Pashupati Paras V/s Chirag Paswan "राम" ने नहीं सुनी "हनुमान" की प्रार्थना और चेतावनी
"राम" ने नहीं सुनी "हनुमान" की प्रार्थना और चेतावनी
मुबाहिसाः आर. के. मौर्य
बिहार विधानसभा चुनाव में और उसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को
"राम" कहने वाले खुद को उनका "हनुमान" मान बैठे लोकजनशक्ति पार्टी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की उनके "राम" ने पशुपति पारस को मंत्री
नहीं बनाए जाने के लिए की गई प्रार्थना को नहीं सुना और न ही उनके द्वारा
कोर्ट जाने की चेतवानी को गंभीरता से लिया। ऐसे में दिवंगत रामविलास पासवान
के जन्मदिन पांंच जुलाई को शुरू की गई आशीर्वाद यात्रा में उमड़े जनसैलाब
भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दबाव के सामने असरदार साबित नहीं हो पाया और
नतीजा, पशुपति पारस ने मोदी मंत्रीमंडल में कैबिनेट मंत्री की शपथ ग्रहण
कर ली है।
पांच जुलाई को पटना पहुंचने पर चिराग पासवान के स्वागत में जनसैलाब उमड़ा
और पशुपति पारस के कैंप में सन्नाटा छा गया था और हाजीपुर पहुंचते-पहुंचते
आशीर्वाद यात्रा में जिस तरह से भीड़ बढ़ी, उससे माना जाने लगा था कि अब
पशुपति पारस के कैंप का तंबू उखड़ चुका है और पशुपति पारस को अब भाजपा या
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी गंभीरता से नहीं लेंगे। हाल यह था कि जहां
चिराग के साथ करीब तीन हजार गाड़ियों का काफिला चल रहा था और हजारों लोगों
का जोश देखते ही बनता था, वहीं पशुपति पारस द्वारा बिहार लोजपा के कार्यालय
में सन्नाटा छाया था। पारस के साथ मात्र एक सांसद चंदनकुमार ही दिख रहे
थे। अन्य तीन सांसदों का कहीं कोई पता नहीं था। खुद पारस का चेहरा लटका हुआ
था और उन्होंने उस दिन जिस तरह मीडिया से बात करते हुए घर में अंतरकलह के
लिए सौरभ पांडे को लेकर बयान दिया था और उनके चेहरे की हवाइयां उड़ी थीं,
उससे लगता था कि अब हताशा की स्थिति में आ गए हैं और पासवान परिवार की कलह
मिट जाएगी। दोनों पक्ष एक हो जाएंगे।
- अब चिराग का सफर और कठिन हुआ
रामविलास पासवान की जयंती पांच जुलाई को चिराग पासवान की आशीर्वाद यात्रा
के दौरान लोजपा के झंडे से रंगा पूरा बदन कार्यकर्ता सोनू दरभंगा से अपने
सिर पर चुनाव चिह्न बंगला रखे हुए आया था। बड़ा ही उत्साही यह कार्यकर्ता
सोनू बड़ी ही समझदारी के साथ कह रहा था कि यह चाचा-भतीजे का घरेलू विवाद है
निपट जाएगा। पार्टी चिराग पासवान की है, उनकी ही रहेगी। प्रदेश के करीब ११
लाख कार्यकर्ता चिराग पासवान के साथ हैं और लोजपा को टूटने नहीं देंगे।
सोनू की यह बात और पशुपति पारस के कैंप में सन्नाटे से लगता था कि घर का यह
विवाद भी खत्म हो जाएगा। लेकिन अब ऐसा होगा, इसकी कम ही गुंजाइश है। बिहार
के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जानते थे कि यदि पशुपति पारस को मंत्री नहीं
बनाया गया तो चिराग पासवान बिहार में समर्थकों की आंधी के साथ बहुत मजबूत
हो जाएगा और पारस को मंत्री बनाने पर चिराग पासवान को बिहार में राजनीतिक
रूप से खत्म किया जा सकेगा, इसमें कहीं न कहीं भाजपा की अंतर्सहमति दिखती
है, तब ही तो मोदी ने न तो अपने "हनुमान" की प्रार्थना सुनी और न ही उनकी
कोर्ट जाने की चेतावनी को गंभीरता से लिया। अब चिराग पासवान का राजनीतिक
सफर बहुत ही कठिन होगा। उनको बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए
रामविलास पासवान के कट्टर समर्थकों का ही आसरा है, जिनको पशुपति किसी भी
कीमत पर अपनी ओर खींचने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे और साथ ही
बिहार सरकार की मदद से चिराग के रास्ते में कांटे भी खूब बोने की कोशिश की
जाएगी। अंंततः यदि जनसमर्थन उनके साथ हो गया तो पारस मंत्री होते हुए भी
कुछ नहीं कर पाएंगे और यदि यह जनसमर्थन पारस की ओर चला गया तो चिराग के लिए
आगे का राजनीतिक सफर काफी कठिन हो सकता है।
- लोकसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंचे चिराग पासवान
चिराग पासवान ने अपने चाचा और हाजीपुर के सांसद पशुपति
कुमार पारस के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पारस को लोजपा संसदीय
दल का नेता माने जाने के खिलाफ उन्होंने याचिका दायर की है। अपने ट्विटर
अकाउंट पर उन्होंने एक के बाद एक कर कई ट्वीट किए हैं।
लोजपा में
विरासत की लड़ाई आखिरकार अदालत तक पहुंच गई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
द्वारा 14 जून को पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता नियुक्त
किए जाने संबंधी आदेश को चिराग पासवान ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में
चुनौती दी। इसी के साथ चिराग ने चाचा पारस को पार्टी संसदीय दल के नेता पद
से हटाने की कानूनी लड़ाई तेज कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने पारस को
लोजपा के सांसद के तौर पर केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के खिलाफ भी कानूनी
लड़ाई की तैयारी तेज कर दी है।- लोकसभा अध्यक्ष के आदेश को दी चुनौती
लोजपा
के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एके वाजपेयी
ने बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट में लोकसभा अध्यक्ष के उस आदेश को चुनौती दी
गई है, जिसके जरिये पार्टी से निष्कासित किए जा चुके पारस को लोजपा संसदीय
दल के नेता के तौर पर संसद में मान्यता मिली है। चिराग की याचिका पर अगले
दो दिनों में सुनवाई होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि पारस को लोजपा
संसदीय दल का नेता नियुक्त करना पार्टी के संविधान के विरुद्घ है। इस बारे
में चिराग पासवान की ओर से लोकसभा अध्यक्ष को अवगत कराया जा चुका है और
चिराग को संसदीय दल का नेता बनाने का आग्रह करते हुए अधिसूचना जारी करने की
मांग की भी जा चुकी है। अब दिल्ली हाई कोर्ट से ही न्याय की उम्मीद है।
- मंत्री बन गए पारस, अब क्या करेंगे चिराग ?
ट्वीट
में चिराग ने कहा है कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के
कारण लोक जनशक्ति पार्टी से श्री पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही पार्टी
से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल
करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है। दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा
है कि लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से श्री
पशुपति पारस जी को नेता सदन मानने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने माननीय
लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फ़ैसले पर पुनः विचार याचिका दी थी, जो अभी
भी विचाराधीन है। एक अन्य ट्वीट में चिराग ने लिखा है कि लोक जनशक्ति
पार्टी ने आज माननीय लोकसभा अध्यक्ष के प्रारंभिक फ़ैसले जिसमें पार्टी से
निष्कासित सांसद पशुपति पारस जी को लोजपा का नेता सदन माना था, के फ़ैसले
के ख़िलाफ़ आज दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है।
- चाचा पारस को मंत्री बनाए जाने पर चिराग नाराज होकर बोले
- रामविलास पासवान सबकी 'जरूरत'?
रामविलास
पासवान की बनाई पार्टी एलजेपी भले ही संकट में है लेकिन बिहार की राजनीति
में आज भी वे राजनीतिक दलों की 'जरूरत' बने हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण यह
है उनकी जयंती पर लालू से लेकर प्रधानमंत्री का उनको याद करना. लालू ने लोक जनशक्ति
पार्टी (लोजपा) के संस्थापक दिवंगत नेता रामविलास पासवान को याद करते हुए
उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पासवान को अपना दोस्त बताते हुए लालू ने
कहा, 'आज वे हमारे बीच नहीं हैं, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.'
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने पासवान को उनकी जयंती पर याद करते हुए कहा कि वह अपने
मित्र की उपस्थिति को याद कर रहे हैं. साथ ही, उन्होंने हाशिये पर पड़े
लोगों की सेवा में राम विलास पासवान के योगदान को याद किया. एक ट्वीट में
प्रधानमंत्री ने लिखा, 'आज मेरे मित्र रामविलास पासवान जी की जयंती है.
मुझे उनकी उपस्थिति की बहुत याद आती है. वह भारत के सबसे अनुभवी सांसदों और
प्रशासकों में से एक थे. सार्वजनिक सेवा और दलितों को सशक्त बनाने में
उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा.'
- बदल रही बिहार की सियासत
बिहार की सियासत करवट लेती दिख रही है, एक तरफ रामविलास पासवान की बनाई
पार्टी लोजपा पर अपना दावा करने के लिए उनके बेटे चिराग संघर्ष के रास्ते
पर हैं, तो दूसरी ओर लंबे समय बाद लालू की सियासी में एंट्री होती दिख रही
है, हालांकि अभी स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दे रहा है। यही कारण रहा कि
पांच जुलाई को राजद के स्थापना दिवस पर लालू प्रसाद यादव ने अपनी पार्टी के
कार्यकर्ताओं को दिल्ली से ही वर्चुअली संबोधित किया था। जेल से आने के
बाद लालू ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 25वें स्थापना दिवस पर आयोजित
समारोह की औपचारिक शुरुआत की। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और
मीसा भारती भी उनके साथ उपस्थित रहीं। लालू प्रसाद यादव ने लंबे वक्त बाद
केंद्र और बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा। कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए
कहा कि राजद का भविष्य उज्जवल है। राजद प्रमुख ने कहा कि आज सामाजिक
तानेबाने को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज नारा लगाया
जा रहा है कि अयोध्या के बाद मथुरा, आखिर इसका क्या मतलब है? उन्होंने
सवालिया लहजे में आखिर देश में क्या चाहते हैं?
- नीतीश को बनवाया कृषि मंत्रीः लालू
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू ने कहा कि आज संसद
में बहस तक नहीं होने दी जाती है। लालू ने अपने संघर्ष के दिनों की याद
करते हुए मंडल आंदोलन का भी जिक्र किया। उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर को
याद करते हुए कहा कि आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके अरमानों को पूरा
करने के लिए काम कर रहे हैं। हमने पांच-पांच प्रधानमंत्री को देखा, उनको
बनाने में सहयोग किया। उन्होंने नीतीश कुमार का जिक्र करते हुए कहा कि वे
जब मंत्री नहीं बने तो वे व्याकुल हो गए. इसके बाद कहकर उन्हें कृषि मंत्री
बनवाया.
- साभारः
- आर.के.मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार।
Comments
Post a Comment