My Friend Arif Qureshi ; आरिफ कुरैशी: दोस्त, जो सभी रिश्तों पर भारी
- आरिफ कुरैशी : दोस्त, जो सभी रिश्तों पर भारी
हमें जिंदगी में जन्म से परिजन और रिश्तेदार तमाम मिलते हैं। दोस्त हम खुद चुनते हैं। इस भागती दौड़ती जिंदगी में देश के विभिन्न हिस्सों में तमाम लोग मिले, जो व्यावसायिक युग में बहुत नजदीक भी आए, लेकिन समय के साथ जिंदगी के इस मेले में कहीं औझल हो गए।
सच्चा दोस्त दिल में बसता है, सभी रिश्तों पर भारी होता है। आंखों से दूर होते हुए भी हमेशा अपने साथ रहता है। कभी कितने समय बाद भी मिले, बिना बनावटी तरो-ताजगी और जोश दिखा, ऐसा था मेरा दोस्त आरिफ कुरैशी। जिसमें न कोई स्वार्थ था न कोई औपचारिकता। मैं 30 वर्ष पहले अपना गृहनगर सरधना छोड़कर देश के कई हिस्सों में रहा हूं अभी भी सैकड़ों किमी दूरी पर कानपुर में कार्यरत हूं। आज दोपहर बाद मुझे सरधना से एक मोबाइल कॉल आई, जिसपर भाई आरिफ कुरैशी के निधन की मिली सूचना से स्तब्ध रह गया और रो पड़ा। निशब्द होकर अपने मुंह से कुछ क्षणों के लिए बोल भी नहीं पाया।
पिछले कुछ माह में ही मैंने आज अपने परिवार में आरिफ भाई समेत तीन मौतें देखीं, जिनसे मैं अंदर तक हिल गया और मैंने अपने को एक झटके में ही काफी अकेला पाया। मैं अपने स्वभाव में आंतरिक रूप से बहुत ही मजबूत इरादों के साथ बड़े से बड़े दुख को सहज ही सहन करने की क्षमता से पूर्ण पाता हूं, लेकिन जब अपना कोई जाता है तो मैं भी कहीं न कहीं निराशा भाव में आ जाता हूं।
आज अपने बड़े भाई, सच्चे दोस्त आरिफ के जाने पर वही निराशा और अकेलापन महसूस कर रहा हूं।
@राजेन्द्र मौर्य
😭😭😭😭
ReplyDeleteVery sad ! May lord bless his soul !
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