चौधरी महेंद्र टिकैत से मेल नहीं खाती राकेश की जीवन शैली
मुबाहिसा: आर. के. मौर्य
भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष चौधरी
महेन्द्र सिंह टिकैत के पहले देश को हिला देने वाले 1987 के आंदोलन
से लेकर उनके निधन तक मैंने उनके मेरठ, दिल्ली समेत तमाम आंदोलन देखे और कवर भी किए। उनकी कई बार हुई गिरफ्तारी से लेकर बसपा शासन काल में तत्कालीन
मुख्यमंत्री मायावती पर अभद्र टिप्पणी करने पर टिकैत को
गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस को रोकने के लिए सिसौली की किलेबंदी को नजदीक से देखा और तमाम
आंदोलनों, पंचायतों व महापंचायतों को खूब कवर भी किया। उनकी सादगी
ने हमेशा मुझे काफी प्रभावित किया। वह इतने बड़े किसान नेता होते
हुए भी सिसौली में हमेशा तड़के ही अपने खेत और खलिहान में
फावड़ा चलाते देखे जाते थे। मैंने उनको कभी एसी में सोते हुए नहीं देखा, उनकी
झलक हालांकि उनके बड़े पुत्र और मौजूदा भाकियू सुप्रीमो नरेश टिकैत
में देखने को मिलती है, जबकि राकेश टिकैत की जीवन शैली कहीं
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की जीवन शैली से मेल नहीं खाती है, यही
कारण रहा है कि राकेश टिकैत को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया।
इन दिनों दिल्ली बार्डर पर जारी किसानों के आंदोलन में भी वह शुरू में बहके हुए दिखे थे, लेकिन
सरकार द्वारा प्रताड़ित किए जाने की कार्यशैली ने आंदोलन समाप्त
करके घरों को लौटते किसानों को आंदोलित कर दिया और पश्चिमी उत्तर
प्रदेश एवं हरियाणा में जाट बाहूल्य किसानों के पहुंचने से आंदोलन
का रुख बदल गया। आंदोलन के रुख बदलने से राकेश टिकैत एक नई
ताकत के रूप में सामने आए। अब तक आंदोलन के जरिए उनकी देशभर में
किसान ताकत बढ़ती नजर आ रही है। ऐेसे में उनको समझना चाहिए कि एसी
तो उनकी हैसियत में है, लेकिन वह आंदोलन कर रहे है।
- राकेश टिकैत के केबिन में एसी और कारपेट पर छिड़ी
बहस
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ
दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के लगभग सात महीने पूरे हो गए
हैं। दिल्ली की सीमाओं पर किसान टेंट लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे
हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश
टिकैत की एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें उनके केबिन में एसी और
कारपेट नजर आ रहे हैं। उनकी यह तस्वीर सामने आने के बाद लोगों ने
अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर जोरशोर से दीं। इनमें कई नामचीन
पत्रकार भी शामिल हैं।
टीवी एंकर आस्था कौशिक ने तस्वीर ट्वीट करते हुए
लिखा कि दिनभर दौड़-धूप करने के बाद मेहनतकश किसान कम से कम
वातानुकूलित शामयाना तो डिजर्व करता ही है। बाकी कार्पेट, गद्दे तो
इतनी बड़ी बात नहीं है…अब बेकार का हल्ला न करें।
एंकर के इसी
ट्वीट पर कटाक्ष करते हुए पत्रकार शोहित मिश्रा ने
लिखा कि, ‘सही बात है…किसान AC में कैसे सो सकता है..किसान का काम
केवल आत्महत्या करना और भूखा, गरीब रहना है। AC में बैठना, करोड़ों
रुपयों की गाड़ियों में घूमना, लाखों रुपयों का सूट पहनना तो नेताओं
का काम है.. आखिर उनसे सवाल कैसे पूछ सकता है कोई.. सवाल तो
किसानों से पूछा जाएगा..समझ सकते हैं।
- आंदोलन पीड़ा, समस्या बयां करने का मंच
आंदोलन में अपनी पीड़ा और समस्या तथा दर्द बयां
करने का मंच बनाया जाता है, इसीलिए आंदोलन के मंच पर धरना, भूख हड़ताल, आमरण अनशन
को अपना हथियार बनाया जाता है। वह अपने घर में एसी उपयोग करते हैं।
उसको लेकर कभी कोई टीका-टिप्पणी नहीं करता है, लेकिन हम अपनी
समस्या बताने के लिए अगर आंदोलन को एसी जैसे विलासिता साधनों से पूर्ण
करेंगे तो इसमें आलोचना होगी ही ?
- धरती थी टिकैत का बिछौना और ट्राली छत
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने अपने जीवनकाल में
असंख्य आंदोलन किए, उनमें ज्यादातर वह ट्रैक्टर की ट्राली के नीचे ही जमीन
पर सोते नजर आते थे। उनको तो लोगों ने आंदोलन के दौरान कभी बिजली के पंखे की हवा
खाते भी नहीं देखा। उनकी इसी सादगी और गंवई अंदाज ने ग्रामीण किसानों
को उनका दीवाना बना दिया और देश में राष्ट्रीय किसान नेता का दम
भरने वाले बड़े-बड़े नेता उनके सामने बौने नजर आने लगे थे। उनके खिलाफ
भी सरकार ने कई बार दमनकारी कार्रवाई की, लेकिन कोई भी टिकैत को कमजोर
नहीं कर पाया और उन्होंने हमेशा अपनी मर्जी से ही बेमियादी
आंदोलनों को समाप्त किया। दिल्ली हो या मेरठ सभी जगह पर उन्होंने
आंदोलनों की नई इबारतें लिखकर देश ही नहीं पूरे विश्व की मीडिया
में सुर्खियां बटोरीं। ऐसे में राकेश टिकैत को आत्ममंथन कर आगे
बढ़ने के लिए कहीं न कहीं अपने पिता स्व.चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की
ही जीवन शैली को आत्मसात करना होगा, तब ही वह असल में किसान नायक
बन पाएंगे !
- पहले शामली आंदोलन में दो किसान हुए थे शहीद
भारतीय किसान यूनियन का पहला आंदोलन शामली में
हुआ था। दिसंबर 1986 में ट्यूबवेल की बिजली दरों को बढ़ाए जाने के
ख़िलाफ़ हुए इस आंदोलन के दौरान एक मार्च 1987 को किसानों के एक
विशाल प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में दो किसान और पीएसी का
एक जवान मारा गया था। इसी घटना के बाद शुरू हुए किसान आंदोलन ने ही
वास्तव में देखते ही देखते चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को राष्ट्रीय
स्तर पर चर्चित बना दिया था।
- महेंद्र सिंह टिकैत ने ठप कर दी थी दिल्ली
राजधानी बार्डर पर इन दिनों पिछले कई माह से
किसान आंदोलन को देखकर लोगों को तीन दशक पुराना एक किसान आंदोलन
भी याद आता है। टिकैत के नेतृत्व में कई आंदोलन हुए, लेकिन एक
आंदोलन ऐसा भी था, जिसे देख केंद्र सरकार तक कांप गई थी। 1988
के दौर की बात है नई दिल्ली वोट क्लब में 25 अक्तूबर, 1988 को
बड़ी किसान पंचायत हुई। इस पंचायत में 14 राज्यों के किसान आए
थे। करीब पांच लाख किसानों ने विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक
कब्जा कर लिया था। 33 साल पहले भारतीय किसान
यूनियन के संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने दिल्ली को ठप कर
दिया था। उस वक्त केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी, उन्हें
किसानों के आगे झुकना ही पड़ा था। सात दिनों तक चले इस किसान आंदोलन का इतना व्यापक
प्रभाव था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार दबाव में आ गई थी। आखिरकार
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पहल करनी पड़ी तब जाकर
किसानों ने अपना धरना खत्म किया था। इस आंदोलन से चौधरी टिकैत ने
वह कद हासिल कर लिया कि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री भी
उनके आगे झुकने लगे थे। और आंदोलन के लिए दिल्ली से बाहर
आंदोलन स्थल निर्धारित करने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया था। उसके
बाद वोट क्लब पर हमेशा के लिए आंदोलन करने पर पाबंदी लगा दी गई।
- टिकैत का जीवन सफर कांटों भरा रहा
1935 में मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में जन्मे
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का पूरा जीवन ग्रामीणों को संगठित करने
में बीता। भारतीय किसान यूनियन के गठन के साथ ही 1986 से उनका
लगातार प्रयास रहा कि यह अराजनीतिक संगठन बना रहे। 27 जनवरी, 1987
को करमूखेड़ी बिजलीघर से बिजली के स्थानीय मुद्दे पर चला आंदोलन
किसानों की संगठन शक्ति के नाते पूरे देश में चर्चा में आ गया,
लेकिन मेरठ की कमिश्नरी 24 दिनों के घेराव ने चौधरी टिकैत को
वैश्विक क्षितिज पर ला खड़ा किया। इस आंदोलन ने पूरी दुनिया में
सुर्खियां बटोरीं। ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZJzpjcTAsOZ_Vlb5d-6z9GkVLvlNjLBcjknGZ0-06L1bo7dmZV3flY5KZr4UJaTaCPKvV-tzFxhjeADqwZXVza2BLOAyib-QUpyA0y6Xf_16pAaykz8WFXcHny5cbQpbnmaDBjy4NBK8/s320/pic%25281%2529.jpg)
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- साभार:
- आर.के. मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार
As you mentioned the farmer protest led by Tikait is on next to withdraw 3 farm laws. Blogtipshub is the best source to get latest blog tips on how to blog, SEO, Marketing and so on.
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