Dr. Ambedkar ; डॉक्टर अंबेडकर : पूरे विश्व के गौरव
- डॉक्टर अंबेडकर : पूरे विश्व के गौरव
जिस व्यक्ति का इंग्लैंड की विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में फोटो लगा है वहां लिखा है हमें गर्व है कि ऐसा छात्र हमारे यूनिवर्सिटी से पढ़कर गया ।कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में हाल ही मैं तीन सौ साल पूरे होने पर एक सर्वे किया गया कि इतने वर्षों में इस यूनिवर्सिटी का सबसे होशियार सबसे प्रतिभाशाली छात्र कौन रहा ।उस सर्वे में छ नाम सामने आये नंबर एक पर जिस व्यक्ति का नाम था उसकी यूनिवर्सिटी के गेट पर मूर्ति लगाई गयी जिसका अनावरण राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किया ।उस व्यक्ति ने 20 दलित छात्रों के विदेश में पढ़ने के लिए ब्रिटिश हुकूमत से अनुरोध किया था। के आर नारायण पूर्व राष्ट्रपति उसी कोटे में विदेश में पढ़े और भारत के राष्ट्रपति बने ।उस व्यक्ति ने महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाया श्रमिकों के हितों की रक्षा की महिलाओं के हकों के लिए कानून मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिया ।उस जूतों में बैठकर अपनी पढाई करने वाले, तमाम जीवन अपने देश में जाति के कारण अपमान झेलने वाले ,शिक्षित बनो संगठित रहो संघर्ष करो का मूल मन्त्र देने वाले, अपनी बुद्धि आत्मविश्वास संघर्ष के बल पर दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले ,उस महान अद्भुत इंसान को, सविधान निर्माता को हिंदुस्तान की हर महिला की और से कोटि कोटि नमन ।
महान विभूतियां हमारे देश का गौरव होती हैं उन्हें जातिगत सीखचों में खींचकर उनका अपमान क्षुद्र मानसिकता के लोग करते हैं ।ऐसी विभूतियां हर जाति संप्रदाय में जन्म लेती हैं उन सभी का हमें सम्मान करना चाहिए ।संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा उनके जन्मदिवस को उनकी 125वीं जयंती पर विश्व ज्ञान दिवस घोषित किया गया है।पुस्तकें हमें कहाँ तक ले जा सकती हैं इसके भीमराव अंबेडकर अनुपम उदहारण और प्रेरणा हैं ।उन्होंने हजारों पुस्तकें पढ़ी सेकड़ों लिखी मगर इसके साथ -साथ समाज के दलित, शोषित ,श्रमिक ,महिला वर्ग का उत्थान किया हम लेखक कवि उनसे यह प्रेरणा भी ले सकते है।आजकल व्यक्ति जाति गत संकीर्णता से ग्रस्त होकर जाति जाति तो गाता है मगर अपनी की जाति का व्यक्ति उसका प्रतिद्वंदी न हो जाये उसकी जड़ें काटता है।उसे सबका सहयोग मिल जाता है जाति के व्यक्ति का ही मिलना मुश्किल होता है।दलित नेता जाति के नाम पर उनकी वोट तो हड़प लेते हैं मगर करते उनके लिए कुछ नहीं दलित वर्ग के अधिकतर व्यक्ति दलित वर्ग के व्यक्ति के कभी काम नहीं आते अपवाद हो सकता है।जातिगत संकीर्णता से उबरकर हमें अपने बच्चों को ऐसी प्रेरणादायी विभूतियों की जीवनी से अवगत कराना चाहिए ताकि वे विषम विपरीत परिस्थितियों में भी साहस के साथ आगे बढ़ती रहें।
- डॉ पुष्पलता, प्रसिद्ध साहित्यकार, मुजफ्फरनगर।
Comments
Post a Comment