Friends meeting with KBC winner Susheel Kumar for nature conversion

महात्मा गांधी के सत्याग्रह वाले चंपारण को अपनी पहचान दिलाने में जुटे केबीसी करोड़पति सुशील कुमार




चंपा चंपारण और चमत्कार

मोतिहारी पूर्वी चंपारण (बिहार) में इन दिनों शेयर योर ह्यूमैनिटी की संस्थापिका मोनी बिजय आई हुई हैं। उन्होंने बताया कि केबीसी विजेता सुशील कुमार ने बिहार के चंपारण जिले में न सिर्फ चंपा का फूल लगाकर लोगों को  चमत्कृत किया है, बल्कि अपने सादगी अंदाज और सरल स्वभाव से मानव जीवन में सरल रहने का उत्तम संदेश दिया हैं।
मोनी बिजय ने अपने निवास स्थान,चंपारण मोतिहारी में अपनी भारत यात्रा की  इस अवधि में भी अपने मानवता  मंत्र के उद्देश्य को फैलाने का कार्य किया है। उन्होंने अपने निवास स्थान पर गौरैया घोंसला और चंपा का फूल लगाया तथा शेयर योर ह्यूमैनिटी की तरफ से दो अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर प्रकृति संरक्षण की महिमा सबमें विस्तृत करने के लिए  सुशील कुमार के कर कमलों द्वारा 25 घोंसले गौरैया के लिए तथा 115 चम्पा के फूलों को लगाने का कार्य  कराया। इसके लिए  सुशील कुमार  को अनुदान देकर उनसे आग्रह किया की वह इसे लोगों में बांटकर प्रकृति प्रदत्त इन दोनों सुंदर रचनाओं में बढ़ोतरी करें। 
इस दौरान सुशील कुमार के साथ मोनी बिजय और उनके परिवार ने उनके साथ कुछ समय भी बिताया। इस दौरान परिवार, प्रकृति, समाज और सहयोगतामक भावना को लेकर चर्चा भी की गई।
शेयर योर ह्यूमैनिटी और शेयर योर टैलेंट एंड क्रिएटिविटी की संस्थापिका मोनी बिजय अपने पिता डॉक्टर प्रभात कुमार सिन्हा के मठिया जिरात मोतिहारी  स्थित आवास पर भारत में आई हूं। भारत यात्रा के दौरान वह भ्रमण करते हुए प्रकृति संरक्षण के ल‌िए नए-नए अनुभव प्राप्त कर रही हैं। वह नेपाल और दोहा (यूएई) में रहते हुए भी आत्मसंतुष्टि वाले तमाम कार्यों से जुड़ी रहती है।

  •  प्रकृति संरक्षण अभियान में जुटे केबीसी करोड़पति सुशील कुमार

महात्मा गांधी ने चंपारण से ही सत्याग्रह की शुरुआत की थी। बाद में चंपारण क्षेत्र दो जिलों में बंट गया जो अब पूर्वी चंपाारण और पश्चिमी चंपारण के नाम से जाना जाता है। सुशील कुमार पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतीहारी में रहते हैं। महत्मा गांधी के आंदोलन से देश दुनिया में पहचान बनाने वाले चंपारण की अपनी खोई पहचान को दोबारा दिलाने के लिए जारी सुशील कुमार के इस प्रकृति संरक्षण अभियान में वर्षों से पर्यावरण बचाने में लगे तमाम व्यावसायी, सामाजिक कार्यकर्ता उनके साथ जुड़ रहे हैं।

  • 'चंपा' से चंपारण की पहचान

फिल्म अभिनेता  अमिताभ बच्चन के टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) में पांच करोड़ रुपये जीतकर देश में अपना नाम रोशन करने वाले सुशील कुमार कई वर्षो से अपने गृह क्षेत्र चंपारण की पुरानी पहचान लौटाने में जुटे हैं। इसके पीछे दरअसल सुशील कुमार की चंपारण की खोई हुई पुरानी पहचान को वापस दिलाने की मंशा है जिसके लिए वह  'चंपा से चंपारण' अभियान चला रहे हैं।
देखा जाता है कि सुशील कुमार चम्पारण के चप्पे चप्पे पर चंपा का पौधा लगाने में जुटे हैं। सुशील कुमार का दावा है कि उन्होंने अब तक करीब एक लाख चंपा के पौधे लगवाए हैं।
सुशील कुमार ने कई अवसरों पर विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों से मुलाकात में कहा है कि चंपारण का असली नाम 'चंपाकारण्य' है. इसकी पहचान यहां के चंपा के पेड़ से होती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता गया, यहां से चंपा के पेड़ समाप्त होते चले गए। आज चंपारण में चंपा के पेड नदारद दिखते हैं। सुशील के मुताबिक 'मेरा यह अभियान विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर 22 अप्रैल, 2018 से शुरू हुआ था' इसके तहत निरंतर चंपा के पौधे चंपाराण में लगाए जा रहे हैं.'
उनके मुताबिक शुरुआत में इस अभियान में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब लोग खुद 'चंपा से चंपारण' अभियान से जुड़ रहे हैं. सुशील कहते हैं कि चंपारण जिले के गांव से लेकर शहर और कस्बों के घरों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है।
सुशील कुमार के मुताबिक इस अभियान के तहत लोग घरों में पहुंचकर उस घर के लोगों से ही चंपा का पौधरोपण करवाते हैं। महीने में एक बार लगाए गए पौधे की गिनती की जाती है। गिनती की प्रक्रिया के दौरान अगर पौधा किसी वजह से सूखा या नष्ट पाया जाता है, तब फिर उस जगह पर एक और पौधा लगा दिया जाता है।

  • अब नई पहचान "चंपा और पीपल वाले सुशील कुमार"
केबीसी के 'करोड़पति' के साथ ही अपने क्षेत्र में पहचान बना चुके सुशील की पहचान अब चंपा और पीपल वाले के रूप में हो गई है। वह कहते हैं कि ऐसा नहीं कि सिर्फ चंपा के ही पौधे लगाए जा रहे हैं। खुले स्थानों जैसे मंदिर, स्कूल परिसरों, पंचायत भवनों, और अस्पताल परिसरों में पीपल और बरगद के भी पौधे लगाए जा रहे हैं। इस कार्य में संबंधित ग्राम पंचायत के मुखिया, वार्ड पार्षदों की भी मदद ली जाती है। शुरुआत में उन्होंने अपने पैसे लगाकर चंपा के पौधे खरीदकर घर-घर जाकर लगवाए, लेकिन फिर बाद में सामाजिक लोग मदद के लिए सामने आए। सुशील पौधा लगाने की तस्वीर भी वे अपने सोशल मीडिया पर डाल देते हैं।





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