिया घोषित हो जाता। विदेशी मुद्रा भण्डार रसातल पर पहुँच गया था। उनके पूर्व वाले प्रधानमंत्री ठाकुर चंद्रशेखर सिंह के वित्तमंत्री बिहार वाले (बाद में झारखंडी) यशवंत सिन्हा ने भारतीय स्वर्ण भण्डार को लन्दन की गलियों में नीलाम कर दिया था, ताकि पेट्रोल खरीद सकें। सरकार के भीख का कटोरा यूरोप में घूम रहा था।  इसी परिवेश में नरसिम्हा राव के नाती एन.वी. सुभाष

Narayan on Earth उपन्यास : पृथ्वी पर नारायण-6

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Narayan on Earth उपन्यास : पृथ्वी पर नारायण -7

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