खुले एजेंडे पर छिपी शर्तों ने आसान की भाजपा-जेजेपी गठबंधन की राह


सियासत में वक्त के साथ बदलते हैं विचार और सिद्धांत

मुबाहिसा : राजेन्द्र मौर्य
देश के दो राज्यों हरियाणा और महाराष्ट्र में आम चुनाव हुए, दोनों ही प्रदेशों में जुगाड़ की नीति पर एक बार फिर भाजपा की ही सरकार बनने जा रही हैं। महाराष्ट्र में तो सिद्धांत रूप में भाजपा और शिवसेना लंबे अर्से से मिलकर साथ काम कर रही हैंं और सरकार भी चला रही हैं, ऐसे में वहां केवल अगली सरकार के लिए दोनों के बीच तय हुई शर्तें ही महत्वपूर्ण हैं। सबसे अधिक आयाराम-गयाराम राजनीति के लिए देशभर में अपनी अलग ही छवि रखने वाले हरियाणा में सत्ता के लिए एक बार फिर सिद्धांतों को गौण होते देखा और नित-नित विचारों में बदलाव होता नजर आया। चुनाव परिणाम ने जैसे ही जेजेपी को किंगमेकर बनाया तो तो मिनट-दर मिनट विचारों में न केवल दुष्यंत चौटाला बल्कि उनके कार्यकर्ताओं में जोश के साथ सत्ता की ख्वाहिश पूरी करने के ल‌िए सबकुछ कर गुजरने का जज्बा दिखा। चुनाव परिणाम आते समय जो नेता और कार्यकर्ता कह रहे थे कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर ने जाट आंदोलन के दौरान उनकी आंखें फुड़वाने और हाथ कटवाने की बात कही, अब जनता ने उनको सबक सिखाया है। यह जनादेश पूरी तरह भाजपा सरकार के खिलाफ है और किसी भी दशा में भाजपा को समर्थन नहीं दिया जाएगा। उसके कुछ देर बाद कहा गया कि हम किसी से बात नहीं करने जाएंगे बल्कि जो भी हमारे पास आएगा, उससे ही बात की जाएगी। लेकिन जैसे ही जेजेपी के दस विधायक जीत गए और भाजपा एवं कांग्रेस की गाड़ी अटक गई तो फिर पूरी तरह सिद्धांतों और विचारों को ताक पर रख दिया गया। सियासत में सत्ता की खातिर सबकुछ त्यागकर सौदेबाजी शुरू हो गई। इसके लिए जहां कांग्रेस ने दुष्यंत को कर्नाटक में कुमार स्वामी की तर्ज पर मुख्यमंत्री पद का ऑफर दिया, वहीं भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का अपने यहां बुलावा दुष्यंत को भविष्य की सुरक्षित राजनीति के लिए ज्यादा मुफीद दिखाई दिया। दुष्यंत ने अमित शाह का आमंत्रण स्वीकार किया और अनुराग ठाकुर के साथ गाड़ी में बैठकर अमित शाह के आवास पर जा पहुंचे। वहां हुई वार्ता को अधिकृत तौर पर तो अमित शाह और दुष्यंत चौटाला के अलावा शायद ही कोई जानते हों, लेकिन दुष्यंत चौटाला के नजदीकियों की बातों पर यदि विश्वास किया जाए तो सियायती दांव पेच मेंं खुले ऐलान में जहां दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला हुआ है वहीं छिपे एजेंडे में दुष्यंत चौटाला के लिए अहम फैसला अजय चौटाला की आजादी है। जेजेपी खेमे में यही माना जा रहा है कि अब अजय चौटाला जल्द ही खुली सांंस लेते नजर आएंगे और हरियाणा की सियासत मेंं चौधरी देवीलाल की विरासत से अभय चौटाला को पूरी तरह से बेदखल करने का काम किया जाएगा।

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