हरिजन सेवक संघ परिसर में मोरारी बापू की कथा
हरि अनंत हरि कथा अनन्ता
महात्मा गांधी तथा कस्तूरबा के 150वें जन्म जयंती वर्ष में बापू द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के दिल्ली परिसर में विश्वविख्यात राम चरित मानस कथावाचक मोरारी बापू द्वारा रामकथा के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति डॉ राम नाथ कोविंद का आगमन बहुत ही सुखद रहा। इस अवसर ने संघ परिसर को जहां बननेे संवरने का अवसर दिया। राज्यमंत्री डॉ. प्रहलाद सिंह पटेल ने आश्वस्त किया कि परिसर को उसके नाम के अनुरूप बनाने के लिए हर संभव सहायता की जाएगी। राष्ट्रपति जी ने बा बापू के जीवन के अनेक पहलुओं को रखा। उनका कहना कि राम नाम मात्र जपना ही नहीं अपितु उनके जीवन का आचरण करना राम की उपासना है। उनका यह वाक्य अत्यंत प्रिय रहा कि आने वाले समय में राम कथा की तरह गांधी कथा का भी पारायण पाठ होगा। इनमें शब्दार्थ निहित है कि बापू की सत्य, अहिंसा व प्रेम का अनुसरण ।
हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष शंकर कुमार सान्याल के स्वागत उद्बोधन ने स्व0 निर्मला दीदी की बरबस याद करवा दी। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण निडरता से कहा कि शांति का संदेश ही भारत का वाक्य है, जिसे महात्मा गांधी सहित अनन्त काल से हमारे ऋषियों व सन्तों ने कहा है। उन्होंने मंच से ही स्व0 निर्मला दीदी के जनप्रिय नारों "गोली नहीं बोली चाहिए, जंग नहीं अमन चाहिए, युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए" का उदघोष किया। जो निश्चित तौर पर न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत- बापू वाणी बनेगा ।
श्री मोरारी बापू ने बेशक सैंकड़ों राम कथाओं का प्रवचन किया होगा, परन्तु बा-बापू 150 वर्ष में महात्मा गांधी जी के प्रिय स्थान पर उनकी कथा उनके लिए कीर्तिमान होगी ।
हमें उम्मीद करनी चाहिए कि "बीती ताही बिसार के आगे की सुध ले" की भावना से हरिजन सेवक संघ का यह विशाल परिसर बा बापू150 वर्ष में गांधी सिद्धान्तों के प्रचार-प्रसार, शिक्षण-प्रशिक्षण का व्यापक केंद्र बनेगा जहाँ सर्वधर्म समभाव, सत्याग्रह व शांति के लिए सैनिक तैयार होंगे जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में विचार प्रवाह को संचारित करेंगे ।
नई दिल्ली :राममोहन राय की कलम से साभार
महात्मा गांधी तथा कस्तूरबा के 150वें जन्म जयंती वर्ष में बापू द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के दिल्ली परिसर में विश्वविख्यात राम चरित मानस कथावाचक मोरारी बापू द्वारा रामकथा के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति डॉ राम नाथ कोविंद का आगमन बहुत ही सुखद रहा। इस अवसर ने संघ परिसर को जहां बननेे संवरने का अवसर दिया। राज्यमंत्री डॉ. प्रहलाद सिंह पटेल ने आश्वस्त किया कि परिसर को उसके नाम के अनुरूप बनाने के लिए हर संभव सहायता की जाएगी। राष्ट्रपति जी ने बा बापू के जीवन के अनेक पहलुओं को रखा। उनका कहना कि राम नाम मात्र जपना ही नहीं अपितु उनके जीवन का आचरण करना राम की उपासना है। उनका यह वाक्य अत्यंत प्रिय रहा कि आने वाले समय में राम कथा की तरह गांधी कथा का भी पारायण पाठ होगा। इनमें शब्दार्थ निहित है कि बापू की सत्य, अहिंसा व प्रेम का अनुसरण ।
हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष शंकर कुमार सान्याल के स्वागत उद्बोधन ने स्व0 निर्मला दीदी की बरबस याद करवा दी। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण निडरता से कहा कि शांति का संदेश ही भारत का वाक्य है, जिसे महात्मा गांधी सहित अनन्त काल से हमारे ऋषियों व सन्तों ने कहा है। उन्होंने मंच से ही स्व0 निर्मला दीदी के जनप्रिय नारों "गोली नहीं बोली चाहिए, जंग नहीं अमन चाहिए, युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए" का उदघोष किया। जो निश्चित तौर पर न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत- बापू वाणी बनेगा ।
श्री मोरारी बापू ने बेशक सैंकड़ों राम कथाओं का प्रवचन किया होगा, परन्तु बा-बापू 150 वर्ष में महात्मा गांधी जी के प्रिय स्थान पर उनकी कथा उनके लिए कीर्तिमान होगी ।
हमें उम्मीद करनी चाहिए कि "बीती ताही बिसार के आगे की सुध ले" की भावना से हरिजन सेवक संघ का यह विशाल परिसर बा बापू150 वर्ष में गांधी सिद्धान्तों के प्रचार-प्रसार, शिक्षण-प्रशिक्षण का व्यापक केंद्र बनेगा जहाँ सर्वधर्म समभाव, सत्याग्रह व शांति के लिए सैनिक तैयार होंगे जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में विचार प्रवाह को संचारित करेंगे ।
नई दिल्ली :राममोहन राय की कलम से साभार
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