IPS ASHUTOSH PANDAY : अपराधियों की कांपने लगती है रूह

  •  आईपीएस आशुतोष पाण्डेय : चेहरे पर मुस्कान, अपराधियों के ल‌िए गुस्सा, जनता से सीधा संपर्क




यूपी में  आशुतोष पांडे को चेहरे पर मुस्कान, जनता से सीधे संपर्क रखने वाला तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी माना जाता है। उनको अपहरण के केस सॉल्व करने वाला एक्सपर्ट और 30 से ज्यादा एनकाउंटर करने पर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता है। अयोध्या में 'स्पेशल-26' तैयार करने वाले इस जांबाज आशुतोष पांडे ने कानपुर के चर्चित ज्योति हत्याकांड को सुलझाया था।

निडर और साहसी आईपीएस आशुतोष पांडेय की गिनती उन अफसरों में होती है, जिन्हें अपहरण के केस हल करने में महारत हासिल है। उन्होंने एसएसपी के तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कार्यभार ग्रहण किया। वहां आए दिन अपहरण होने की तमाम घटनाओं को शून्य पर पहुंचाया, अपहरण माफिया का सफाया किया। इस अपराध जनपद में पुलिस का वह इकबाल कायम किया कि वहां अपहरण करने में बदमाशों की रूह कांपने लगी।  उनके द्वारा मुजफ्फरनगर में कायम किए गए पुलिस इकबाल का ही प्रभाव था कि जब 2013 में मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगे की आग में जल रहा था तो आशुतोष पांडेय को ही वहां कैंप करने के ल‌िए बुलाना पड़ा। आईजी के रूप में पहुंचे इस तेज तर्रार आईपीएस अफसर के लोगों से सीधे संपर्क का परिणाम रहा कि सभी वर्गों ने उनके साथ मिलकर सांप्रदायिक दंगे की आग में दहक रहे मुजफ्फरनगर को शांत किया और जगह-जगह लोगों से मिलकर खूनी टकराव को खत्म किया। 

आशुतोष पांडेय को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर भी जाना जाता है। इस बहादुर पुलिस अधिकारी ने अब तक 30 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं। वह जहां भी तैनात रहे, वहां बदमाशों को ठिकाने लगाने में उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी। आलम यह है कि उनके नाम से ही अपराधियों के पेशानी पर बल पड़ जाता है। मूल रूप से भोजपुर के रहने वाले आशुतोष पांडेय के नाम कई बड़ी उपलब्धियां हैं।

सिविल इंजनियरिंग की पढ़ाई करने वाले आशुतोष पांडेय के बारे में कहा जाता है कि वो जहां भी जाते हैं, वहां के लोगों के साथ जमीनी स्तर पर काफी मजबूत संपर्क स्थापित कर लेते हैं। जिससे पुलिस और आम आदमी के बीच काफी अच्छा समन्वय  बन जाता है। सुपर कॉप के नाम से प्रसिद्ध आशुतोष पांडेय कई जिलों में एसएसपी रहे हैं। प्रदेश में कई जिला और मंजल मुख्यालयों पर डीआईजी और आईजी रह चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले की घड़ी के वक्त अयोध्या में शांति व्यवस्था की कमान इसी आईपीएस अधिकारी को सौंपी गई थी। जिम्मेदारी मिलते ही इस तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी ने ‘स्पेशल-26’ तैयार की थी। इसमें अयोध्या के कुछ प्रमुख अधिकारियों को उन्होंने शामिल किया था। स्पेशल-26 में शामिल अधिकारी बिना वर्दी के भी अयोध्या के प्रमुख हिस्सों में तैनात कर दिए गए थे और यह आम लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे थे।
आशुतोष पांडे ने कानपुर के चर्चित ज्योति मर्डर केस को जिस तरह से सुलझाया, उसकी भी सभी तारीफ करते हैं। बिस्किट कंपनी के अरबपति मालिक की बहू के मर्डर केस ने साल 2014 में मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। उस वक्त आईजी के पद पर तैनात आशुतोष पांडेय के नेतृत्व में उनकी टीम ने बेहतरीन तरीके से काम कर इसे सुलझाया था। इस केस का खुलासा करते हुए बताया था कि ज्‍योति का पति पीयूष हत्‍या का मास्‍टरमाइंड था। उसने गुनाह कबूल कर लिया है। आईजी के मुताबिक पीयूष एक लड़की से शादी करना चाहता था।
माना जाता था कि पीयूष ने काफी प्‍लानिंग के बाद पत्नी ज्योति की हत्या करवाई थी। इस वारदात को अंजाम देने के लिए पीयूष ने अपनी एक प्रेमिका के पूर्व ड्राइवर अवधेश की मदद ली थी। उसने चाकू से वार कर ज्‍योति की हत्‍या की। पुलिस ने खुलासा किया था कि अवधेश औरैया का रहने वाला है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।

आशुतोष पांडे ने अपनी तरह ही अपने अधिनस्थों में अधिकारी ही नहीं एक सिपाही तक को हर वक्त सजग, सतर्क रहने के ल‌िए औचक निरीक्षणों को अधिक अहमियत दी। ड्यूटी पर अधिकारियों और कर्मचारियों को सतर्कता के साथ तैनात देखने के ल‌िए वह न केवल सीधे अपने आप बल्कि अपने सुदृढ़ जनसंपर्क का भी भरपूर सहारा लेते रहे हैं। आशुतोष पांडेय इन दिनों प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक पद पर कार्यरत हैं।   

  • राजेश्वरी
                                                                                                                 (लेखक मौर्य टाइम्स की संपादक हैं) 


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