LJP AND CHIRAG PASWAN : चिराग ने पुराने पत्र से बागियों को दिखाया आईना

 चिराग ने चाचा को लिखा पुराना पत्र किया जगजाहिर




इस पत्र को पढ़कर कोई सहज ही अंदाजा लगा सकता है कि रामविलास पासवान के घर में उनके जीवित रहते ही अनबन शुरू हो गई थी। अतिमहत्वकांक्षी पशुपति पारस ने जो खेल खेला, उसकी नींव वह बहुत पहले जमा चुके थे और उचित वक्त के इंतजार में उन्होंने इसको अमली जामा पहनाने में समय लगा दिया।

इस पत्र की इबारत को चिराग द्वारा जगजाहिर करने के पीछे कहीं न कहीं प्रिंस को भी होशियार करने की कवायद हो सकती है कि जिन पशुपति पारस के साथ वह गए हैं, वह तो उनके आगे बढ़ने में हमेशा बाधक रहे हैं। लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने तक विरोध कर रहे हैं। ये पत्र आपको भी पढ़ने चाहिए, ताकि आप भी विवाद की गहराई तक पहुंच सकेंं।



  • लोजपा पर चाचा पारस का कब्जा
दिवंगत दलित नेता रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पर उनके ही छोटे भाई हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस ने कब्जा कर लिया है। पार्टी के पांच सांसदों की चिठ्ठी अपने पक्ष में लोकसभा स्पीकर को सौंपते पारस ने कहा है पार्टी सांसदों ने उनको अपना नेता और पार्टी ने उनको पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है। पारस के साथ आए एलजेपी के पांच सांसदों में नवादा से चंदन कुमार, समस्तीपुर से प्रिंस पासवान, खगड़िया से महबूब अली कैसर और वैशाली से वीणा देवी शामिल हैं। पारस ने कहा सांसद चिराग पासवान के कामकाज से खुश नहीं थे और पार्टी के अपने तरीके से चलाने से नाराज थे.
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक लोकसभा सचिवालय को पशुपति पारस के लोजपा नेता चुने जाने का पत्र मिला है,  फिलहाल चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सभी कानूनी पहलुओं की जांच के बाद ही लोकसभा सचिवालय किसी निर्णय पर पहुंचेगा।

  •  नीतीश से दुश्मनी चिराग को भारी पड़ी 
रामविलास पासवान राजनीतिक रास्ता किसी से भी अलग करने पर इतनी गुंजाइश जरूर रखते थे कि दोबारा जुड़ने की जरूरत पड़े तो एक-दुसरे के सामने शर्मिंदगी की स्थिति न बने। बिहार चुनाव में चिराग पासवान इसी में गच्चा खा गए। उनको सही रास्ता दिखाने वाले पासवान अस्पताल में जिंदगी के ल‌िए जूझ रहे थे और चिराग ने जहां नीतीश के खिलाफ चुनावी अभियान में व्यक्तिगत रूप से जिस तरह का मोर्चा खोला, उसका लाभ उन्हें वोट के रूप में तो नहीं मिला चूंकि उस लाभ को उनके मोदी के हनुमान साबित करने की रणनीति ने पलीता लगा दिया। उनके द्वारा "मोदी का हनुमान" का  राग अलापने का नतीजा ये हुआ कि भाजपा और जदयू का विरोधी वोट पूरी तरह समझ गया कि उनका वोट एलजेपी के माध्यम सीधे चुनाव बाद भाजपा की झोली में जाकर गिरेगा और देखिए जिन मोदी को राम समझकर वह पूरे चुनाव और उसके बाद भी हनुमान साबित करने में जुटे रहे। उनके ही सिपाहसलारों ने चिराग का लोजपा में तख्ता पलट करा दिया और  घर में  भी तोड़फोड़ मचा दी।   



  • पारस को केंद्र में मंत्री बनाकर मिल सकता है लोजपा तोड़ने का इनाम 
दिवंगत रामविलास पासवान के ल‌िए बिहार में पशुपति पारस हमेशा रीढ़ की हड्डी की तरह काम करते थे। जहां पासवान जनाधार वाले नेता थे, उस जनाधार को संभालने में पारस का बड़ा योगदान और मेहनत रही। पर वह कभी अपने बलबूते किसी भी चुनाव में विजयी नहीं हो पाए। उनको या परिवार में रामचंद्र पासवान( अब दिवंगत) को राजनीतिक रूप से विधायक से सांसद बनने में रामविलास पासवान का ही जनाधार और सहारा काम आया। रामचंद्र पासवान के बाद उनके पुत्र प्रिंस राज को भी सांसद बनाया गया। लेकिन पारस की महत्वकांक्षा रामविलास पासवान के बाद उनकी जगह लेने की थी, जिसके लिए उन्होंने पार्टी और परिवार को तोड़ दिया। अब उनकी मंशा पासवान की तरह ही केंद्र में मंत्री बनने की है, जो लोजपा  और पासवान के परिवार में तोड़फोड़ करने के ल‌िए पारस को भाजपा की ओर से बड़ा इनाम होगा, जिसका पार्टी में चर्चा के मुताबिक भाजपा नेतृत्व की ओर से आश्वस्त किया गया है। 

  •   मैंने पार्टी तोड़ी नहीं, बचाई : पारस
बिहार के पूर्व मंत्री और वर्तमान हाजीपुर से सांसद एवं दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस अब कह रहे हैं कि - मैंने पार्टी तोड़ी नहीं, बचाई है। कुछ असामाजिक तत्वों ने आकर हमारी पार्टी में सेंध लगाई। पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गई उन्होंने 99 फीसदी कार्यकर्ताओं की भावना की अनदेखी कर गठबंधन को तोड़ दिया। इसलिए लोजपा को बचाने के लिए उन्होंने सभी सांसदों और कार्यकर्ताओं की राय से पार्टी का काम संभाला है।
 उन्होंने कहा कि भतीजे चिराग  पासवान के ल‌िए कहा कि अगर वो चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं। पिछले साल हमारे भैया रामविलास पासवान का निधन हुआ, उससे पहले करीब 20 बरस उनके नेतृत्व में पार्टी बहुत बढ़िया तरीके से चल रही थी। कहीं कोई शिकवा शिकायत नहीं था। मेरा दुर्भाग्य कहिए कि मेरे बड़े भाई रामविलास पासवान और छोटे भाई रामचंद्र पासवान हमको छोड़कर चले गए। मैं अकेला महसूस कर रहा हूं।'
पारस के मुताबिक कुछ असामाजिक तत्वों ने आकर हमारी पार्टी में सेंध लगाई।  अजीब तरीके से, किसी से दोस्ती करेंगे, किसी से प्यार करेंगे, किसी से नफरत करेंगे। इसका परिणाम यह हुआ कि बिहार में एनडीए गठबंधन कमजोर हुआ, लोक जनशक्ति पार्टी बिल्कुल समाप्ति के कगार पर चली गई।
  • सबकी इच्छा थी कि बिहार चुनाव में एलजेपी एनडीए के पार्ट बनी रहे: पारस 
पशुपति पारस ने कहा कि पार्टी के 99 फीसदी कार्यकर्ता, सांसद, विधायक सभी की इच्छा के बाद हम 2014 में एनडीए गठबंधन के पार्ट बने। सबकी इच्छा थी कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के पार्ट बने रहें। स्वर्गीय पासवान की अंतिम इच्छा थी कि देश का दलित, गरीब, उच्च जाति के गरीब का उत्थान हो। इसलिए उन्होंने दलित सेना और पार्टी का गठन किया। मैं चाहता हूं कि उनकी यह इच्छा सफल हो। वे अमर रहें।

  • जब तक मैं जिंदा हूं, एलजेपी जिंदा रहेगी: पशुपति 
पारस ने आगे कहा कि हमारे दल में छह सांसद हैं। जिसमें पांच सांसद की इच्छा है कि हमारी पार्टी का अस्तित्व खत्म हो रहा है, इसलिए इसे बचा लीजिए। मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है, मैंने पार्टी को बचाया है। स्व. पासवान जी की आत्मा की शांति के लिए जब तक मैं जिंदा रहूंगा, एलजेपी जिंदा रहेगी। चिराग पासवान हमारे भतीजे हैं, हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी अभी तक हैं। मुझे चिराग पासवान से कोई शिकवा शिकायत नहीं है। मुझे इससे आपत्ति नहीं है कि वो पार्टी में रहें।


  •  मैं नीतीश कुमार को अच्छा लीडर मानता हूं : पारस
सांसद पशुपति पारस ने कहा कि मैं एलजेपी के उन कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं जो दूसरे दलों में चले गए हैं, वे वापस पार्टी के साथ जुड़ें। उन्हें जो भी सम्मान रामविलास पासवान देते थे, वही सम्मान मिलता रहेगा। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को मैंने कल शाम आठ बजे पांच सांसदों का पत्र दे दिया है। वो जब बुलाएंगे हम जाएंगे। हमारी पार्टी है, हमारा संगठन है और रहेगा। हम एनडीए गठबंधन के साथ रहेंगे। मैं नीतीश कुमार को अच्छा लीडर मानता हूं। वे विकास पुरुष हैं।


  • चिराग को सभी पदों से हटाया  
लोक जनशक्ति पार्टी के पांच सांसदों (चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह, चंदन सिंह और प्रिंस राज) ने हाजीपुर से सांसद एवं दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस को अपना नेता चुना और राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता की जिम्मेदारी सौंप दी। वहीं, चिराग को सभी पदों से हटा दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को भी इस बारे में खत भेजा गया।




  • पारस के घर गेट पर खड़े रहे चिराग पासवान,  30 मिनट बाद मिला प्रवेश 

लोक जन शक्ति पार्टी के पांच सांसदों ने चिराग पासवान से किनारा बना लिया है. इसकी खबर आते ही राजनीति में भूचाल सा आ गया है. पांच सांसदों के अलग होने की वजह बताई जा रही है कि ये चिराग पासवान के कार्यों से खुश नहीं थे. कई तरह की खबरों के बाद चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस से मिलने के लिए सोमवार को दिल्ली स्थित उनके सांसद आवास पर पहुंच गए। उनकी ओर से यह डैमेज कंट्रोल की आखिरी कोशिश थी, जिसके लिए उन्होंने अपनी मां श्रीमती रीना पासवान को भी आगे किया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। हालत यह रही कि पासवान के सरकारी और निजी आवास में बेरोकटोक घूमने और पूरा दखल रखने वाले पशुपति पारस के घर पर आधा घंटे तक  गेट पर इस तरह खड़े रखा कि जैसे उनको कोई जानता ही नहीं। जब चिराग वहीं खड़े रहे तो गेट खुला, लेकिन उस समय अंदर पारस उनको नहीं मिले और वह बैरंग ही लौट आए। 

  • ...अब चिराग और रीना पासवान को गैर बिहारी साबित करने की होगी कोशिश...


दलित नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस लोक जनशक्ति पार्टी पर कब्जा करने के बाद अब पासवान के पुत्र चिराग पासवान और उनकी दूसरी धर्मपत्नी रीना पासवान को  गैर बिहारी साबित करने के लिए प्रयास करेंगे, ताकि लोजपा और पासवान की राजनीतिक जमीन बिहार से चिराग को हमेशा के लिए बेदखल किया जा सके।

  
  





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