Sonia Gandhi VS Arnab Goswami : सोनिया गांधी पर अभद्र टिप्पणी, पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर हमला




रिपब्लिक टीवी के संपादक  अर्णब गोस्वामी ने कांग्रेस पर हमला करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए एक वीडियो में यह आरोप लगाते हुए दावा किया कि जब वह मुंबई में ऑफिस से घर लौट रहे थे तो मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने उनपर हमला किया। इस वीडियो में हमले का आरोप लगाते हुए अर्णब ने कहा, ''मैं ऑफिस से घर लौट रहा था तभी रास्ते में बाइक सवार दो गुंडों ने हमला किया। मैं अपनी कार में पत्नी के साथ था। हमलावरों ने खिड़की तोड़ने की कोशिश की। ये कांग्रेस के गुंडे थे.''
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक़ इस मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। अर्णब गोस्वामी पर आरोप है कि उन्होंने अपने टीवी प्रोग्राम में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने अर्णब गोस्वामी की भाषा को लेकर सवाल उठाए हैं।
  • सोनिया पर अर्णब की टिप्पणी
अर्णब ने अपने शो में कहा था, "अगर किसी मौलवी या पादरी की इस तरह से हत्या हुई होती तो क्या मीडिया, सेक्युलर गैंग और राजनीतिक दल आज शांत होते ? अगर पादरियों की हत्या होती तो क्या 'इटली वाली एंटोनियो माइनो' 'इटली वाली सोनिया गांधी' आज चुप रहतीं?"
  • टिप्पणी से राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज़ हुए
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज कराई है। टीएस सिंहदेव ने आरोप लगाया था कि अपने चैनल में एक कार्यक्रम के दौरान अर्णब ने समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने के लिए जानबूझकर भड़काऊ बयान दिए और सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया.
  • अर्णब का आरोप
अपने वीडियो में अर्णब गोस्वामी ने आरोप लगाया कि उन पर हमला करने वाले लोग यूथ-कांग्रेस के कार्यकर्ता थे। अर्णब इस वीडियो में आरोप लगाते है कि इन हमलावरों को 'कांग्रेस के बड़े ओहदे' वाले लोगों ने आदेश देकर भेजा था कि वे आएं और मुझे 'सबक' सीखाएं।अर्णब अपने इस पाँच मिनट के वीडयो में कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी हमला करते हैं और उन्हें इस हमले के लिए 'ज़िम्मेदार' ठहराते हैं. साथ ही वो यह भी कहते है कि अगर उनके साथ कुछ भी होता है तो इसके लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ सोनिया गांधी ही ज़िम्मेदार होंगी।
  • सोनिया गांधी पर अर्णब के बयान की निंदा
महाराष्ट्र के पालघर से सूरत जा रहे दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। भीड़ को इन पर चोर होने का शक था। इसी मुद्दे पर अर्णब ने सोनिया गांधी को लेकर टिप्पणी की थी। सोनिया गांधी पर टीवी कार्यक्रम के दौरान दिए गए अर्णब गोस्वामी के इस बयान की कई नेताओं ने आलोचना की।
  • कमलनाथ और अशोक गहलोत ने की निंदा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनकी निंदा की है। वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अर्णब के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है और उन्होंने एडिटर्स गिल्ड से उनके ख़िलाफ़ कदम उठाने के लिए कहा है।
  • कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा
अर्णब के बयान की निंदा करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "ये बेहद दुर्भाग्यजनक है कि कुछ न्यूज़ एंकर सोनिया गांधी के मूल्यों पर सवाल उठा रहे हैं. अपने जीवन का पचास साल से अधिक वक़्त वो भारत में गुज़ार चुकी हैं. उन्होंने इज़्ज़त और शिद्दत के साथ अपने प्रियजनों का बलिदान दे कर ये साबित किया है कि भारतीय होने का मतलब क्या है।
  • कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे सिद्धरमैय्या
ने कहा है कि वो किसी दूसरे भारतीय की तरह ही भारतीय हैं। सोनिया गांधी का मई 1999 का एक वीडियो ट्वीट कर उन्होंने लिखा "सोनिया गांधी अर्णब गोस्वामी से अधिक भारतीय हैं. एक तरफ जहां अर्णब ने ज़हर उगल कर देश के चौथे स्तंभ को कमज़ोर किया है वहीं सोनिया गांधी ने देश की एकता और भाईचारे के लिए काम किया है."
"पत्रकारिता एक सम्मानजनक काम है, इसके ज़रिए जनता गणतंत्र के तीनों स्तंभों के बारे में जान सकती है और विचार कर सकती है. लेकिन अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी इस बात का उदाहरण हैं कि पत्रकारिता कैसे नहीं की जानी चाहिए."
  • भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
कांग्रेस की इस तीख़ी प्रतिक्रिया पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोनिया गांधी पर हमला किया है। उन्होंने कहा है "सोनिया गाँधी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि भगवान राम का कोई अस्तित्व नहीं है. सोनिया गांधी न राम को पसंद करती है ना राम भक्तों को."
उधर, बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख ने कहा है कि कांग्रेस सच बोलने के लिए अर्णब पर हमले कर रही है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "विकी केबल के अनुसार साल 2013 में सोनिया गांधी ओडिशा और कर्नाटक में बजरंग दल पर रोक लगाने की मांग कर रही थीं. लेकिन एम के नारायणन के ये कहने के बाद वो पीछे हट गईं कि उनकी कोशिशें ईसाई लोगों के धर्मांतरण के विरोध में थी."

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