कश्मीर : अच्छे की कामना

मेरा स्पष्ट मानना है कि कश्मीर में शांति स्थापना के लिए भारी संख्या में सैन्य टुकड़ियां तैनात करने से लेकर सभी पार्टियों की तिकड़मी सरकारें बनाने के अनेक प्रयोग हो चुके है और केंद्रीय सरकार का यह तीसरा प्रयोग है जिसकी सफलता -असफलता को एकदम नहीं आंका जा सकता, परन्तु अच्छा होने की कामना करनी चाहिए । पर जिस तरह से जन भावना के नाम पर अनर्गल व अश्लील फब्तियाँ परोसी जा रही हैं व न केवल निंदनीय है, अपितु आपत्तिजनक भी है। सत्ताधारी दल के अनेक पक्षकारों ने तो जैसे प्रोपर्टी डीलर की दुकान ही खोल ली हैं और वे वहाँ प्लॉट बेचने लगे हैं । कुछ लोग वहां रोजगार के अवसर तलाशने लगे हैं और कई अपने लिए दुल्हनें । भाई, अपने-अपने प्रदेशों में रोजगार की मांग करो और जो अपनी सामंती मानसिकता के कारण भ्रूण हत्या करके लिंगानुपात कम किया है उसे सुधारो तो कहीं की भी लड़कियां लाने की तड़प खुद ही खत्म हो जाएगी ।
एक तथाकथित संस्कारवान मित्र ने एक हरियाणवी गीत की रिकॉर्डिंग भेजी जिसके बोल हैं कि अब बिहार से नहीं कश्मीर से "बहुडिया" दुल्हन लाएंगे ।
  इस पूरे संवाद में जिनके प्लॉट व लड़कियां लाने की उतावली दिखाई जा रही है ,जम्मू-कश्मीर के  वे लोग नदारद है क्योंकि वहां से संवाद का हर माध्यम गायब है ।
(वाशिंगटन, अमेरिका : राम मोहन राय की कलम से साभार)

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