DANISH SIDDHIQi : तस्वीरों में सच का जादूगर दानिश हमेशा आएगा याद

 तस्वीरों में सच का जादूगर दानिश हमेशा आएगा याद




भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अपने जीवन की अंतिम सांस तक तस्वीरों के जरिए दुनिया को अफगानिस्तान के हालातों से रूबरू कराते रहा। अब दानिश जब हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनके काम हमारे बीच हमेशा जिंदा रहेंगे। सच बोलतीं खींची गई उनकी तस्वीरें हमेशा उनको फोटोग्राफी के जादूगर के रूप में याद रखेंगी। शायद उनकी फोटोग्राफी के जादू का ही कमाल रहा कि  दानिश सिद्दीकी को उनके बेहतरीन काम के लिए पत्रकारिता का प्रतिष्ठित पुलित्जर अवॉर्ड भी मिला।  दानिश सिद्दीकी ने रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को अपनी तस्वीरों से दिखाया था और ये तस्वीर उन तस्वीरों में शामिल है, जिसकी वजह से उन्हें 2018 में पुलित्जर अवॉर्ड मिला था।

  • आम जनमानस की भावना को तस्वीरों से दिखाते थे
फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अपनी तस्वीरों के जरिए आम आदमी की भावनाओं को सामने लाते थे। दिल्ली दंगा हो या कोरोना से हाहाकार, रोहिंग्या शरणार्थियों की बात हो या फिर अफगानिस्तान में जंग के हालात, हर जगह के हालात तो दानिश ने अपनी तस्वीरों के सामने देश और दुनिया को दिखाया। यह तस्वीर कोरोना काल की है, जब देश में चारों ओर डर का माहौल था।

  • दो दिन पहले भी बाल-बाल बच गए थे
दानिश ने 13 जुलाई को एक के बाद एक ट्वीट कर बताया था कि जिस गाड़ी में वे सवार थे, उसे कैसे निशाना बनाया गया। उन्होंने लिखा था कि सुरक्षित बच जाने पर वे खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहे थे। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, जिस हम्वी (बख्तरबंद गाड़ी) में मैं अन्य विशेष बलों के साथ यात्रा कर रहा था, उसे भी कम से कम तीन आरपीजी राउंड और अन्य हथियारों से निशाना बनाया गया था। मैं भाग्यशाली था कि मैं सुरक्षित रहा और मैंने कवच प्लेट के ऊपर से टकराने वाले रॉकेटों के एक दृश्य को कैप्चर कर लिया।


  • कोरोना काल में वायरल हुई थी तस्वीर
कोरोना काल की तस्वीर किसे याद नहीं होगी, जब लोग लॉकडाउन में अपने घरों की ओर भागने लगे थे। तब एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। इस तस्वीर को भी दानिश ने ही अपने कैमरे में कैद किया था और प्रवासी मजदूरों की व्यथा को देश-दुनिया के सामने लाया था।

  • महिला सैनिक की  तस्वीर को भी लोगों ने किया था पसंद
दानिश की तस्वीरों में से एक तस्वीर भी एक समय काफी वायरल हुई थी। 12 सितंबर, 2018 को उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में एक चिड़ियाघर का दौरा करते हुए महिला सैनिक को आइसक्रीम खाते हुए कैमरे में कैद किया गया था।

  • जामिया के कब्रिस्तान में किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक
अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा मारे गए फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी के शव को दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। यह जानकारी रविवार को विश्वविद्यालय ने देते हुए एक बयान में बताया कि  ''जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति ने फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी के परिवार को उनके शव को विश्वविद्यालय के कब्रिस्तान में दफनाने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। यह कब्रिस्तान विशेष तौर पर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, उनके जीवनसाथी और नाबालिग बच्चों के लिए बनाया गया है। सिद्दीकी ने इस विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी और उनके पिता अख्तर सिद्दीकी विश्वविद्यालय में शिक्षा संकाय के डीन थे। सिद्दीकी ने वर्ष 2005-2007 में एजेके मास कम्युनिकेशन सेंटर (एमसीआरसी) से पढ़ाई की थी। जामिया शिक्षक संघ ने सिद्दिकी के निधन पर शोक भी व्यक्त किया है।
  • कस्बे स्पीन बोल्दक में की हत्या 
वर्ष 2018 में सिद्दीकी को समाचार एजेंसी रॉयटर के लिए काम करने के दौरान पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और गत शुक्रवार को पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के कस्बे स्पीन बोल्दक में उनकी हत्या कर दी गई थी। हत्या के समय वह अफगान में विशेष बलों के साथ थे।
  • चमकीले सितारे थे दानिश
एजेके एमसीआरसी के कार्यवाहक निदेशक ने कहा, "दानिश हमारे हॉल ऑफ फेम में सबसे चमकीले सितारों में से एक थे और एक सक्रिय पूर्व छात्र थे जो छात्रों के साथ अपने काम और अनुभवों को साझा करने के लिए अपने अल्मा मेटर में लौटते रहे। हम उन्हें दिल से याद करेंगे और उनकी स्मृतियों को जीवित के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।"

  • अपने फ्रेम के भीतर की गरिमा से नहीं किया समझौता
प्रोफेसर सबीना गाडीहोक ने कहा कि उनकी तस्वीरें अद्भुत हैं और उन्होंने कभी भी अपने फ्रेम के भीतर की गरिमा से समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि दानिश में एक पत्रकारिता की तस्वीर को सहानुभूति के साथ देने और अपने विषयों को गरिमा और अनुग्रह देने की अद्वितीय क्षमता थी। 

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