कोरोना : दिल्ली, मुंबई से पलायन कर रहे मजदूर सड़कों पर पैदल सफर को मजबूर (वीडियो के साथ)
- कोरोना से भारत में मृतकों की संख्या पहुंची 21, मरीजों का आकंड़ा 900 पार
कोरोना के कहर के चलते विश्व का एक तिहाई हिस्सा लॉकडाउन है। भारत में भी पूरी तरह लॉकडाउन के तीन दिन हो चुके है। इस बीच दिल्ली से अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े मजदूरों को पुलिस ने यूपी गेट पर रोक दिया है। उधर, यूपी सरकार ने दावा किया है कि दिल्ली से लाने के लिए बसें लगाई गई हैं। लेकिन ये बसें कहां है, यह कोई बताने वाला नहीं हैं। दिल्ली से पलायन करने वाले लोगों की यूपी की सभी सड़कों पर लगातार पैदल चल रहे लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है। पीएम मोदी ने 24 मार्च की रात लॉकडाउन की घोषणा करते हुए लोगों से घर से बाहर नहीं निकलने को कहा था। उन्होंने कहा कि यह लॉकडाउन कर्फ्यू जैसा ही होगा। हालांकि, जरूरी सेवाओं की चीजें पहले की तरह ही चलती रहेंगी। इसको लेकर गृहमंत्रालय ने छह पन्नों वाली गाइडलाइन भी जारी की है। पिछले साल के अंत में चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैल चुका है। कोरोना के सबसे अधिक पॉजिटिव केसों के मामलों में अमेरिका पहले स्थान पर पहुंच गया है।
हालांकि लॉकडाउन के बावजूद बीते 24 घंटों में विभिन्न मीडिया द्वारा जारी समाचारों के मुताबिक कोरोना वायरस 'कोविड-19' संक्रमण के 75 नए मामले सामने आए हैं और कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 900 से ऊपर हो गई है तथा इससे चार मरीजों की मौत हुई हैं। कोरोना वायरस का प्रकोप देश के 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैल चुका है। कोरोना वायरस के संक्रमण से देश भर में अब तक 21 लोगों की मौत हुई है। केरल, महाराष्ट्र, कनार्टक, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में अभी तक सबसे अधिक संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
मुंबई और पुणे में रेलवे स्टेशनों पर श्रमिकों की भीड़ उमड़ पड़ी है। उत्तर प्रदेश और बिहार में रहने वाले ये श्रमिक वापस अपने घर लौटने की जुगत में लगे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई, पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और नागपुर को पूरी तरह से बंद कर दिया है।
- मुंबई समेत महाराष्ट्र के भी कई शहरों उमड़ी भीड़, श्रमिकों का पलायन
- अपने घर वापस लौटने की तैयारी में श्रमिक, भीड़ से स्वास्थ्य विभाग परेशान
मुंबई : महाराष्ट्र के चार शहरों में सरकार के दुकानों और विभिन्न संस्थानों को बंद करने के फैसले के बाद मुंबई थम सी गई है। मुंबई और पुणे में असंगठित क्षेत्र के हजारों मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया है। ऑटो-रिक्शा और टैक्सी ड्राइवर भी रेलवे काउंटरों पर अपने घर वापस जाने के लिए जुटे हुए हैं। इनमें से अधिकतर उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं। आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने सूबे के चार शहरों को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया है। इनमें मुंबई, पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और नागपुर शामिल हैं।
एक ओर जहां सरकार ने कोविड-19 से बचने के लिए घरों के अंदर रहने की सलाह दी है, वहीं इन मजदूरों के घर वापसी के लिए इकट्ठा होने से स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। कुर्ला में बीएमसी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेंद्र जाधव ने बताया कि उन्हें शुक्रवार शाम लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर भारी भीड़ के बारे में सूचित किया गया था। उन्होंने कहा, 'रेलवे पुलिस को महामारी अधिनियम के तहत भीड़ को तितर-बितर करना चाहिए था। यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। ऐसा लगता है कि लोग अपने मूल स्थानों पर लौटने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि ट्रेनें और बसें बंद हो जाएंगी और वे ऐसा होने से पहले शहर छोड़ना चाहते हैं।'
2011 की जनगणना के अनुसार मुंबई, जिसमें मुंबई शहर, मुंबई उपनगर और ठाणे जिला शामिल हैं, में 1 करोड़ प्रवासी रहते हैं। इनमें से 30 प्रतिशत प्रवासी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था से अपनी आजीविका कमाते हैं। 31 मार्च तक के लिए की गई बंदी की सबसे अधिक मार इन मजदूरों को ही पड़ी है। इसीलिए इन्होंने फैसला किया है कि वे अपने घर पहुंच जाएं। सिक्यॉरिटी गार्ड एजेंसी चलाने वाले सचिन मोरे का कहना है कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का वादा करने के बावजूद रोकने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा, 'लोगों की कमी के कारण ओवरटाइम कराया जा रहा है। जो लोग शहर छोड़कर जा रहे हैं, उन्हें कहा गया है कि भविष्य में उन्हें नौकरी वापस मिलने में दिक्कत हो सकती है, इसके बावजूद वे नहीं रुक रहे हैं।'
- शहरों से गरीबों के पैदल पलायन के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार :राहुल गांधी
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'सरकार इस भयावह हालत की ज़िम्मेदार है। नागरिकों की ये दशा करना एक बहुत बड़ा अपराध है। आज संकट की घड़ी में हमारे भाइयों और बहनों को कम से कम सम्मान और सहारा तो मिलना ही चाहिए। सरकार जल्द से जल्द ठोस क़दम उठाए ताकि ये एक बड़ी त्रासदी ना बन जाए।
"सरकार इस भयावह हालत की ज़िम्मेदार है। नागरिकों की ये दशा करना एक बहुत बड़ा अपराध है। आज संकट की घड़ी में हमारे भाइयों और बहनों को कम से कम सम्मान और सहारा तो मिलना ही चाहिए। सरकार जल्द से जल्द ठोस क़दम उठाए ताकि ये एक बड़ी त्रासदी ना बन जाए। — Rahul Gandhi (@RahulGandhi)
उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि इस स्थिति पर हम सभी को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने गरीबों के पैदल पलायन का एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'इन मजबूर हिंदुस्तानियों के साथ ऐसा सलूक मत कीजिए। हमें शर्म आनी चाहिए कि हमने इन्हें इस हाल में छोड़ दिया है. ये हमारे अपने हैं.' प्रियंका ने कहा कि मजदूर देश की रीढ़ की हड्डी हैं। कृपया इनकी मदद करिए। इन मजबूर हिंदुस्तानियों के साथ ऐसा सलूक मत कीजिए। हमें शर्म आनी चाहिए कि हमने इन्हें इस हाल में छोड़ दिया है। ये हमारे अपने हैं। मजदूर देश की रीढ़ की हड्डी है। कृपया इनकी मदद करिए। — Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi)
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'हज़ारों ग़रीब लोग अपने परिवार सहित उत्तर प्रदेश-बिहार पैदल जाने को मजबूर हैं. ये लोग कह रहे हैं कि करोना वायरस से नहीं लेकिन भूख से वह जरूर मर जाएंगे.' सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या इतनी बड़ी मानवीय त्रासदी का कोई जवाब नहीं?
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