भारतः ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी का निधन
- दादी जानकी स्वच्छता के संदर्भ में हमेशा से एक्टिव रहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें स्वच्छता मिशन का ब्रांड एंबेसडर बनाया था
- दादी जानकी महज 21 वर्ष की उम्र में संस्थान के संपर्क में आईं, 140 देशों में फैले अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान की संचालक थीं
ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी का 27 मार्च बृहस्पतिवार की रात 2 बजे निधन हो गया। वे 104 साल की थीं। उन्होंने माउंट आबू के ग्लोबल हाॅस्पिटल में अंतिम सांस लीं। वे 140 देशों में फैले अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान का संचालन कर रही थीं। संस्थान ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। इस संस्थान से लाखों लोग जुड़े हुए हैं और संस्थान की 46 हजार बहनों की वे अभिभावक थीं। दुनियाभर में फैले 8 हजार सेवा केंद्रों की वे मुख्य संचालिका थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया- ‘‘जानकी दादी ने लगन से समाज के लिए काम किया। उनके प्रयासों से कई लोगों की जिंदगी में सकारात्मक अंतर आया।’’
1916 में जन्मी दादी जानकी रोज सुबह 4 बजे उठकर ज्ञान, ध्यान, राजयोग और लोगों से मिलना जुलना शुरू करती थीं। वे दस घंटे सेवाकार्य करती थीं। वे आजीवन दुनियाभर में यात्रा कर महिलाओं, बच्चों के विकास और सुरक्षा के साथ आध्यात्मिक सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत रहीं।
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46 हजार युवा बहनों की अभिभावक
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दादी जानकी ने नारी शक्ति को आगे बढ़ाते हुए 46 हजार बहनों को तैयार किया, जो लोगों में आध्यात्मिकता के जरिए ज्ञान, राजयोग और साधना से मूल्यनिष्ठता को स्थापित करने में जुटी हैं। दुनिया की एकमात्र संस्था है जिसके सभी केंद्रों की प्रमुख महिलाएं होती हैं।
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स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एम्बेसडर
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दादी जानकी स्वच्छता के संदर्भ में हमेशा से एक्टिव रही हैं। देश और विदेश में इसके लिए अभियान चलाती रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का ब्रांड एम्बेसडर बनाया।
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35 वर्ष विदेश में रहकर 100 देशों तक ईश्वरीय पैगाम पहुंचाया
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दादी जानकी महज 21 साल की उम्र में इस संस्थान के संपर्क में आईं। चौथी तक पढ़ी दादी जानकी ने ईश्वरीय सेवाओं के लिए पश्चिमी देशों को चुना। 1970 में पहली बार लंदन गईं और 35 वर्षों तक वहीं रहकर सौ से ज्यादा देशों में ईश्वरीय संदेश को पहुंचाया। हजारों-लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई।
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