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गोरखपुर कांड: विश्व पर्यटन दिवस पर  निरकुंश पुलिस ने की अवैध वसूली के लिए पर्यटक कारोबारी की हत्या  




सीएय योगी के विश्व पर्यटन दिवस पर संदेश की भी नहीं रखी लाज 


मुबाहिसाः आर.के. मौर्य

त्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर पूरे देश और विश्व भर के पर्यटकों को यह संदेश दिया कि 
"आध्यात्मिक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण, ऐतिहासिक एवं अतुल्य लोक संस्कृतियों की संगम स्थली उत्तर प्रदेश विश्व का शानदार पर्यटन स्थल है। 
 "अतिथि देवो भव:" धारण किए हुए प्रदेश में सभी पर्यटन प्रेमियों का हार्दिक स्वागत व अभिनंदन है" 




लेकिन उनके इस संदेश पर उत्तर प्रदेश का पुलिस और प्रशासन कितना गंभीर और जिम्मेदार है, यह इसी बात से स्पष्ट होता है कि विश्व पर्यटन दिवस पर ही उत्तर प्रदेश में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह नगर गोरखपुर में घूमने के लिए गए कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता व उनके दो मित्रों को अवैध वसूली के लिए होटल के कमरे में मध्य रात्रि में बिना किसी ठोस वजह या सूचना के घुसकर तलाशी के नाम पर बुरी तरीके से पीटा गया, जिसमें आई गंभीर चोट से मनीष गुप्ता की मौत हो गई। पुलिस इस मामले में गोरखपुर से लेकर कानपुर तक लीपापोती करने में जुटी रही और सरकार मूकदर्शक बनी देखते रही, यह तो आगामी विधानसभा चुनाव के दौर में सक्रिय सभी विपक्षी दलों ने इस मामले को हाथों-हाथ उठा लिया और कुछ जिम्मेदार  मीडिया की कवरेज से कारोबारी की अडिग पत्नी मीनाक्षी की आवाज बुलंद हो गई, वरना इस मामले को भी बिकरू कांड की तरह एक दुर्घटना साबित करने में जुटे पूरे पुलिस प्रशासन और सरकार के मंसूबे एक बार फिर सफल हो जाते, जिसमें निर्दोष पर्यटक कारोबारी की पुलिस द्वारा हत्या भी एक हादसा बनकर रह  सकती थी ! 
मुख्यमंत्री के आश्वासन पर मुकदमा तो लिखा गया, लेकिन अभी भी प्रदेश का पुलिस  अमला इस जुगत में लगा है कि इस जघन्य  अपराध को एक हादसा बता साबित करने की लीपापोती से बाज नहीं आ आ रहा है। इसी का तो परिणाम है कि मात्र आरोपी पुलिस कर्मियों को सस्पेंड करने के बाद उनकी गिरफ्तारी नहीं की जा रही है और बराबर यह संदेश दिए जा रहे हैं की पुलिसकर्मियों की कोई गलती नहीं है। पुलिस तो सामान्य रूप से तलाशी लेने के लिए गई थी। इस दौरान हादसे में मनीष की मौत हो गई। पुलिस ने तो उनकी चिकित्सा का पूरा प्रयास किया, लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका। इसके विपरीत मनीष के साथ ठहरे उनके दो दोस्त जो चश्मदीद बयान दे रहे हैं, उससे साफ है पुलिस ने तीनों के साथ बुरी तरह से मारपीट की।  बिना अपराध ही उनको प्रताड़ित किया, जिसके कारण उनमें गंभीर चोटों के कारण मनीष गुप्ता की मौत हो गई।

  • चरण वंदन मीनाक्षी गुप्ता 


कानपुर के पर्यटक कारोबारी मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता का चरण वंदन करता हूं, जो इतिहास के पन्नों की तरह ही सावित्री बनकर उभरी, वह इस कथा के पात्रों में पति सत्यवान के प्राण बचाने वाली सावित्री की तरह अपने पति मनीष गुप्ता के प्राण तो नहीं बचा पाई, लेकिन जिस तरह वह अपने पति मनीष गुप्ता की हत्या में न्याय के लिए अडिग होकर सिस्टम, 'वह भी पुलिस' के सामने आई, यह वास्तव में अब निरंकुश हो चुके सिस्टम के सामने सामान्य  व्यक्ति क्या, किसी खास व्यक्ति के भी बूते की बात नहीं है। अब जरूरत इस बात की है कि मनीष गुप्ता की हत्या में दोषियों को कड़ी सजा मिले, ताकि आम जनमानस को भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत मिल सके। चूंकि अब सिस्टम निरंकुश है और राजनीतिक दल केवल अपने राजनीतिक लाभ-हानि पर काम करते हैं, इन हालातों में पिसता केवल आम आदमी है, जो निर्बल है, जिसकी पैरवी करने वाला कोई नहीं है।   


  • योगी जी आम जनमानस के मुख्यमंत्री बनो, निरंकुश सिस्टम के नहीं 
मुख्यमंत्री योगीु आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, वह तपस्वी हैं, साधू-संन्यासी हैं, इसलिए जनता का उनपर भरोसा भी अधिक होना लाजिमी है। पर, यह क्या जब-जब जनता और प्रशासन के बीच तौलने की बात सामने आती है तो उनका झुकाव प्रशासन की ओर दिखने लगता है, यह एक जननायक के लिए ठीक नहीं है।  आपसे तो न्याय की अपेक्षा की जाती है तो क्या निम्न बिंदुओं पर विचार नहीं किया जाना चाहिए....
  1. बिना किसी ठोस वजह या सूचना के पुलिस किस आधार पर होटल में ठहरे सैलानियों की तलाशी लेने क्यों पहुंची ?
  2. बिना वजह तलाशी का विरोध करने पर क्या निर्दयी होकर घातक चोट पहुंचाते हुए किसी को पीटा जाना उचित है ?
  3. कारोबारी युवक की मौत होने पर पूरे घटनाक्रम को छिपाकर रफा-दफा करने की कोशिश क्या केवल सामान्य व्यक्तियों के लिए ही अपराध है ?
  4. एक सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री के आदेश से मुकदमा दर्ज होने के बावजूद आला पुलिस अफसरों द्वारा गिरफ्तारी नहीं करने की कारण तलाशना कहां तक उचित है? 
  5. क्या आम जनसाधारण के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी न किए जाने के कारण खोजे जाते हैं ?



  • मीनाक्षी गुप्ता के सवाल
 
कारोबारी मनीष की पत्नी मीनाक्षी और अन्य परिजनों ने गोरखपुर पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस पुलिस ने उनके पति को मार डाला। अब वही केस की जांच करेगी,  तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि जांच में क्या होगा ?
उत्तर प्रदेश में इस समय सबसे अधिक चर्चा कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड की है। यह घटना पुलिस विभाग पर कलंक बन गई है। वहीं मनीष की पत्नी मीनाक्षी पुलिस खिलाफ खुलकर बोल रही हैं। उन्होंने कहा कि बिकरू कांड में जो पुलिसकर्मी शहीद हुए थे उनके परिवार वालों को एक-एक करोड़ रुपये की मदद की गई थी। जब पुलिस वालों ने मेरे निर्दोष पति को मारा दिया है तो 10 लाख रुपये की सहायता दे रहे हैं। ये कहां का और कैसा न्याय है? उनका साफ कहना है कि पचास लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।

मनीष की पत्नी मीनाक्षी और अन्य परिजनों ने गोरखपुर पुलिस पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि अगर गोरखपुर पुलिस जांच करेगी तो न्याय नहीं हो पाएगा। इसलिए जांच कानपुर पुलिस को ट्रांसफर की जाए। सीबीआई से भी जांच कराई जाए। परिजनों ने हत्याकांड के पीछे बड़ी साजिश की आशंका भी जताई है।  इसके पीछे घटना में शामिल पुलिस निरीक्षक का पुराना इतिहास भी इसी तरह का होना माना जा रहा है।

मीनाक्षी का कहना है कि आखिर किस कानून के तहत पुलिस होटल के कमरे में चेकिंग के नाम पर आधी रात घुस गई और फिर पिटाई कर पति को मार डाला। इस मामले की शिकायत सभी आला अफसरों से करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका यह भी आरोप है कि पुलिस वालों ने समय से मनीष को अस्पताल भी नहीं पहुंचाया। उनकी मृत्यु होने के बाद दोस्तों ने घर पर जानकारी दी, जिसके बाद सुबह पांच बजे परिजनों से जानकारी मिलने पर वह पहुंची। मीनाक्षी का कहना है कि शव देखने से ही लगा कि कितनी बेरहमी से पिटाई की गई थी। शरीर पर कई जगह गहरे घाव इस बात की गवाही दे रहे थे कि गिरने से नहीं, उन्हें पीटकर मारा गया। मुझे इंसाफ चाहिए।

  • बेटे को क्या जवाब दें....
 
मीनाक्षी से उसका बेटा अविराज बार-बार पूछ रहा है कि पापा कहां हैं? उसका केवल यही कहना है कि "मम्मी फोन बज रहा है, पापा का है, जरा बात करा दो।" पापा कब आएंगे? उसके इस सवाल का न तो मां के पास कोई जवाब है और न ही उस मासूम को सबकुछ समझा पाना आसान है। बेटे की बात सुनने के बाद मीनाक्षी के आंसू रोके नहीं रुकते । इस पर बेटा यह भी पूछने लगता है कि मां रो क्यों रही हो ? इसके बाद तो मां से रोते भी नहीं बन रहा।

मीनाक्षी बताती हैं कि बड़े अरमानों से पति ने बेटे का नाम रखा था। बाहर जाने पर भी बेटे से बात किए बिना नहीं रहते थे। सोमवार रात में भी बेटे से उनकी बात हुई थी, लेकिन किसे पता था यह बातचीत आखिरी होगी। वहीं, बेटा पिता को खोजने के साथ बार-बार यह भी बोल रहा था कि मम्मी घर चलो, पापा आ गए होंगे। मौके पर बेटे को देखने के बाद मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं थीं।  मनीष की शादी मीनाक्षी से 2013 में हुई थी। दोनों का चार साल का बेटा अविराज है। मीनाक्षी का मायका भी कानपुर में है।
   

 


  • पूरा मामला यह है...
विश्व पर्यटन दिवस पर गुरुग्राम से दो दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने आए कानपुर के प्रापर्टी कारोबारी मनीष गुप्ता (36) की सोमवार 27 सितंबर की देर रात पुलिस की पिटाई से मौत हो गई। आरोप है कि जांच का विरोध करने पर पुलिस कर्मियों ने उनकी बेरहमी से पिटाई की थी। उनके दोस्तों को भी पीटा था। हालत खराब होने के बाद पुलिस मनीष को लेकर एक निजी अस्पताल गई थी, जहां से उन्हें रेफर कर दिया गया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें मेडिकल कॉलेज एंबुलेंस से अकेले ही भेज दिया था, जहां डॉक्टरों ने मनीष को मृत घोषित कर दिया। 

  • 'तुम पुलिस को सिखाओगे...', मनीष के दोस्तों की जुबानी... 

गोरखपुर केस के चश्मदीं दोस्तों ने बयां की उस रात की कहानी। दोनों मनीष गुप्ता के दोस्त हैं, उस वक्त कमरे में मौजूद थे। गोरखपुर के होटल में प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता के साथ उस रात क्या हुआ था, पुलिसवालों ने कमरे में आकर किस तरह तलाशी की बात कही और फिर बात इतनी कैसे बिगड़ गई कि मनीष गुप्ता की जान ही चली गई, यह सब मौके पर मौजूद दोनों चश्मदीदों ने बताया है। ये दोनों चश्मदीद मनीष गुप्ता के दोस्त हैं, जो कि उस वक्त कमरे में मनीष के साथ मौजूद थे, जब वहां पुलिसवालों ने तलाशी के नाम पर उनके साथ बेरहमी से मारपीट की। 

कारोबारी मनीष गुप्ता के दोस्त प्रदीप कुमार और हरबीर सिंह गुरुग्राम के रहने वाले हैं। गोरखपुर में मनीष के साथ इन दोस्तों का कहना है कि मामूली कहासुनी इतनी बढ़ गई थी कि मामला मारपीट तक पहुंच गया था। प्रदीप ने बताया कि रात को करीब 10.30 बजे वे लोग डिनर करने बाहर गए थे, फिर करीब 11.30 बजे होटल में वापस आए. फिर 12-12.15 के करीब 7-8 पुलिसवालों ने कमरे का गेट खटखटाया और उनसे आईडी मांगी। इसपर प्रदीप ने अपनी और हरबीर की आईडी पुलिस को दिखा दी। फिर पुलिस ने सोते हुए मनीष गुप्ता को उठाया जो कि सोए हुए थे और उनसे भी आईडी मांगी गई।

प्रदीप के मुताबिक, इसके बाद पुलिसवालों ने उन लोगों से बैग की तलाशी देने को कहा, इसपर मनीष ने कहा कि आप लोग हमें इतनी रात को क्यों परेशान कर रहे हैं ? क्या हम आपको आतंकी लगते हैं ? आईडी भी हमने आपको दिखा दी है। इसके बाद तू तू मैं मैं बढ़ी तो पुलिस ने उन लोगों को मारना -पीटना शुरू कर दिया। इसमें हरबीर को भी पीटा गया। इसी दौरान मनीष गुप्ता को एक पुलिसवाले ने पीछे से मारा, जिससे वह सीधा मुंह के बल जमीन पर गिरे. मुंह जमीन से टकराने पर मुंह से खून आने लगा था। फिर पुलिसवाले आनन-फानन में मनीष और हरबीर को लेकर हॉस्पिटल निकल गए। वे पहले जिस हॉस्पिटल में गए वहां से उनको गबीआरडी हॉस्पिटल भेजा गया। 
प्रदीप का कहना है कि पुलिसवाले हरबीर को वहीं छोड़कर एंबुलेंस करके मनीष को अपने साथ ले गए थे, फिर हरबीर जब प्रदीप के पास पहुंचे तो 1.30 बजे करीब दोनों मिलकर बीआरडी हॉस्पिटल पहुंचे। वहां भारी पुलिस फोर्स मौजूद थी, जिसने उनको अंदर नहीं जाने दिया।

मनीष गुप्ता के दोस्त ने उस बात को भी पूरी तरह गलत बताया जिसमें उनके नशे में होने की बात कही जा रही है। प्रदीप ने इस चीज को भी बेबुनियाद बताया कि मनीष जब सोकर उठे तो उनका पैर फिसला जिससे वे गिर गए।


  • 'भाजपा नेता से शिकायत करने पर भड़क गए थे पुलिसवाले'

मनीष के दूसरे दोस्त हरबीर ने कहा कि पुलिस के आने पर उन्होंने ही दरवाजा खोला था, पुलिवाले उनसे बैग की चेकिंग कराने को कह रहे थे। हरबीर के मुताबिक, जब मनीष ने आईडी दिखाने के बाद बैग चेकिंग पर आपत्ति जताई तो पुलिसवाले भड़क गए थे. हरबीर के मुताबिक, पुलिसवालों ने मनीष गुप्ता से कहा था कि क्या तुम पुलिसवालों को बताओगे कि कैसे काम होता है ? वहीं, हरबीर से कहा कि तू एक रात थाने में रहेगा तो अक्ल आ जाएगी. मनीष ने जब अपने रिश्तेदार भाजपा नेता दुर्गेश वाजपेयी को फोन किया तो पुलिसवाले भड़क गए थे।

  • साभार,
  • आर. के.मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार.
  • नई दिल्ली।

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