उम्मीदों पर खरे उतरेंगे मोदी

मैंने संसद के केंद्रीय कक्ष में एनडीए के चुने गए नेता और अगले दिनों में प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी का भाषण सुना। पूरे चुनाव में जहां मुझे उनका भाषण पूरी तरह राजनीतिक लगा, वहीं उनका भाषण गैरराजनीतिक दिल से दिया गया मार्मिक लगा। उनका इस दौरान भावुक होकर अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा का इजहार भी एक संस्कारित व्यक्तित्व का परिचय कराता दिखा।  जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी सरकार का दर्शन पेश करते हुए कहा कि सबको साथ लेकर सबका विकास करने के मकसद के साथ उनकी सरकार गरीबों के लिए जिएगी।गरीबों की सुनेगी और गरीबों को समर्पित होगी, तो उससे अब तक की उनकी जगजाहिर छवि के विपरित एक सधा हुआ नेता सामने दिखाई दिया। मोदी ने जब कहा कि आखिरकार सरकार किस के लिए है। सरकार वही है, जो गरीबों के लिए सोचे। जो गरीबों की सुने। जो गरीबों के लिए जिए और  उन्होंने जोर देकर कहा कि मेरी सरकार देश के गरीबों को समर्पित है। देश के कोटि-कोटि युवकों को समर्पित है। और मान-सम्मान के लिए तरसती हमारी मां-बहनों के लिए समर्पित है। गांव हो। दलित हो। शोषित हो। वंचित हो। ये सरकार उनके लिए समर्पित है। मोदी की ये बातें सुनकर मेरा मन भी द्रवित हो गया।
मोदी ने जिस तरह सवा सौ करोड़ देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरने का संकल्प व्यक्त किया, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि वह देश की उम्मीदों पर खरा उतरने में अपनी ओर से कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। 

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