Poetry : बेटी पानी की पाती....

 बेटी पानी की पाती है ,अश्कों में घुल ढल जाती है 

 जल कमलों से पैरों वाली, पग- पग आशीष बिछाती है 


 ये शक्ति कल्याणी जैसे, पहने चूनर धानी जैसे 

हो   धरती की रानी जैसे ,ले चेहरा नूरानी  जैसे 

 आकाश से उतरी हुई परी ,गंगा लेकर पानी जैसे 

 ओरों की प्यास बुझा कर के, रेती पर दोड़ लगाती है। 


जल कमलों से पैरों वाली, पग - पग आशीष बिछाती है 

बेटी पानी की पाती  है, अश्कों में घुल ढल जाती है 


सांसो में लेकर लहरा सा ,पा तट बंधों पर पहरा सा 

है संगीतों में ढली हुई ,छल -छल बजती इकतारा सा 

चट्टानों से लेती राहें, ये संघर्षों  की थाती है 

है मर्यादा की देवी ये, मुश्किल से बाढ़  बहाती है ।


जल कमलों से पैरों वाली, पग पग आशीष बिछाती है 

बेटी पानी की पाती है ,अश्कों में घुल ढल जाती है 


जल देकर सूरज  भाई को ,हर्षाती  है अंगनाई को 

जब धरती से दुखड़ा बांटे ,वो भी सोचे रुसवाई को 

शिव के केशों से बंधी हुई ,विष्णु का मान बढाती है 

अपनी नियति से उलझ सुलझ, मिट- मिट जीवन दे जाती है ।


जल कमलों से पैरों वाली ,पग- पग आशीष बिछाती है 

 बेटी पानी की पाती है ,अश्कों में घुल ढल जाती है 


ये खेत कपास का प्यारा सा ,हर बूँद फूल  उजियारा  सा 

 जीवन जीती है कारा सा, है  जग उसका हत्यारा सा 

सांसों की डोर जलाती है ,दिल में अंगार छिपाती  है 

 सागर दीपक  के सीने में ,ये जलने वाली बाती  है 


बेटी पानी की पाती है ,अश्कों में घुल ढल जाती है 

 जल कमलों से पैरों वाली, पग- पग आशीष बिछाती है 


                                                                          डॉ पुष्पलता अधिवक्ता मुजफ्फरनगर

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Bihar Motihari eastern Champarn News

चुनावी बिसात पर मोदी सरकार से मात खा गया विपक्ष