Another way to end the scholarship of Dalits, only the children of illiterate will get priority in UttarPradesh

  • दलितों की छात्रवृत्ति समाप्त करने का एक और रास्ता, अनपढ़ की संतान को ही मिलेगी प्राथमिकता


फोटो : प्रतीकात्मक



त्तर प्रदेश की भाजपा सरकार धीरे-धीरे दलित छात्रों की छात्रवृत्ति समाप्त करने की ओर बढ़ रही है। एक जानकारी के अनुसार हर साल आधे से आधे अधिक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति मिलना तो दूर उच्च शिक्षा प्राप्त कर छात्रों की शुल्क क्षतिपूर्ति का भी पूरा भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण हर साल तमाम छात्रों को संस्थानों से निकाला जा रहा है। उनको परीक्षा देने से रोका जा रहा है।  अब यूपी सरकार ने छात्रवृत्ति देने की नियमावली में बदलाव किया है, जिससे अनुसूचित जाति के उन छात्रों को ही छात्रवृत्ति देने में प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके माता-पिता अनपढ़ होंगे। इसके लिए पहले से ही  वरीयता तय करने के लिए वेटेज अंकों के नियमों की मार झेल रेह लोगों को अब वरीयता नियमावली में भी हुए बदलाव का दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा।

जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अब शासकीय एवं शासकीय सहायता प्राप्त संस्थाओं से हाईस्कूल अथवा इंटर करने वाले छात्रों को 10,  माता-पिता दोनों के अनपढ़ होने पर आठ, जबकि किसी एक के अनपढ़ होने पर छह वेटेज अंक मिलेंगे। वेटेज अंक बराबर होने पर अधिक आयु वाले अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी। जबकि अभी तक यह वेटेज अंक उन्हें पिछली कक्षा के प्राप्तांक और पाठ्यक्रम के आधार पर दिए जाते थे।

साथ ही प्रोफेशनल कोर्सों में शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए दलित छात्रों के ल‌िए स्नातक में 55 फीसदी अंकों की बाध्यता खत्म हो गई है। ऐसे अनुसूचित जाति के छात्र जिन्होंने स्नातक में 50 फीसदी अंक पाए हैं और प्रोफेशनल कोर्सों में दाखिला लिया है, अब वे भी छात्रवृत्ति के आवेदन कर सकेंगे। हालांकि मैनेजमेंट कोटा, स्पॉट काउंसिलिंग से एडमिशन लेने वालों को यह सुविधा नहीं मिलेगी।

भले ही उत्तर प्रदेश सरकार अपने इस बदलाव को प्रचारित करते हुए दावा कर सकती है कि उनकी कोशिश समाज के उन लोगों तक मदद पहुंचाने की है जो वास्तव में इस सुविधा के लिए जरूरतमंद है। देश में अपनी मनमर्जी चला रही सरकारों के कारण अब तक सौ फीसदी छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति को कुछ लोगों तक ही सीमित करते हुए पूरी तरह समाप्त करने की साजिश के रूप में देखा जा रहै है।  






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