मीडिया पर हमला निंदनीय
कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में कोर्ट परिसर में वकीलों द्वारा मीडियाकर्मियों और पुलिस पर हमला निंदनीय है। आखिर सभी को कानून का पाठ पढ़ाने वाले वर्ग को क्या हो गया है ?, जो उनके द्वारा आए दिन देश के किसी न किसी हिस्से में कानून को अपने हाथ में लेने की घटनाएं अब आम हो गई हैं। वकीलों को कोई आदर्श व्यवहार का पाठ पढ़ाए, यह काफी शर्मनाक है। उनको खुद ही इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि कोई उनकी ओर अंगुली न उठाए और कम से कम उनको कानून तो अपने हाथ में किसी भी दशा में नहीं लेना चाहिए। 
  बंगलूरू में टकराव तब शुरू हुआ जब वकीलों ने अवैध खनन मामले में पेश हुए पूर्व मंत्री व खनन उद्योग के दिग्गज जी. जनार्दन रेड्डी के कवरेज के लिए मीडियाकर्मियों की मौजूदगी का विरोध किया। झड़प के बाद उन्होंने पथराव शुरू कर दिया। पानी की बोतलें, कुर्सियां, हेलमेट और जो भी चीज हाथ में आई, उसका हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया। कोर्ट में कई मामलों की सुनवाई बाधित हो गई। हिंसा पर उतारू वकीलों को काबू करने वाली पुलिस पर भी हमला किया गया। पुलिस उप आयुक्त (सेंट्रल डिवीजन) रमेश भी जख्मी हो गए।
हमले के विरोध में पत्रकारों के संगठनों ने राजधानी बंगलूरू सहित 30 जिलों में प्रदर्शन किया। वकीलों के खिलाफ उभरे गुस्से के मद्देनजर मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा ने राज्य के गृह मंत्री आर. अशोक और विभागीय अफसरों के साथ बैठक की। उन्होंने पुलिस को शाम तक रिपोर्ट पेश करने और दोषी वकीलों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। घटना के विरोध में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों ने विधानसभा, राज्य सचिवालय के सामने धरना दिया। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रमजीत सेन ने गृहमंत्री अशोक के साथ दौरा किया।
 प्रेस काउंसिल के चेयरमैन मार्कंडेय काटजू ने भी कुछ वकीलों द्वारा कानून को हाथ में लेने पर  कड़ी कार्रवाई की जरूरत बताई है।

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