Rajnath Singh`S BHABHAURA : ...जब राजनाथ से उनके बाल सखा ही मुश्किल से मिल पाए

 

  • ...जब राजनाथ से उनके बाल सखा ही मुश्किल से मिल पाए



देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह यूं तो अपने व्यवहार और नपा तुला बोलने के ल‌िए लोकप्रिय माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों उनका पैतृक गांव यूपी के चंदौली का भभौरा मीडिया में छा रहा है। वहां के ग्रामीणों और उनमें भी राजनाथ सिंह के बाल सखा शंभूनाथ की यह टिप्पणी "हम अभी भी 19वीं सदी में जी रहे हैं" काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक रहे राजनाथसिंह इन दिनों देश के रक्षामंत्री हैं और इससे पहले वह जहां गृहमंत्री रहे हैं वहीं केंद्र के कई मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अब तो उनके सुपुत्र पंकज सिंह भी राजनीति में अपना वजूद बनाने के लिए निरंतर लगे हैं और दिल्ली से सटे नोएडा से विधायक और अगली बार लोकसभा के संभावित प्रत्याशी माने जा रहे हैं। ऐसे में उनके पैतृक गांव के लोगों और उनमें भी राजनाथ सिंह के बाल सखा यद‌ि गांव के भरपूर विकास की अपेक्षा रखते हैं, तो इसे जायज ही माना जाएगा।

  • 2004 के बाद राजनाथ सिंह नहीं गए अपने गांव
ग्रामीणों के मुताबिक राजनाथ सिंह 13 साल बाद चंदौली जिले में अपने पैतृक गांव भभौरा 2004  में आए थे। इस गांव में न केवल उनका जन्म हुआ, बल्कि यहीं उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई भी हुई। राजनाथ आखिरी बार 2004 में अपनी भाभी की तेरहवीं में शामिल होने पहुंचे थे। ग्रामीणों के मुताबिक वे उनसे मिलने अक्सर दिल्ली जाते हैं, लेकिन राजनाथ सिंह का इस तरफ आना-जाना न के बराबर है।

  • विकास से राजनाथ का पैतृक गांव भभौरा कोसों दूर 
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बाल सखा और उनके साथ बचपन में पढ़ने वाले शंभूनाथ जब यह कहें कि "सरकार भले ही कहती हो कि सबका साथ सबका विकास" लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है, वे तो अभी भी 19वीं  सदी में ही जी रहे हैं"  अपना फटा कुर्ता दिखाते हुए जब शंभूनाथ मीडिया से अपनी और गांव की दशा बयां करते हुए कहते हैं कि वो मेरे क्लास फेलो थे, लेकिन अब ज्यादा नजदीक नहीं हैं। उन्हें तो अब ये बात कहने में भी शर्म आती है कि वो राजनाथ सिंह के मित्र रहे हैं।  जब वे सीएम थे तब मिलने गए थे। बड़ी मुश्किल से मिलने का मौका मिला था। उनके मुताबिक  भभौरा गांव में तो भाई-भाई में नहीं बनती वो तो वैसे भी बनिया बिरादरी के हैं, जबकि राजनाथ राजपूत। वो अपनी बिरादरी की बात सुनेंगे कि हमारी। शंभू ने अपनी हालत दिखाते हुए इतना तक कहा कि गांव में हालत देख लो पता चल जाएगा कि लोग किस माहौल में जी रहे हैं। "सरकार सबका साथ सबका विकास" की बात तो करती है पर असलियत में ये दिखाई नहीं देता। हम अभी भी 19वीं सदी में हैं, विकास सिर्फ 25-30% का हुआ है।

कोरोना वैक्सीन से डर रहे ग्रामीण
शंभू नाथ ने कोरोना को लेकर मीडिया से कहा कि गांव में कोरोना का असर नहीं है। एक अन्य ग्रामीण का कहना था कि उसने अभी वैक्सीन नहीं लगवाई है। इस गांव की एक महिला ने भी बताया कि उसने भी अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है, क्योंकि उसे लगता है कि इससे जान जा सकती है। एक अन्य ग्रामीण का कहना था कि उसे पता चला है कि वैक्सीन लगवाने से जान चली जाती है। कुछ लोगों की मौत की खबर उन्हें लगी है। जब उनसे कहा गया कि यह भ्रामक प्रचार है तो भी उनपर कोई असर होता नहीं दिखा।

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