कर्नाटक : भाजपा के दलित मंत्री की बेटी की शाही शादी में करोड़ों का खर्चा, लाखों को निमंत्रण


र्नाटक में आज होने जा रही चर्चित दलित मंत्री बेल्लारी श्रीरामुलु की बेटी रक्षिता की शाही शादी के लिए जितनी बड़ी संख्या में  निमंत्रण पत्र बांटे गए  हैं, उससे तो ये तय है कि यह शादी बड़ी और चकांचौंध वाली होने जा रही है।
कर्नाटक के राजनेता अपने सियासी रसूख और पैसे की ताक़त दिखाने के लिए वैसे भी जाने जाते रहे हैं। इस कड़ी में ताज़ा नाम है कर्नाटक के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बेल्लारी श्रीरामुलु का। बेल्लारी श्रीरामुलु की बेटी की शादी पांच मार्च (आज) को है और इस शादी के लिए करीब एक लाख निमंत्रण पत्र बांटे गए हैं। इतना ही नहीं, इन निमंत्रण पत्रों पर केसर, इलायची, सिंदूर, हल्दी और अक्षत लगा हुआ है। मंत्री की ओर से निमंत्रण पत्र पर हेल्थ थीम अच्छे से उकेरी हुई है। बेल्लारी श्रीरामुलु की बेटी रक्षिता और हैदराबाद के उद्योगपति रवि कुमार की शादी से पहले नौ दिनों तक रस्मों रिवाज की शुरुआत 27 फरवरी को उनके गृह ज़िले बेल्लारी में शुरू हुई।
बेंगलुरु के एक पंचसितारा होटल में मेहंदी की रस्म हुई, जहां रक्षिता के दोस्त शरीक हुए और फिर बुधवार को शादी से ठीक पहले होने वाली रस्म ने मीडिया में सुर्खियां बटोरी हैं, क्योंकि इसकी तुलना पूर्व बीजेपी मंत्री और अवैध खनन के आरोपों का सामना करने वाले जी जनार्दन रेड्डी की बेटी ब्राह्मणी की शादी से की जा रही है। अनाधिकारिक आंकड़ें बताते हैं कि रेड्डी परिवार की उस शादी में करीब 500 करोड़ रुपये ख़र्च किए गए थे। हालांकि पत्रकारों को ऑफ़ दी रिकॉर्ड बातचीत में ये बताया गया था कि उस शादी में कुल ख़र्च 40-45 करोड़ रुपये को भी पार नहीं कर पाया था। जी जनार्दन रेड्डी ने हमेशा ही करुणाकर रेड्डी और सोमशेखर रेड्डी के बाद बल्लारी श्रीरामुलु को तीसरा भाई माना है।
मंत्री बेल्लारी श्रीरामुलु अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन कर्नाटक की राजनीति में बेल्लारी श्रीरामुलु को हमेशा ही रेड्डी ब्रदर्स कहकर बुलाया जाता रहा है। 40 एकड़ में फैले विवाह स्थल बेंगलुरु पैलेस ग्राउंड्स के 27 एकड़ हिस्से को शादी, मनोरंजन और अन्य कार्यक्रमों के लिए अलग से चिह्नित किया गया है।  15 एकड़ ज़मीन पार्किंग के लिए मार्क की गई है। हंपी के वीरूपक्ष मंदिर और अन्य मंदिरों की तर्ज पर ख़ास तौर पर डिजाइन किए हुए शादी मंडप सेट्स के लिए तकरीबन 300 कलाकार लगाए गए।
एक जानकारी के मुताबिक़ वेडिंग प्लानर ध्रुव के नेतृत्व में कलाकारों द्वारा पिछले तीन महीने प्रैक्टिस की गई है। ये सेट खुद चार एकड़ में फैला हुआ है. मांड्या के मेलुकोटे मंदिर में कल्याणी की तर्ज पर मुहूर्त सेट तैयार किया गया है। बेंगलुरु में जैसे ही शादी ख़त्म होगी, नवविवाहित दंपति रिसेप्शन के लिए बेल्लारी जाएंगे जहां पूरे ज़िले से लोग इसमें शरीक होने के लिए आएंगे। बेल्लारी का सेट भी बॉलीवुड के सेट डिजाइनरों और उनकी टीम ने तैयार किया है।
दीपिका पादुकोण के लिए काम कर चुकीं मेकअप आर्टिस्ट और मुकेश अंबानी की बेटी ईशा की शादी की वीडियो शूट करने वाली टीम की सेवाएं बेल्लारी श्रीरामुलु की बेटी रक्षिता की शादी के लिए ली जा रही हैं।
करीब 10 हज़ार लोगों के बैठने लायक डाइनिंग हॉल तैयार किया गया है. उत्तरी कर्नाटक के पारंपरिक भोजन को तैयार करने के लिए करीब 1000 रसोइयों को बुलाया गया है। बाहर से आने वाले मेहमानों के लिए शहर के कई पंच सितारा होटलों में रहने का इंतज़ाम किया गया है।
हालांकि बेल्लारी श्रीरामुलु का कहना है कि  "मेरी बेटी की शादी सादगी से हो रही है. बहुत ज़्यादा ख़र्च करना कोई व्यावहारिक बात नहीं है. हम इसे अपने परिवार की परंपरा और संस्कृति के मुताबिक़ ही कर रहे हैं, मीडिया में छपने वाले ऐसी ख़बरें ग़लत हैं। सच कोई छिपा नहीं सकता है,  ये लोगों के सामने है." "कुछ दोस्त हैं जिनकी मैंने मदद की थी, वो विवाह के लिए सेट तैयार करने में मदद कर रहे हैं. मैं किसी के लिए कोई पैसा नहीं दे रहा हूं. वे मुझसे लगाव की वजह से ऐसा कर रहे हैं." बेल्लारी श्रीरामुलु ने उन रिपोर्टों को ख़ारिज किया जिनमें ये कहा जा रहा था कि वो अपने दोस्त जनार्दन रेड्डी की बेटी की शादी में हुए ख़र्च से भी ज़्यादा ख़र्च कर रहे हैं, लेकिन कर्नाटक में आज की तारीख में जैसी राजनीति चल रही है, उसमें शाहख़र्ची से होने वाली शादियां आम हो गई हैं।
कुछ महीनों पहले ही नवनियुक्त मंत्री बीसी पाटिल ने बहुत ही धूमधाम से अपनी दूसरी बेटी की शादी की थी।
बेल्लारी श्रीरामुलु के कैबिनेट सहयोगी आनंद सिंह, जो हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी वापस लौटे हैं, ने विधानसभा उपचुनाव के ठीक पहले अपने बेटे की शादी इतने धूमधाम से की कि बल्लारी में हर किसी के जुबान पर इसका जिक्र था। बेल्लारी के एक राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक दोनों ही शादियों में बड़ी संख्या में निमंत्रण पत्र भेजे गए थे लेकिन शादी में शरीक होने वाले लोगों की संख्या संख्या पांच-दस हज़ार से ज़्यादा नहीं थी. बल्लारी में भी ऐसी ही उपस्थिति की उम्मीद की जा रही है. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि ऐसा लोगों से जुड़ाव स्थापित करने की कोशिश के तहत किया जा रहा है। लोगों से जुड़ाव की कोशिशों की बात से राजनीतिक वैज्ञानिक और समाजशास्त्री काफ़ी हद तक सहमत भी हैं लेकिन वे शाही शादी की संस्कृति को अलग नजरिए से भी देखते हैं।
शाही शादी की संस्कृति पर समाजशास्त्र‌ियों  की राय
अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर चंदन गौड़ा बताते हैं, "पैसे और संपन्नता को जाहिर करने के अलावा इस मौके पर लोग अपने चुनावी क्षेत्र में मतदाताओं को भी खुश रखने की कोशिश करते हैं. लोगों को इस ख़र्च में कोई बुराई भी नज़र नहीं आती है।"
मैसूर यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर मुज़्ज़फ़र असदी बताते हैं, "इसके जरिए वे अपनी राजनीतिक हैसियत को भी विस्तार देते हैं. श्रीरामुलु के मामले में भी, वे अनुसूचित जनजाति के तौर पर अपनी राजनीतिक पहचान को मजबूत करना चाहते हैं. ये नहीं भूलना चाहिए कि 2018 में बीजेपी ने उन्हें डिप्टी चीफ़ मिनिस्टरशिप देने का वादा किया था, लेकिन जब बीजेपी जुलाई में सत्ता में आई तो ये वादा भूल गई."
प्रोफ़ेसर असदी कहते हैं, "देखने वाली बात ये है कि पहली पीढ़ी के सियासतदान ही ऐसी संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्हें समाज की रत्ती भर भी फ़िक्र नहीं. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि जनार्दन रेड्डी ने जब अपनी बेटी की धूमधाम से शादी की थी तब देश नोटबंदी के बाद आई मुश्किलों से जूझ रहा था. सामाजिक और आर्थिक रूप से हालात अब भी कुछ अधिक नहीं बदले हैं।"
प्रोफ़ेसर गौड़ा कहते हैं, "शादियों का टीवी पर लाइव और फिर रिपीट टेलिकास्ट अनजान जनता के सामने अपनी निजता का प्रदर्शन है. सियासतदानों से ये नैतिक उम्मीद भी कमज़ोर हुई है कि उन्हें आम लोगों के साथ खड़े रहने चाहिए और सादगी की ज़िंदगी बितानी चाहिए. सात से नौ दिन तक शादी का चलन कन्नड संस्कृति के अनुकूल भी नहीं है क्योंकि यहां आम शादियाँ एक या दो दिन चलती हैं। "
प्रोफ़ेसर गौड़ा ने कहा कि साधारण शादी करने का फ़ैसला लेने वाले कई युवकों की मिसाल भी आजकल मिल रही है. उम्मीद है कि ऐसा युवाओं की तादाद बढ़े ताकि शादियों में शाहख़र्ची का फ़ैशन बंद हो।"
प्रोफ़ेसर असदी कहते हैं कि शादी में ख़र्चे पर एक हद तक अंकुश होना चाहिए।
दरअसल साल 2014 में सिद्धारमैया सरकार ने पांच लाख के ख़र्च और एक हज़ार मेहमानों से अधिक वाली शादियों पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन सरकार इसे विधायकों के दवाब की वजह से असेम्बली में पेश नहीं कर पाई थी।                                                

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