mirror of society : समाज का आईना है "फीका लड्डू"

  • समाज का आईना है "फीका लड्डू"




  •  वरिष्ठ साहित्यकारों ने की डॉ पुष्पलता की पुस्तक  फीका लड्डू की समीक्षा"


 समीक्षक एवं संपादक साहित्यकार डॉ अलका वशिष्ठ ने कहा ,  तीन बार पढ़ चुकी हूँ कहानी,

बहुत सारे भाव विचार और प्रश्न उमड़ रहे हैं।

यह दाम्पत्य जीवन की कड़वी सच्चाई है।

आकर्षण दैहिक हो या मानसिक यदि एकतरफा हो तो बिखराव बना रहता है। ना जाने कितने दम्पति इस त्रासद अवस्था को झेल रहे हैं।

 समाज का आईना है ये कहानी।

 कहावत भी है शादी ऐसा लड्डू है,जो खाए वो पछताए,ना खाए वो भी । इस कहानी ने दिमाग में हलचल मचा दी है।

 हिंदुस्तान  के सम्पादक सूर्यकांत द्विवेदी  ने कहा बहुत ही सुंदर कहानी है। अद्यतन पढ़ता चला गया। बाकमाल। बड़ा पेड़ पौधे को नहीं पनपने देता। जीवन के अंतर्द्वंद्व को बहुत सुंदरता से आपने लिखा है। 

यशपाल सिंह  संपादक   "जनवाणी"ने कहा यथार्थ उतारा है कागजों पर ।

 वरिष्ठ साहित्यकार एवं समीक्षक डॉ राम गोपाल भारतीय ने कहा ,कथाकार डॉ पुष्पलता की कहानी फीका लड्डू गृहस्थ जीवन में पल- पल बदलते  काल्पनिक और यथार्थपूर्ण मनोभावों का सजीव दस्तावेज है लेखिका को बधाई।

 गिरीश पंकज   वरिष्ठ व्यंग्यकार ने कहा कहानी अच्छी है।

मीना सिंह एडवोकेट एवं समीक्षक  ने कहा स्त्री पुरूष के  मनौविज्ञान  की परतें खोलती है कहानी संदेश देती है कि पूर्वाग्रहों से जीवन नष्ट हो जाता है ।सरल सरस प्रवाहमयी शैली में रची गई कथा वास्तव में लघु उपन्यास है ।इसे कहानी कहना इस कथा के  साथ  अन्याय होगा ।व्यक्ति पूरी कथा एक सांस में लगातार पढ़ जाता है ये इस कथा की सफलता है।पुराने ढर्रे पर चल रही कहानियों से अलग है।

वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं समीक्षक  संजय जोशी ने कहा कहानी बहुत मार्मिक एवम् भाव युक्त और  समाज /परिवार के कटु सत्य को  को बहुत ही सरल शब्दों में व्यक्त किए ।कहानी की रोचकता अंतिम शब्द तक है ।

एक बात और शामिल है  कहानी का मोरल क्या है। हम  तो समझ जाते हैं  जन सामान्य को समझना  जरूरी है

 साहित्यकार एवं समीक्षक  प्रेमलता ने कहा बेहद खूबसूरत सशक्त यथार्थ वादी कहानी

फीका लड्डू ,

पारिवारिक संबंधों का यथार्थ, अंतर्द्वंद का ताना बाना  है,

जिसमें आपने हर किरदार को संजीदगी से उकेरा है जो कहानी को जीवन्त बनाते हैं। कहानी  रूचि को ध्यान में रखकर रचि गई है  रूचि पूर्ण  है और पाठकों को किरदारों से जोड़े रखती है।

  • लेखिका को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ

 ममता कालिया वरिष्ठ समीक्षक-साहित्यकार   एवं  कहानीकार ने कहा रचना का शीर्षक फीका लड्डू बहुत मजेदार है।शादी का लड्डू फौरन समझ आ जाता है   ये कहानी लिखी है पूरा उपन्यास लिख डाला है ।

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