जम्मू-कश्मीर ; मैं आज आजाद हूं, पर उमर और महबूबा की रिहाई के बगैर यह आजादी अधूरी : फारूख अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला शुक्रवार को रिहा हो गए। रिहा होने के बाद फारूक ने कहा कि आज वे आजाद हैं, लेकिन उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बिना ये आजादी अधूरी है। उन्होंने कहा कि अब वे संसद में लोगों की आवाज उठाएंगे। फारूक को चार अगस्त 2019 की रात को नजरबंद किया गया था। अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा लिया गया था। 15 सितंबर से उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा गया था। उनकी हिरासत अवधि तीन-तीन महीने बढ़ाने के आदेश तीन बार जारी हुए। पिछला आदेश 11 मार्च को ही जारी हुआ था। इसे सरकार ने वापस ले लिया है।
82 वर्षीय फारुक अब्दुल्ला के साथ दो और पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी अलग-अलग जगहों पर हिरासत में रखा गया था। अभी उमर और महबूबा की रिहाई के आदेश नहीं हुए हैं। माना जा रहा है कि सरकार फारुक अब्दुल्ला की रिहाई से घाटी पर पड़ने वाले असर को देखना चाहती है। इसके बाद ही वह बाकी दो बड़े नेताओं की रिहाई पर कोई फैसला लेगी।
दुआ करने वालों का शुक्रिया: रिहाई के बाद फारूक ने अपने घर पर मीडिया को बुलाया। उन्होंने कहा- मेरी आजादी तब तक अधूरी है, जब तक उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती व अन्य नेताओं की रिहाई नहीं हो जाती। उम्मीद है भारत सरकार अब उन सभी को रिहा करेगी, जिन्हें राजनीतिक हिरासत में लिया गया था। मैं उन सभी का शुक्रिया करता हूं, जिन्होंने मेरी रिहाई के लिए दुआएं की हैं।
विपक्षी दलों ने की थी मांग : नौ मार्च को आठ विपक्षी पार्टियों ने केंद्र से मांग की थी कि जम्मू-कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को तत्काल रिहा किया जाए। विपक्षी नेताओं ने कहा कि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं कि इन लोगों की गतिविधियों ने राष्ट्रीय हितों को खतरे में डाला हो। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी, जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, राजद नेता मनोज झा, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने बयान जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को रिहा करने की मांग की।
मनाने गए थे रॉ के पूर्व प्रमुखः एक जानकारी के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के नए कानून पर केंद्र सरकार लगातार नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी नेताओं को मनाने की कोशिश कर रही है। फारूख अब्दुल्ला को मनाने के लिए पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दौलत को भेजा था। दोनों में करीब तीन घंटे बातचीत हुई। हालांकि बताया जाता है कि फारूख ने कानून को मानने से साफ इन्कार कर दिया है।
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