Diwali : पटाखों से कोरोना होगा तेज
- पटाखो के विषैले धुंए से कोरोना संक्रमण होगा और तेज
दीवाली सहित अनेक त्यौहारों का भरपूर सीजन आ रहा है । यह देश तो है ही पर्वो का देश । हम सब इन्हें बहुत ही भव्यता से मनाते है । चाहे कोई गरीब हो या अमीर सभी तो अपनी हैसियत से ऊपर उठ कर इस पर खर्च भी करते है
इस बार के ये त्यौहार कोरोना महामारी के दौरान आ रहे है । पूरे देश मे मार्च के अंतिम सप्ताह से एक ठहराव की स्थिति है । शिक्षण ससंस्थान बंद है और व्यवसायिक गतिविधियों पर भी आंशिक रोक है । लाखो अतिथि मजदूर काम-धंधे में कमी के कारण विवश होकर अपने घर-गांव की गए है ।
कोरोना महामारी अभी खत्म नही हुई है । इस दौरान भी मध्यप्रदेश में सत्तापरिवर्तन ,राजस्थान में सरकार को अस्थिर करने की कोशिश और अभी हाल में ही बिहार में चुनाव चल रहे है । राजनेताओं के कार्यकलाप बदस्तूर जारी हैं । जनता इन चुनाव पर्व में भी खूब जम कर हिस्सा ले रही है ।
दिल्ली में कोरोना के केसेस बढ़ने लगे है । दूसरी तरफ वे लोग भी है जिनका मानना है कि यह कोई बीमारी न होकर एक सुनियोजित दहशत ही है । पर उसके दुष्परिणामों ने बताया है कि यह एक ऐसी बीमारी है जिससे बचना बहुत जरूरी है । लगभग डेढ़ लाख लोग इस बीमारी से मारे जा चुके है । यह संख्या एक्सीडेंट तथा अन्य बीमारियों से मरने वाले लोगो से अलग है ।
दिल्ली सरकार ने पिछले दो दिन में दो बहुत ही अहम फैसले लिए है । एक - कोविड -19 से पीड़ित रोगी के घर अब पोस्टर नही लगाया जाएगा । दूसरे- दीवाली पर इस बार पटाखे चलाने की इजाजत नही होगी ।
कोविड-19 रोगी के घर के बाहर पोस्टर लगाए जाने पर उसे घोषित अस्पृश्य बना कर उसका सामाजिक बहिष्कार के अतिरिक्त कुछ भी नही है । पड़ोसी तक कोई अप्रिय घटना होने पर भी मिजाजपुर्सी नही करते । जबकि पटाखे छोड़ने में वे ही लोग आगे रहते है । ऐसे लोगो से अनुरोध है कि हालात की नाजुकता को समझे और पटाखे छोड़ कर वायु प्रदूषित करने की चेष्टा न करें ।
कोरोना महामारी अभी समाप्त नही हुई है और यह सबसे ज्यादा संक्रमित फेफड़ो को ही करती है । पूरा वायुमंडल पहले ही खराब है जबकि पटाखे के विषैले धुंए से यह और ज्यादा भयावह होगा ।
देशभर में लगभग डेढ़ लाख व प्रत्येक शहर में औसतन 100 से 150 लोगों की जानें इस बीमारी से गयी है । महामारी के इस दौर में ऐसी कोशिश जले पर नमक छिड़कने से ज्यादा कुछ नही होगी ।
केंद्र व राज्य सरकार को चाहिए कि वर्तमान हालात को देखते हुए समुचित कदम उठाए और पटाखों छोड़ने पर रोक लगाए । आम जन भी स्वयं निर्णय लेकर सामाजिक दूरी ,मास्क लगाने व अन्य नियमो का पालन कर आतिशबाजी छोड़ने के बेहूदा कृत्य से बचे ।
यह बीमारी वैश्विक है । इसके लिए कोई भी पक्षपात नही है । यह कहीं भी किसी को भी हो सकती है । फिलहाल इसका बचाव ही इसकी वैक्सीन है ।
वैसे भी दीवाली ज्योतिपर्व है जो दिये जलाने व आपसी प्यार को बांटने से ही मनता है न कि प्रदूषण व घृणा फैलाने से ।
- राम मोहन राय, पानीपत।
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