नेपाल पर प्रणबदा के. विक्रम राव कांग्रेसी, वरिष्ठ राजनेता (पचास सालों से), भारत रत्न, नेहरु—अर्चक, तेरहवें राष्ट्रपति, गोलोकवासी पण्डित प्रणब कामदाकिंंकर मुखोपाध्याय (मुखर्जी) वीरभूमिवासी ने रायसीना पर्वतमाला तले विकराल धमाका कर डाला। अपनी आत्मकथा ''प्रेसिडेंशियल ईयर्स'' (ग्यारहवें अनुच्छेद) में डायनामाइटनुमा विस्फोट किया। मां, बेटे और सरदारजी (मनमोहन सिंह) की कबीना में मंत्री रहे प्रणबदा ने लिखा कि नेपाल के महाराजाधिराज त्रिभुवन वीर विक्रम बहादुर शाह ने भारतीय गणराज्य में अपनी हिमालयी रियासत नेपाल के विलय का प्रस्ताव रखा था। जवाहरलाल नेहरु ने साफ नकार दिया। उन्हीं वर्षों में चीन के नये कम्युनिस्ट सम्राट माओ जेडोंग ने लाल सेना के हथियारबंद सिपाहियों द्वारा बौद्ध तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। फिर नेहरु को प्रधानमंत्री झाउ एनलाई ने संदेशा भेजा कि ''तिब्बत को स्वतंत्र'' करा लिया गया है। नेहरु का जवाबी प्रश्न था, ''किससे?'' प्रणबदा ने लिखा कि यदि बजाये पिता के पुत्री प्रधानमंत्री होती तो नेपाल अब तक भारतीय गणराज्य का प्रांत हो जाता। बिहार...
Comments
Post a Comment