क्या हो गया श्री श्री रविशंकर को
आजकल देखा जा रहा है कि स्वयंभू आध्यात्मिक गुरुओं को लगता है कि तपस्या और लोक शांति के बजाय अशांति फैलाने के‌ लिए राजनीतिक मुद्दे उछालने का शौक  हो गया है। एक पाखंडी गुरु रामदेव जहां योग शिक्षक की भूमिका छोड़कर नेता बनने की जुगत में लगे हैं और  कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं अपने उत्पादों की ब्रा‌डिंग के लिए मॉ‌डलिंग भी कर रहे हैं। रामदेव को तो कोई अधिक गंभीरता से पहले ही नहीं लेता है, लेकिन जिस तरह से श्री श्री रविशंकर के भी विभिन्न स्थानों पर विवादित कार्यक्रम और बयान आ रहे हैं, उससे लगता है कि वह भी अब रामदेव के रास्ते पर चलने लगे हैं। उनका कहना कि सरकारी स्कूलों में नक्सली पैदा होते हैं, यह घोर निंदनीय और आपत्तिजनक है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ही इस देश में सर्वाधिक चिकित्सक, नेता, वैज्ञानिक, प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारी है, और ये न भी हों तो  रविशंकर जी की इस बात को कतई सही नहीं माना जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नक्सली बन रहे हैं।  

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