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 बाबर वास्तव में हीरो था या लुटेरा ?

मुबाहिसाः आर.के. मौर्य 


भारत में इन दिनों एक वेब सीरीज "द एंपायर" चर्चा में है, जिसमें भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक आक्रमणकारी बाबर का एक अलग रूप दिखाकर कुछ महामंडन करने की कोशिश करने का आरोप लग रहा है। बाबर वास्तविकता में हीरो था या लुटेरा आक्रमणकारी, इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी हुई है। इतिहास के पन्नों पर भी बाबर की वास्तविकता को लेकर सटीक दावा नहीं किया जा सकता है, चूंकि इतिहासकारों ने कहीं न कहीं छलकपट करके अपने व्यक्तिगत विचारों का घालमेल करके सत्यता को छिपाने का काम किया है? वेब सीरीज में भी यह साफ दिखता है। सीरीज के पहले सीजन के आठों एपीसोड में कहीं भी उनके द्वारा कसबों, जनपदों को लूटने के दौरान की गई क्रूरता नहीं दिखाई गई है, जबकि माना जाता है कि काबूल का शासक बनने से पहले वह निरंतर लूटमार करते हुए अपने साथ हजारों की संख्या में शामिल सैनिकों का भरण पोषण करता रहा।

डिजनी प्लस हॉटस्टार सोशल मीडिया पर विवादों में फंसता दिख रहा है. दरअसल, मुगलों के इतिहास पर बने डिजनी के एक्सक्लूसिव सीरीज द एम्पायर (The Empire web series) को लेकर सोशल पर एक समूह ने जबरदस्त नाराजगी दिखाई है. सीधा आरोप लगाया गया है कि वेब सीरीज के जरिए मुगलों को महिमामंडित किया जा रहा है। द एम्पायर का पहला सीजन खूब देखा जा रहा है। लोगों में इसको लेकर बराबर चर्चा भी हो रही है। पहले सीजन के आठों एपीसोड में भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना करने वाले बाबर का जीवन दिखाया गया है। इन एपीसोड में अफगानिस्तान से भारत पहुंचने, इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली में सल्तनत बनाने के बाद बाबर की मौत तक की कहानी को दिखाया गया है।

  • सीरीज का सोशल मीडिया पर विरोध

हकीकत में पिछले दिनों से लगातार मुगलों को लेकर तीखी बहस जारी है। द एम्पायर की वेब सीरीज आते ही यह बहस और तेज हो गई है। सीरीज का विरोध भी हो रहा है और इसके बहिष्कार और न देखने की भी अपील की जा रही है। सीधे सीधे डिजनी पर मुगल आक्रमणकारियों को महिमामंडित करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए इसे शर्मनाक बताया जा रहा है। अलग-अलग ट्रेंड पर प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है। कई हैशटैग जैसे #TheEmpireStreamingNow #UninstallHotstar #ISupportManojMuntashir और बाबर टॉप ट्रेंड में है. ट्विटर पर यूजर्स एप को अनइंस्टॉल और डिलीट कर स्क्रीनशॉट भी साझा कर रहे हैं। विरोध करने वालों में कई बीजेपी नेता भी शामिल हैं। 

  • डिजनी का बड़ा फैसला

विदेशी आक्रमणकारी खासकर मुगलों का मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में राजनीतिक इतिहास एक वर्ग के निशाने पर हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान देखने को मिला है कि बॉलीवुड में ऐसे संवेदनशील विषयों को छूने में निर्माताओं ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। खबर तो यह भी थी कि मुगलिया इतिहास के एक हिस्से पर बन रही करण जौहर की तख्त में निवेशकों ने विषय की वजह से हाथ पीछे कर लिए थे। निवेशकों में कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म भी शामिल थे। वजह देश का मौजूदा सियासी माहौल ही माना जा रहा है। आशंका थी कि लोग ऐसी कहानियों को खारिज कर देंगे। बजट और निवेशकों के रवैये की वजह से करण जौहर को फिलहाल तख्त से पीछे हटना पड़ा है। यह बात कुछ हफ्ते पहले ही सामने आई थी। ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों में "द एम्पायर" के साथ डिजनी का जुड़ना बड़ा फैसला है।


  • "द एम्पायर" में बाबर का महिमामंडन ?

वेब सीरीज "द एंपायर" अलेक्स रदरफोर्ड की किताब "एंपायर आफ द मुगल" पर आधारित है। किताब में बाबर के बचपन से लेकर जवानी तक और भारत में उसके प्रवेश, मुगल साम्राज्य की स्थापना के बारे में विस्तार से चर्चा है। बाबर के बाद औरंगजेब तक की दास्तान किताब में दी गई हैं। चूंकि वेब सीरीज इस किताब पर आधारित है और किताब में नायक मुगल ही हैं। स्वाभाविक रूप से विपरीत हालत में अफगानिस्तान से निकलकर साम्राज्य बनाने तक की कहानी में बाबर ही हीरो की तरह नजर आता है। इतिहास का यह फैक्ट भी है कि बाबर की बहादुरी, नेतृत्व क्षमता, युद्ध कौशल आदि की तारीफें मिलती हैं। मध्यकाल में बाबर ने एक ऐसी सल्तनत की नींव रखी थी, जिसने आगे चलकर अंग्रेजों के आगमन तक देश के सर्वाधिक हिस्से पर सबसे लंबे समय तक राज किया। उस दौर की राजनीतिक व्यवस्था में योद्धा जिस तरह से परस्पर लूटपाट, संघर्ष और उत्पीडन में शामिल रहते थे, ठीक बाबर ने भी वैसे ही किया लेकिन साथ में यह भी फैक्ट है कि बाबर हमलावर था और साम्राज्य बनाने के लिए उसने खौफनाक लूटमार, लड़ाइयां कीं। उसपर तलवार के बूते धर्मांतरण, हिंदू मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों को तोड़ने के आरोप भी हैं. इतिहास में इन चीजों को जानबूझकर तवज्जों नहीं देने का आरोप लगाया जाता है. फिलहाल मुगलों और बाबर के विरोध के पीछे यही वजहें अहम हैं। इस वेब सीरीज में ऐसा कोई एक भी दृश्य नहीं दिखाया गया है, बल्कि बाबर को इंसानीयत की बात करते हुए "धर्म इंसान के लिए बना है, इंसान धर्म के लिए नहीं" कहते दिखाया गया है। सीरीज में बाल्यकाल से लेकर मरने तक हर दृश्य बाबर को हमारी भारतीय फिल्मों की तरह विलेन होते हुए हीरो के रूप में पेश करने जैसा लगता है। चूंकि यह इतिहास के पन्नों से ली गई कहानी है, तो वास्तविकता को अधिक दिखाने की कोशिश होनी चाहिए थी।


  • एक साम्राज्य बनने की कहानी है "द एम्पायर" 

बाबर कहानी का नायक है। स्वाभाविक है कि इसमें उसकी उपलब्धियों की गाथा है। कहानी के नायक बाबर या मुगल ही हैं और यही वजह है कि ऐतिहासिक आधार पर मुगलों का विरोध करने वालों को "द एम्पायर" में मुगलों का महिमामंडन दिख रहा है। "द एम्पायर" में फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के छोटे भाई अजिताभ बच्चन के दामाद कुणाल कपूर ने बाबर की भूमिका निभाई है। शबाना आजमी दौलत बेगम की भूमिका में हैं। दौलत बेगम एक तरह से बाबर की निगरानी करती हैं। दृष्टि धामी ने बाबर की बड़ी बहन का किरदार निभाया है। वजीर खान की भूमिका में राहुल देव हैं। डिनो मोरिया ने मोहम्मद शयबानी की भूमिका निभाई है। असल में मोहम्मद शयबानी ही "द एम्पायर" के पहले सीजन का खलनायक है, जो नायक बाबर के खिलाफ साजिशकर्ता, उत्पीड़क और वहशी नजर आता है।


  • "अनछुआ रहा बाबरी मस्जिद का मुद्दा"

भारत में  बाबर को आक्रमणकारी माना जाता हैं और अयोध्या में बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद के लिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन वेब सीरीज "द एंपायर" में इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं दिखाया गया है। ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर 14 फ़रवरी 1483 को अन्दिजान में पैदा हुए थे, आन्दिजान फ़िलहाल उज़्बेकिस्तान का हिस्सा है। आक्रमणकारी हों या विजेता, लेकिन ऐसा लगता है कि बाबर के बारे में आमतौर से लोगों को न तो अधिक जानकारी है और न ही दिलचस्पी। इसी कारण समय-समय पर इतिहासकारों ने अपने खुद के विचारों के अनुरूप अपनी मनमर्जी से कई घटनाक्रमों को पेश किया है। आम धारणा यही है कि बाबर ने ही अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर मस्जिद बनाई थी, जिसको छह दिसंबर 1992 को तोड़ दिया गया और इससे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच नफरत की खाई गहरी हो गई।

मुग़ल सम्राटों में अकबर और ताजमहल बनवाने वाले शाहजहाँ के नाम सबसे ऊपर माने जाते हैं. लेकिन जैसा कि इतिहासकार हरबंस मुखिया कहते हैं कि बाबर का व्यक्तित्व संस्कृति, साहसिक उतार-चढ़ाव और सैन्य प्रतिभा जैसी ख़ूबियों से भरा हुआ था।

हरबंस मुखिया कहते हैं कि यह आम ग़लतफ़हमी है कि अयोध्या की विवादास्पद बाबरी मस्जिद बाबर ने बनवाई थी। उनके मुताबिक़, बाबरी मस्जिद का ज़िक्र बाबर के ज़िंदा रहने तक या उसके मरने के भी कई सौ साल तक नहीं मिलता।

  • पानीपत में बनवाई थी बाबर ने मस्जिद


बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई में जीत की ख़ुशी में पानीपत में ही एक मस्जिद बनवाई थी, जो आज भी वहीँ खड़ी है और इसकी देखरेख और रखरखाव पुरातत्व विभाग करता है। मैंने भी पानीपत में अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2000 में इस मस्जिद को देखा था। उस समय इस मस्जिद की देखभाल और रखरखाव में पुरातत्व विभाग की ओर से अनदेखी पर सवाल खड़ा किया गया था। दिल्ली से एक सांसद के नेतृत्व में एक टीम का भी दौरा हुआ था और उसके बाद मस्जिद की मरम्मत की गई थी।

इतिहासकार मुखिया तो यह भी कहते हैं कि अगर बाबर भारत न आता, तो शायद भारतीय संस्कृति के इंद्रधनुष के रंग फीके रहते। उनके अनुसार भाषा, संगीत, चित्रकला, वास्तुकला, कपड़े और भोजन के मामलों में मुग़ल योगदान को नकारा नहीं जा सकता।


  • बाबर से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से


1. बाबर दुनिया के पहले शासक थे, जिन्होंने अपनी आत्मकथा बाबरनामा लिखी, जिसमें  उनके जीवन की नाकामियां और कामयाबी भरी पड़ी है.

2. हरबंस मुखिया के अनुसार बाबर की सोच थी कि कभी हार मत मानो. उन्हें समरक़ंद (उज़्बेकिस्तान) हासिल करने का जुनून सवार था। यह वेब सीरीज "द एंपायर" में भी दिखाया गया है। उन्होंने समरक़ंद पर तीन बार क़ब्ज़ा किया, लेकिन तीनों बार उन्हें निर्वासित होना पड़ा।

3.समरक़ंद का राजा बनने की इच्छा अधूरी रही, लेकिन उनके बाप द्वारा दिखाए गए हिंदुस्तान को फतह करने का इरादा उन्होंने काबुल का बादशाह बनने के बाद भी नहीं छोड़ा। भारत में भले बाबर को वो सम्मान नहीं मिला, जो उनके पोते अकबर को मिला था, लेकिन उज़्बेकिस्तान में बाबर को वही दर्जा हासिल है जो भारत में अकबर को।

4.बाबर की किताब के कई शब्द भारत में आम तौर से प्रचलित हैं. "मैदान" शब्द का भारत में पहली बार इस्तेमाल बाबरनामा  से ही किया जाना माना जाता है। प्रोफ़ेसर हरबंस मुखिया के मुताबिक आज भी भारत में बोली जाने वाली भाषाओँ में तुर्की और फ़ारसी शब्दों का प्रयोग आम है।

5.प्रोफ़ेसर मुखिया के अनुसार तुर्क भाषा में कविता लिखने वाली दो बड़ी हस्तियां गुज़रीं, उनमें से एक बाबर थे। बाबर की कठोरता की मिसालें मिलती हैं, लेकिन उनकी मृदुलता के भी कई उदाहरण हैं। एक बार वे जंग की तैयारी में लगे थे कि किसी ने उन्हें ख़रबूज़ पेश किया, जिसपर बाबर ख़ुशी से रो पड़ा। सालों से उसने ख़रबूज़े की शकल नहीं देखी थी।

6. बाबर 12 वर्ष की उम्र में राजा बने, लेकिन 47 साल की उम्र में मरते दम तक वे युद्ध में जुटे रहे। इसके बावजूद बाबर ने पारिवारिक ज़िम्मेदारियां निभाईं. उनकी ज़िन्दगी पर माँ और नानी का गहरा असर था। वेब सीरीज "द एंपायर" में बाबर की नानी की भूमिका में फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने अपने अभिनय की बेहतरीन अदायगी की है। बाबर अपनी बड़ी बहन के लिए एक आदर्श भाई थे। सीरीज में बहन की भूमिका दृष्टि धामी ने निभाई है। नानी के साथ बड़ी बहन ही बाबर के लिए मुख्य सलाहकार थी, जिसने उसको समरकंद पर जीत हासिल कराई और बाद में काबूल का बादशाह बनने पर हिंदुस्तान की ओर रुख किया।  .

7. मुग़ल बादशाह हुमायूं बाबर के सबसे बड़े बेटे थे। उनके लिए बाबर एक समर्पित पिता थे। इब्राहीम लोधी से युद्ध में लड़ने के दौरान बुरी तरह घायल हुए हुमायूं घरेलू साजिश  में जख्मों से जहर के स्पर्श से बुरी तरह बीमार हो गए थे। बाबर ने बीमार हुमायूं के लिए ख़ुदा से दुआ मांगी कि उनके बेटे को स्वस्थ कर दे और उसकी जगह पर उनकी जान ले ले। इसके बाद हुमायूं तो ठीक हो गए, लेकिन बाद में बाबर बीमार हो गए और उनकी मौत हो गई। वेब सीरीज में बाबर की मौत और बीमार हुमायूं के ठीक होने के दृश्य को बहुत ही अच्छे से दिखाया गया है। 

  • लेखक: आर. के. मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार।
  • नई दिल्ली

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