जम्मू कश्मीर : इतिहास भूगोल बदलने के लिए प्रशंसा होगी तो कूटनीतिक चूक पर निंदा भी होगी मोदी सरकार की
मोदी सरकार की जम्मू-कश्मीर के इतिहास और भूगोल बदलने के लिए जहां हमेशा प्रशंसा की जाएगी, वहीं कूटनीतिक चूक के लिए भी हमेशा निंदा की जाएगी। एक ओर हमारे देश के सांसदों को घुसने से रोका और गिरफ्तार किया। जम्मू कश्मीर के तमाम विपक्षी नेताओं को नजरबंद किया गया। जबकि यूरोपीय संघ के सांसदों को खुली ताक-झांक और बेरोकटोक टिप्पणी करने का मौका दिया गया। ये विदेशी सांसद यहां तक कह गए कि "जम्मू-कश्मीर को दूसरा अफगानिस्तान नहीं बनने देंगे"। क्या इस युरोपीय संघ के भारत के साथ पुराने व्यवहार और इतिहास को कभी भुलाया जा सकता है ? क्या हमारे जम्मू-कश्मीर में अफगानिस्तान जैसे हालात कभी रहे हैं ?, जो इतनी बड़ी टिप्पणी "दूसरा अफगानिस्तान नहीं बनने देंगे" यूरोपीय सांसदों ने की ?, जम्मू कश्मीर में निर्वाचित सरकार काम करती रही है। रही बात किसी राज्य को विशेष दर्जा देने या समाप्त करने का फैसले की, यह हमारा आंतरिक मामला है इस पर किसी भी देश को दखल देना तो दूर बात करने की भी इजाजत कैसे दी जा सकती है ? मोदी सरकार की चूक से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया। यूरोपीय संघ के सांसदों का यह कहना कि "युरोप लौटकर यहां के हालात बताएंगे" से भी जम्मू-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनने की पुष्टि हो रही है, जिसके लिए मोदी सरकार जिम्मेदार मानी जाएगी है।
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