UP : Dalit Students dropping exam : सरकार नहीं दे रही पूरी फीस और छात्रवृत्ति, छुटेगी गरीब दलित बच्चों की परीक्षा

(प्रतीकात्मक फोटो)
लॉकडाउन में उत्तर प्रदेश में विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे दलित, पिछड़े वर्ग के साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के सामने नया संकट आ गया है। इन छात्रों को प्रदेश सरकार द्वारा प्रदत्त फीस क्षतिपूर्ति राशि और छात्रवृत्ति का आधा-अधूरा भुगतान प्राप्त हो रहा है। ऐसे में छात्रों को ड्रॉपिंग (परीक्षा में नहीं बैठने देने) का खतरा सता रहा है। कई छात्रों ने बातचीत में बताया है कि  पिछले वर्ष भी छात्रों की फीस क्षतिपूर्ति राशि आधी-अधूरी और वह भी परीक्षा के कई माह बाद मिलने के कारण काफी छात्रों को उनके संबंधित शिक्षण संस्थानों ने परीक्षा में नहीं बैठने दिया था। इस बार परीक्षा से पहले फीस क्षतिपूर्त‌ि राशि मिलनी तो शुरू हो गई है, लेकिन वह 30 से 40  फीसदी कम तक मिल रही है। इसी तरह छात्रवृत्ति का भी अभी तक भुगतान बहुत कम छात्रों को मिल पाया है। इस हालात में छात्रों को फीस अदा नहीं कर पाने पर परीक्षा में नहीं बैठ पाने का खतरा नजर आने लगा है।
  • नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप
केंद्र सरकार विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले दलित छात्रों को हर वर्ष नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप का एलान करती है, जिसमें  उच्च शिक्षा के लिए सरकार द्वारा प्रदत्त पूरे खर्च पर विभिन्न विषयों में मास्टर डिग्री और पीएचडी आदि करने के लिए विदशों में  पढ़ने का मौका मिलता है। इस छात्रवृत्ति की चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर जहां सवाल उठते रहे हैं, वहीं भुगतान में देरी और कटौती के कारण हर साल कई होनहार युवक अधूरी पढ़ाई छोड़कर लौटने को मजबूर होते हैं। ऐसे में हर साल विदेशों में जाकर पढ़ने वाले छात्रों को 100% भुगतान की गारंटी की मांग उठती रहती है।
  • सरकारी संस्थानों में तो फीस बाध्यता खत्म हो
निजी संस्थानों में तो समझ में आता है कि वे बिना फीस के छात्रों को परीक्षा से रोक देते हैं, लेकिन सरकारी संस्थानों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के लिए तो नियम बनाना चाहिए कि किसी भी छात्र को फीस के अभाव में परीक्षा देने से नहीं रोका जा सकता है। सरकार से फीस क्षतिपूर्ति राशि और छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले आवदेकों की स्वीकृति से संस्थानोँ को अवगत कराने के बाद छात्र फीस भुगतान के लिए चिंतामुक्त हो जाएं। आवेदन अस्वीकृत होने की स्थिति में ही छात्रों पर फीस जमा करने की बाध्यता हो। इस बाबत दलित नेता जयभगवान जाटव दिल्ली में रहकर केंद्रीय सरकार के समक्ष खुद और लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों के माध्यम बराबर मुहिम चलाए हुए हैं।
  • उच्च शिक्षा मुफ्त क्यों नहीं की जाती ?
जहां सरकारें तमाम सामाजिक सरोकार की योजनाओं के नाम पर पैसा पानी की तरह बहा रही हैं, वहीं 12वीं के बाद उच्च शिक्षा को पूरी तरह सभी छात्रों के लिए मुफ्त क्यों नहीं कर देती है, ताकि फीस को लेकर विवाद ही समाप्त हो जाए। वैसे भी  मानव संसाधन को योग्य बनाना, स्वास्थ्य और रोजगार की व्यवस्था करना तो सरकार का मुख्य दायित्व है। -(मौर्यटाइम्स ब्यूरो, दिल्ली)

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