Photo Features : गरीब मजलूम की ये दास्तां


  •  शुक्र है कि रमज़ान आया है मेरे फाके पर पर्दा है,

कोई पूछे कि भूखे हो तो कह देंगे मेरा रोज़ा है..!!

  • मुफ़लिस की आधी बात फ़िज़ा में ही रह गयी,,,

"साहब ने जल्दी से कार का शीशा चढ़ा लिया,,,!.

  • मिल जाए गर आलिम तो इक सवाल पूछना?

गमों को पीने पर भी क्या रोज़े टूट जाते हैं ?



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