चंडीगढ़ : जस्टिस मुरलीधरन की विदाई-आगमन, जुटी वकीलों की भीड़



मुरलीधरन के विदाई समारोह में दिल्ली हाइकोर्ट में वकीलों की जिस तरह से भारी भीड़ उमड़ी वह न केवल प्रशंसनीय है अपितु सभी के लिए प्रेरणादायक भी है कि न्याय से बढ़कर कोई सत्य नहीं। इतना ही नहीं जब वे रेल से चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचे तो वहां भी भारी संख्या में वकीलों व आमजन ने पहुंचकर उनकी अगुवाई की।
ऐसा नहीं है कि जनता कुछ देखती नहीं अथवा समझती नहीं। एक मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सत्ताधीशों पर कुछ टिप्पणी मात्र से उन्हें दिल्ली से चंडीगढ़ भेज दिया गया। बेशक किसी भी अधिकारी का ट्रांसफर होना कोई सजा नहीं है, परंतु यह जब एकदम ऐसे अवसरों पर हो तो संदेह पैदा करती है । व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के आईटी सेल ने जिस तरह से जस्टिस मुरलीधरन की पारिवारिक पृष्ठभूमि , विचारधारा तथा व्यक्तिगत जीवन को लेकर जो अफवाहें परोसी हैं, वे तो इन संदेहों की पुष्टि करती हैं ।  हरियाणा के दो प्रशासनिक अधिकारी प्रदीप कासनी व अशोक खेमका अपनी ईमानदारी का दंड इन्हीं ट्रांसफ़रों के रूप में भुगतते रहे हैं। यहां सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर को उद्धरण करना जरूरी है कि यह कहना नीरा पाखण्ड है कि न्यायपालिका राजनीति से प्रेरित नहीं है बल्कि सवाल यह है कि इसके न्यायाधीश किस विचारधारा से प्रेरित हैं मजलूम के हक की या जालिम के साथ की। कानून व न्याय की पेचीदगियों, सत्तामोह तथा प्रभाव ने पूरी न्याय व्यवस्था को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है।
 जस्टिस मुरलीधरन से एक बार फिर एक आशा की किरण दिखाई दी है। पंजाब -हरियाणा में उनका हार्दिक अभिनंदन व शुभकामनाएं ।
साभार: राममोहन राय, पानीपत

Comments

Popular posts from this blog

हिंदुओं का गुरु-मुसलमानों का पीर...Guru of Hindus, Pir of Muslims

हनुमानजी की जाति ?

Mediapersons oppose Modi Govt’s. labour law