India & China : भारत ने बताया चीन को जिम्मेदार

  • विदश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को बताया जिम्मेदार


  • जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से कहा,  गलवान में जो हुआ, आपकी सेना ने यह सब सोच-समझकर किया


द्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के लिए भारत ने सीधे तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया है। इस मामले पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर बात हुई। विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए चीन जिम्मेदार है और यह कदम उसने सोच-समझकर उठाया था। गलवान घाटी में सोमवार रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए। चीन के भी 40 सैनिक मारे गए हैं। इनमें यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है। यह अफसर उसी चीनी यूनिट का था, जिसने भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प की। इसी गलवान घाटी में 1962 की जंग में 33 भारतीयों की जान गई थी।

  • भारत ने कहा, दोनों पक्ष समझौतों का सम्मान करें और एकतरफा कार्रवाई ना करें

विभिन्न मीडिया के खबरों के मुताबिक दोनों पक्ष जल्द से जल्द सीमा पर तनाव खत्म करना चाहते हैं। मसले का हल न्याय संगत तरीके से निकाला जाए। चीन के विदेश मंत्री ने भारत से अपील की है कि विवाद के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए और फ्रंट लाइन पर तैनात जवानों को नियंत्रण में रखें।
इधर, भारत के विदेश मंत्री  एस जयशंकर ने कहा कि सीमा पर इस घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर पड़ेगा। वक्त की मांग यही है कि चीन अपने इस कदम का फिर से मूल्यांकन करे और कदम उठाए। दोनों पक्षों को हाई लेवल पर बनी सहमति को समझना चाहिए और उसे गंभीरता से लागू करना चाहिए। द्विपक्षीय समझौतों का दोनों ही पक्ष पालन करें। तय की गई लाइन ऑफ कंट्रोल का सम्मान करें और इसे बदलने के लिए कोई एकतरफा कार्रवाई ना करें।

  • हमारे सैनिक मारते-मारते मरे : मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। देश की संप्रभुता सर्वोच्च है। देश की सुरक्षा करने से हमें कोई भी रोक नहीं सकता। हमारे दिवंगत शहीद वीर जवानों के विषय में देश को इस बात का गर्व होगा कि वे मारते-मारते मरे हैं।"
गलवान घाटी में झड़प के करीब 36 घंटे बाद पहली बार भारत की तरफ से पहला बयान जारी हुआ है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सैनिकों ने अदम्य साहस दिखाया। देश उनकी शहादत हमेशा याद रखेगा।

  • लाहौल-स्पीति और किन्नौर में अलर्ट
  1.  भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की त्रिपक्षीय बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 22 जून को होनी है। इसमें भारत और चीन के द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी। आरआईसी का जो एजेंडा है, उसी पर बात होगी।
  1. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियन ने कहा कि गलवान घाटी की संप्रभुता हमेशा से चीन के हिस्से ही रही है। भारतीय सेना ने बॉर्डर प्रोटोकॉल तोड़ा। उन्होंने न केवल सीमा का उल्लंघन किया, बल्कि कमांडर लेवल की बातचीत का भी ध्यान नहीं रखा।
  2. चीन की सीमा पर जारी तनाव के बीच हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। इन जिलों की सीमाएं चीन से लगती हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस कवायद का मकसद स्थानीय लोगों को खतरे से बचाना और खुफिया जानकारी जुटाना है। पुलिस ने कहा कि लोगों की हिफाजत के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए गए हैं।
  3. भारत में ब्रिटिश हाईकमीशन के प्रवक्ता ने कहा कि हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं। हम यही चाहेंगे कि भारत और चीन बातचीत के जरिए विवाद सुलझाएं। हिंसा से किसी को फायदा नहीं होगा।

  • सियासत गरमाई
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री कहां हैं? वे छिपे हुए क्यों हैं? अब बहुत हुआ। हम जानना चाहते हैं कि आखिर क्या हुआ। हमारे सैनिकों को मारने की चीन की हिम्मत कैसे हुई। वह हमारी जमीन पर कब्जा करने की हिम्मत कैसे कर सकता है?’’ वहीं दिग्विजय ने ट्वीट किया कि मोदी की विदेश यात्राएं कितनी सफल रहीं, इसका प्रमाण दें। प्रधानमंत्री जुमलेबाजी छोड़कर हर क्षेत्र में असफल रहे।
  • 45 साल पहले भी चीन ने धोखा दिया था 
अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में  20 अक्टूबर 1975 को चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे। इसके 45 साल बाद चीन बॉर्डर पर हमारे सैनिकों की शहादत हुई है।
  • गलवान घटना की सूचनाओं में देरी ?  
15 जून को सोमवार

रात 12 से 2 बजे के बीच : लद्दाख के गलवान में बड़ी घटना की सूचना किसी को नहीं मिलती। दिल्ली के रास्ते देश को भी नहीं।
मंगलवार दोपहर करीब 12.45 बजे: खबर आती है कि सीओ, यानी कमांडिंग ऑफिसर समेत तीन सैनिक शहीद हो गए हैं।
दोपहर 1 बजे: घटना के करीब 11 घंटे बाद सेना बयान जारी करती है कि हां, कर्नल समेत हमारे तीन जवान शहीद हुए हैं।
दोपहर 3 बजे: प्रधानमंत्री दिल्ली में बैठकर 20 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना पर बातचीत करते हैं। वह देश को बताते हैं कि मास्क पहनकर निकलिए।
रात 8 बजे: मुख्यमंत्रियों से बैठक के बाद रात 9 बजे के करीब प्रधानमंत्री के घर पर रक्षामंत्री, गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की बैठक होती है।
रात 10 बजे: इसी दौरान खबर मिलती  है कि चीन के बॉर्डर पर 20 जवान शहीद हो गए  हैं, संख्या बढ़ सकती है। फिर खबर आती है कि चीन के भी 43 जवान या तो मारे गए हैं, या घायल हुए हैं।
मंगलवार रात 10.30 बजे: प्रधानमंत्री के घर पर जारी बैठक खत्म। लेकिन रात तक किसी का कोई बयान नहीं।

  • चीन को जवाब,  आपसी रजामंदी का ध्यान रखा होता तो ऐसा न होता
झड़प की बात सामने आने के करीब 8 घंटे बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों तरफ नुकसान हुआ है। अगर चीन की तरफ से हाई लेवल पर बनी आपसी सहमति का ध्यान रखा जाता तो दोनों तरफ हुए नुकसान को टाला जा सकता था। भारत ने हमेशा अपनी सीमा में रहकर ही मूवमेंट किया है। हम उम्मीद करते हैं कि चीन भी ऐसा ही करे।

  • क्या है  चीन का सीमा विवाद
भारत और चीन का सीमा विवाद दशकों पुराना है. तिब्बत को चीन में मिलाए जाने के बाद यह विवाद भारत और चीन का विवाद बन गया।

  • विवाद के अहम बिंदु

  • लंबा विवाद
 करीब 3500 किलोमीटर की साझी सीमा को लेकर दोनों देशों ने 1962 में जंग भी लड़ी लेकिन विवादों का निपटारा ना हो सका. दुर्गम इलाका, कच्चा पक्का सर्वेक्षण और ब्रिटिश साम्राज्यवादी नक्शे ने इस विवाद को और बढ़ा दिया. दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच सीमा पर तनाव उनके पड़ोसियों और दुनिया के लिए भी चिंता का कारण है.

  • अक्साई चीन
समुद्र तल से 14000-22000 फीट ऊंचाई पर काराकाश नदी पर मौजूद अक्साई चीन का ज्यादातर हिस्सा वीरान है. 32000 वर्ग मीटर में फैला ये इलाका पहले कारोबार का रास्ता था और इस वजह से इसकी काफी अहमियत है. भारत का कहना है कि चीन ने जम्मू कश्मीर के अक्साई चीन में उसकी 38000 किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है.
  • अरुणाचल प्रदेश
चीन दावा करता रहता है कि मैकमोहन रेखा के जरिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन दबा ली है।  भारत इसे अपना हिस्सा बताता है। हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद को निपटाने के लिए 1914 में भारत तिब्बत शिमला सम्मेलन बुलाया गया।
  • ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने खींची लाइन
अंग्रेजी राज के दौरान ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने मैकमोहन रेखा खींची, जिसने ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच सीमा का बंटवारा कर दिया। चीन के प्रतिनिधि शिमला सम्मेलन में मौजूद थे लेकिन उन्होंने इस समझौते पर दस्तखत करने या उसे मान्यता देने से मना कर दिया. उनका कहना था कि तिब्बत चीनी प्रशासन के अंतर्गत है इसलिए उसे दूसरे देश के साथ समझौता करने का हक नहीं है।
  • अंतरराष्ट्रीय सीमा
1947 में आजादी के बाद भारत ने मैकमोहन रेखा को आधिकारिक सीमा रेखा का दर्जा दे दिया। हालांकि 1950 में तिब्बत पर चीनी नियंत्रण के बाद भारत और चीन के बीच ऐसी साझी सीमा बन गई, जिस पर कोई समझौता नहीं हुआ था। चीन मैकमोहन रेखा को गैरकानूनी, औपनिवेशिक और पारंपरिक मानता है जबकि भारत इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा का दर्जा देता है।
  • भारत-चीन में समझौता
1954 में भारत की आजादी के बाद भारत और चीन के बीच तिब्बत के इलाके में व्यापार और आवाजाही के लिए समझौता हुआ। इस समझौते के बाद भारत ने समझा कि अब सीमा विवाद की कोई अहमियत नहीं है और चीन ने ऐतिहासिक स्थिति को स्वीकार कर लिया है।
  • चीन समझौते को नकारता है
 समझौते को नकारते हुए चीन का कहना है कि सीमा को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ और भारत तिब्बत में चीन की सत्ता को मान्यता दे। इसके अलावा चीन का ये भी कहना था कि मैकमोहन रेखा को लेकर चीन की असहमति अब भी कायम है।
  • सिक्किम
चीन और भारत के बीच  1962 में युद्ध हुआ।  महीने भर चली जंग में चीन की सेना भारत के लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में घुस आई।  बाद में चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वापस लौटी। यहां भूटान की भी सीमा लगती है। सिक्किम वो आखिरी इलाका है, जहां तक भारत की पहुंच है। इसके अलावा यहां के कुछ इलाकों पर भूटान का भी दावा है और भारत इस दावे का समर्थन करता है।
  • मानसरोवर
हिंदुओं का मानसरोवर प्रमुख तीर्थ है, जिसकी यात्रा पर हर साल काफी लोग जाते हैं। भारत चीन के रिश्तों का असर इस तीर्थयात्रा पर भी है। मौजूदा विवाद उठने के बाद चीन ने श्रद्धालुओं को वहां पूर्वी रास्ते से होकर जाने से रोक दिया था।
  •   हल की कोशिश
बीते 40 सालों में भारत और चीन की ओर से इस विवाद को बातचीत के जरिए हल करने की कई कोशिशें हुईं, हालांकि इन कोशिशों से अब तक कुछ ख़ास हासिल नहीं हुआ। चीन कई बार ये कह चुका है कि उसने अपने 12-14 पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद बातचीत से हल कर लिए हैं और भारत के साथ भी ये मामला निबट जाएगा, लेकिन 19 दौर की बातचीत के बाद भी सिर्फ उम्मीदें ही जताई जा रही हैं। हल कोई नहीं निकल पाया है।




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