Government of village : गांव की सरकार, हुक्के की गुड़गुड़ाहट
- गांव की सरकार, हुक्के की गुड़गुडाहट
पंचायत हुकुमत के लिए चुनाव की खेती में हुक्का गुड़गुड़ाना शुरू हो गया है। बाबा-ताऊ-चाचा के कोरोना के कहर से हाथ-पाँव भी फूल रहे हैं । मोबाइल पर मतदान की अपील ने कान पका दिए हैं।
उत्तर प्रदेश में पंचायती राज के लिए चुनाव की खेती शुरू होते ही सियासी बिसात बिछने लगी है। ग्रामीण आंचल में कोई भी अपने को कम आंकने को तैयार नहीं हैं। चौपालों पर हुक्का गुड़गुड़ाना शुरू हो गया है। जहां भाई- भतीजे चुनावी दंगल के लिए वोटो की गिनती में मशगूल है, वहीं बाबा-चाचा-ताऊ के कोरोना के कहर से हाथ-पांव फूलते नज़र आ रहे हैं। साथ ही मोबाइल मतदान शुरू होने से मतदाताओं के कान भी पकने लगे हैं।
खैर कुछ भी हो, खाना मिलेगा-पीना मिलेगा भैया का सेहरा का है, सब कुछ मिलेगा। ग़र भूखे हैं जानवर तो सबको चारा मिलेगा, मुरझाया हुआ चेहरा भी खिलेगा। सबकी हर रूप से बल्ले-बल्ले। बहरहाल सबकी चर्चा तो निश्चित है ही। अब देखना है कि कौन अखाड़े में पटखनी देता है या यूँ ही लंगोट कसे रह जाता हैं।
हूं... कबीरा खड़ा बाजार में मांगें सबकी खैर,ना काहु से दोस्ती ना काहू से बैर!
- साभार: अनिल मौर्य, मेरठ.
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