Bihar Pashupati Paras-Chirag battle, election symbol seized by Election Commission Delhi

 

पशुपति पारस-चिराग की लड़ाई आगे बढ़ी, चुनाव चिह्न जब्त


राजनीति को रणभूमि बना रहे केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने आखिर दिखा दिया कि जिस भाई रामविवास पासवान ने उनको यहां पहुंचने के काबिल बनाया, उन्हीं के लगाए पौधे लोक जनशक्ति पार्टी को ध्वस्त करने में वह कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव चिह्न को ही जब्त कर लिया है। अब दोनों ही गुट इसका उपयोग नहीं कर पाएंगे। यह तब हो रहा है जब बड़े भाई रामविलास पासवान का नाम लेकर उनको भगवान के समान दर्जा देने का दंभ भरने वाले पशुपति पारस पासवान की पहली पूण्यतिथि पर बिहार में बड़ा जलसा करने की तैयारी में जुचे हैं. और चिराग पासवान ने बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू के खिलाफ उपचुनाव में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान किया हुआ है। अब दोनों ही गुट पार्टी के चुनाव चिह्न "बंगला" का प्रचार नहीं कर पाएंगे। ऐसे में पूण्यतिथि पर जलसा करने का भी कोई औचित्य पार्टी कार्यकर्ताओं को समझ में नहीं आ रही है।          
देश के प्रमुख दलित नेता रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन के बाद से लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) कब्‍जाने को लेकर चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति कुमार पारस के बीच चल रही तनातनी के बीच चुनाव आयोग (Election Commission) ने लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न को जब्‍त (Freeze) करने का आदेश कर दिया है।  चुनाव आयोग की ओर से पार्टी के चुनाव चिह्न को जब्त करने का फैसला ऐसे समय लिया गया है जब बिहार में दो खाली पड़ी सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। इसके लिए नामांकन भी शुरू हो चुका है। 20 सितंबर को ही चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा उपचुनाव (2 सीटों) के लिए पार्टी के चुनाव चिह्न  (बंगले) पर अपना अधिकार होने का दावा किया था।

चुनाव आयोग में जब यह मामला पहुंचा तो आयोग ने तीन विकल्‍पों पर विचार किया। इसमें पहला था अंतिम निर्णय होने तक पार्टी के चुनाव चिह्न को अंतरिम आदेश के साथ फ्रीज करना और पार्टी के दोनों गुटों को अलग-अलग प्रतीकों पर उपचुनाव लड़ने की अनुमति देना। दूसरा लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान के गुट के साथ चुनाव चिह्न जारी रखना और तीसरा पशुपति पारस के धड़े को लोजपा का पार्टी सिंबल देना, लेकिन अंत में चुनाव आयोग ने पार्टी चुनाव चिह्न को फ्रीज करने का फैसला लिया।

लोक जनशक्ति पार्टी में संकट तब शुरू हुआ जब इस साल जून में 5 सांसद चिराग पासवान से अलग होकर पशुपति पारस के खेमे में चले गए। बाद में, पशुपति पारस ने पटना में खुद को पार्टी अध्यक्ष घोषित कर दिया और वहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय को भी कब्जा कर लिया।

  • ठ अक्टूबर को मनाई जाएगी पासवान की पुण्यतिथि

पुर्णियाः पूर्व विधायक शंकर सिंह के आवास पर सदस्यता अभियान को लेकर एक बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता लोजपा जिला अध्यक्ष सौरभ झा ने की। बैठक में मुख्य अतिथि बिहार प्रदेश सदस्यता अभियान प्रभारी संजय रविदास, प्रदेश महासचिव विभूति पासवान एवं पूर्व विधायक शंकर सिंह शामिल उपस्थित रहे। बैठक में सदस्यता अभियान प्रभारी संजय रविदास ने कहा कि बिहार के हर जिले में दौरा कर संगठन को बूथ स्तर तक पहुंचाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसी लक्ष्य को प्राप्त करने के क्रम में वे पूर्णिया पहुंचे है। उन्होंने पूर्णिया के सभी साथी से अनुरोध किया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का जो नारा है बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट इस नारे को सही रूप देने के लिए पार्टी को बूथ स्तर तक पहुंचाना है।
पूर्व विधायक शंकर सिंह ने कहा कि लोजपा के संस्थापक स्वर्गीय राम विलास पासवान का जो सपना था, उसको साकार करने के लिए पूर्णिया जिला का एक-एक कार्यकर्ता प्रतिबद्ध है। सिंह ने कहा कि लोजपा को घर-घर तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। आगामी 8 अक्टूबर को लोजपा के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान की पुण्यतिथि को पूर्णिया में भव्य रूप से मनाया जाएगा। लोजपा के वरिष्ठ नेता वैधनाथ सिंह एवं जिला अध्यक्ष सौरभ झा ने कहा कि आगामी 8 अक्टूबर को लोजपा के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान की पुण्यतिथि की तैयारी के लिए सभी कार्यकर्ता अभी से लग जाएं। बैठक में उपस्थित मुख्य रूप से छात्र जिला अध्यक्ष सुमित झा बाबा, लोजपा जिला उपाध्यक्ष सत्यम ठाकुर, युवा जिला अध्यक्ष विक्रम पासवान, दलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रवीण पासवान, नगर अध्यक्ष प्रशांत झा, जिला सचिव अंकित राज, जिला महासचिव मुकेश झा, अमित कुमार, सौरभ कुमार गुप्ता, मुरारी कुमार झा, अंकित कुमार, विकास कुमार, विक्रांत कुमार, आदित्य कुमार, प्रशांत पासवान, अभिनव आनंद, शंकर चौधरी, जिला महासचिव अनिल सिंह व लोजपा नेता चंद्र किशोर यादव सहित दर्जनों लोजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे


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