Corona Alert: यूपी में टीबी रोगियों को मिलती रहेगी जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं
- प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने सभी सीएमओ को दिए निर्देश
- जिले में कोरोना की स्थिति को देखते हुए ही उठायें कदम
- टीबी से होने वाली जटिलताओं पर नियंत्रण जरूरी
कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए
लाॅकडाउन के दौरान भी टीबी रोगियों के उपचार को निर्बाध रूप से जारी रखने
के निर्देश दिए गए हैं। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने प्रदेश
के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि क्षय रोग निवारण
संबंधी सुविधाओं को निरंतर जारी रखना बहुत ही जरूरी है, ताकि क्षय रोग से
होने वाली जटिलताओं व मृत्यु पर नियंत्रण रखा जा सके।
प्रमुख सचिव ने पत्र में कहा गया है कि लाॅकडाउन की स्थिति को देखते हुए सभी टीबी रोगियों को एक-एक महीने की दवा दी जाए। दवा का सेवन सुनिश्चित करने और दवा के एडवर्स ड्रग रिएक्शन पर नजर रखने के लिए निरंतर फोन कॉल/व्हाट्सएप/ वीडियो कॉल के जरिए संपर्क रखा जाए। उपचारित टीबी रोगियों का फालोअप भी किया जाए। संदिग्ध टीबी रोगियों की जांच सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जारी रखी जाए। सभी माइक्रोस्कोपी सेंटर, सीबीनाट प्रयोगशाला और कल्चर एंड डीएसटी लैब का काम चालू रखा जाए। सैम्पल कलेक्शन, हैंडलिंग व सैम्पल ट्रांसपोर्टेशन के लिए सभी मानकों का पालन किया जाए।
प्रमुख सचिव ने पत्र में कहा गया है कि लाॅकडाउन की स्थिति को देखते हुए सभी टीबी रोगियों को एक-एक महीने की दवा दी जाए। दवा का सेवन सुनिश्चित करने और दवा के एडवर्स ड्रग रिएक्शन पर नजर रखने के लिए निरंतर फोन कॉल/व्हाट्सएप/ वीडियो कॉल के जरिए संपर्क रखा जाए। उपचारित टीबी रोगियों का फालोअप भी किया जाए। संदिग्ध टीबी रोगियों की जांच सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जारी रखी जाए। सभी माइक्रोस्कोपी सेंटर, सीबीनाट प्रयोगशाला और कल्चर एंड डीएसटी लैब का काम चालू रखा जाए। सैम्पल कलेक्शन, हैंडलिंग व सैम्पल ट्रांसपोर्टेशन के लिए सभी मानकों का पालन किया जाए।
- बचाव के सभी मानकों का हो सख्ती से पालन
कोविड-19 वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए भी सभी मानकों का सख्ती से पालन
किया जाए। मास्क का प्रयोग, हाथ धोने, हैंड सेनेटाइजर, सोशल डिस्टेंशिंग और
बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों
के अनुसार किया जाए। प्रयोगशाला में जाँच और इलाज के दौरान पर्सनल
प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई), एन-95 मास्क और दस्ताने का इस्तेमाल जरूर
करें। इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह मिलने वाली 500 रुपये
उनके बैंक खाते में भेजी जाती रहे। सभी सूचनाओं को निक्षय पोर्टल और
निक्षय औषधि पोर्टल पर अपडेट किया जाए। यह भी सुनिश्चित करें कि इस दौरान
औषधियों की कोई कमी न होने पाए। इस पर भी नजर रखें कि निजी क्षेत्र से इलाज
करा रहे रोगियों की सेवाएं भी निर्बाध रूप से चलती रहें।
- साभारः नीरज गुप्ता वरिष्ठ पत्रकार नई दिल्ली।
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