गोदी मीडिया की खुल रही पोल, राज्यपाल मलिक के आरोप पर क्यों नहीं घेरी जा रही मोदी सरकार ?
मुबाहिसाः आर.के.मौर्य
अंबानी और आरएसएस के पदाधिकारी पर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जिस तरह छाती ठोककर 300 करोड़ रुपये की रिश्वत का आफर देने का गंभीर आरोप लगाया है, यदि इसके 10वें हिस्से की रकम का भी किसी विरोधी दल के नेता पर आरोप लग गया होता, तो देश का गोदी मीडिया चिल्ला-चिल्लाकर न केवल धरती आसमान को सिर पर उठा लेते, बल्कि खुद सीबीआई से लेकर अदालतों का सीन क्रिएट करके टीवी पर ही सजा तक मुकर्रर कर देते, लेकिन देखिए इतना बड़ा आरोप भाजपा के ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके और बिहार, जम्मू-कश्मीर और गोवा के बाद अब मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने लगाया है। उन्होंने साफ किया है कि यदि वह खुद भ्रष्टाचारी होते तो उनके घर पर ईडी और न जाने कौन-कौन एजेंसी वाले छापा मारने पहुंच जाते, चूंकि वह खुद ईमानदार हैं और उनके दामन पर कोई दाग नहीं है, इसलिए सभी छापे मारने वाली एजेंसी प्रधानमंत्री के अधीन होने के बावजूद उनके यहां छापा मारने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं।
इसके बावजूद मीडया ने इस खबर को प्रमुखता से नहीं लगाया है। अपने को निष्पक्ष होने का दम भरने वाले अखबारों ने भी इन दिनों सरकारों द्वारा भारी-भरकम विज्ञापनों से उपकृत होने के कारण इस खबर को प्रमुखता से नहीं छापा। हिंदी के अधिकांश अखबारों ने तो इस खबर को अंदर के पेजों पर लगाने की इस तरह से औपचारिकता सी निभाई है, जो मात्र कहने के लिए रहे कि हमने खबर तो लगाई है।
सत्यपाल मलिक के इस आरोप की खबर में समूचे मीडिया की पोल खुल चुकी है कि हमाम में पूरी तरह नंगे हो चुके मीडिया घरानों में कोई एक भी नहीं बचा है जो भाजपा सरकारों की गोद में न बैठा हो।
मीडिया के साथ सिद्धांतों का लबादा ओढे आरएसएस के लोगों की भी पोल खुल रही है कि सत्ता के हमाम में वे भी नंगे होने से नहीं बच पा रहे हैं। उनका भी जहां मौका लग रहा है वे कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। खुद और अपने को उपकृत करने वालों के लिए वे भी हर जगह हमेशा तैयार दिख रहे हैं।
मोदी सरकार की वर्किंग भी सबके सामने आ रही है कि जो ईमानदार नेता उनकी या उनके लोगों की नहीं मानेगा, उसकी खैर नहीं !, तब ही तो जिस बड़े कद्दावर और किसान के बेटे को सम्मान देने के नाम पर सत्यपाल मलिक को सबसे पहले बिहार जैसे बड़े राज्य का राज्यपाल बनाया, लेकिन बाद में धारा 370 को हटाने जैसे एजेंडे को पूरा करने के नाम पर उनको जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बना दिया, और देखिए जब उन्होंने छुपा एजेंडा खास लोगों की डील पूरी नहीं की तो उनको वहां से ले जाकर छोटे से राज्य गोवा का उपराज्यपाल बना दिया, जिसपर उन्होंने भाजपा नेतृत्व और खुद प्रधामंत्री मोदी से मिलकर गहरी नाराजगी भी प्रकट की थी। कुछ अर्से बाद उनको मेघालय का राज्यपाल बना दिया गया। इन दिनों वे मेघालय के राज्यपाल हैं और तीन काले कानूनों को लेकर निरंतर अपने को किसान का सच्चा बेटा साबित करने के लिए अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं।
यह हमला इसलिए भी तेज होता जा रहा है कि उनकी भाजपा नेतृत्व या मोदी सरकार किसान मुद्दे पर कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं है, जबकि वह खुद इस मामले में मध्यस्थता तक करने की पेशकश कर चुके हैं लेकिन जिद पर अड़ी मोदी सरकार किसानों के आंदोलन को कुचलने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इसी का नतीजा है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के साहबजादे ने शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों को अपनी गाड़ी के नीचे कुचल दिया और खुद राज्यमंत्री भी सार्वजनिक सभाओं में लोगों को सबक सिखाने की धमकी देता घूम रहा है लेकिन कोई किसी की सुनवाई नहीं।
सुनवाई करे भी तो कौन, जब खुद प्रधानमंत्री मोदी संसद में किसानों के आंदोलन का उपहास उड़ाते हुए उनको "आंदोलनजीवी" बता चुके हैं।
- महबूबा मुफ्ती ने सत्यपाल मलिक को भेजा लीगल नोटिस
जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मेघायल के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लीगल नोटिस भेजा है। मुफ्ती का यह नोटिस सत्यपाल मलिक के उस बयान के बाद भेजा गया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल ने गंभीर आरोप लगाए थे। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल और वर्तमान समय में मेघायल के गवर्नर सत्यपाल मलिक का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि साल 2001 में आए रोशनी एक्ट का फायदा मुफ्ती ने भी लिया था.
मुफ्ती ने सत्यपाल मलिक के बयान पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बयान को वापस लेकर माफी मांगने को कहा था। महबूबा ने कहा था, "रोशनी एक्ट का लाभार्थी होने के बारे में सत्यपाल मलिक का गलत और बेतुका बयान बेहद शरारती है. मेरी कानूनी टीम उनपर मुकदमा करने की तैयारी कर रही है. उनके पास अपनी टिप्पणी वापस लेने का विकल्प है, ऐसा नहीं करने पर मैं कानूनी सहारा लूंगी."
मुफ्ती ने एक वीडियो साझा किया था, जिसमें मलिक यह दावा करते हुए दिखाई दे रहे थे कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत जमीन के प्लॉट मिले हैं। रोशनी एक्ट को तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला द्वारा कुछ चार्जेस के बदले राज्य की जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना अधिकार देने के उद्देश्य से लाया गया था। ऐसा कहा गया था कि इस प्रकार उत्पन्न पैसे का इस्तेमाल जलविद्युत ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए किया जाएगा।
हाल ही में सत्यपाल मलिक ने रोशनी एक्ट का जिक्र करते हुए कहा था कि साल 2001 में फारूक अब्दुल्ला इस कानून को लेकर आए थे. इसका उदेश्य तो घाटी में बिजली व्यवस्था को सुधारना था, लेकिन इसकी वजह से कई एकड़ के प्लाट फारूक, उमर और महबूबा ने अपने नाम कर लिए. हालांकि, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट द्वारा इसे अवैध घोषित करने के बाद योजना को भंग कर दिया गया था और सीबीआई को योजना के लाभार्थियों की जांच करने का निर्देश दिया था।
- अंबानी, RSS नेता की फाइल मंजूर करने का था दबाव, 300 करोड़ रिश्वत की हुई थी पेशकश'
सत्यपाल मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, `कश्मीर में मेरे सामने दो फाइलें मंजूरी के लिए लाई गईं. एक अंबानी और दूसरी आरएसएस से संबद्ध व्यक्ति की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली तत्कालीन (पीडीपी-भाजपा) सरकार में मंत्री भी थे। उनसे कहा गया था कि यदि वह अंबानी (Ambani) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से संबद्ध व्यक्ति की दो फाइलों को मंजूरी दें तो उन्हें रिश्वत के तौर पर 300 करोड़ रुपये मिलेंगे. लेकिन उन्होंने सौदों को रद्द कर दिया।
मेघालय के राज्यपाल मलिक केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने झुंझनू कार्यक्रम में यहां तक कह दिया है कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।
- 'पांच जोड़ी कुर्ता लाया था, वही लेकर जाऊंगा'
सत्यपाल मलिक ने कहा, मैं पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और केवल उन्हें ही वापस लेकर जाऊंगा.' उनके भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर देखा काफी वायरल हो रहा है। मलिक ने दो फाइलों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन वह स्पष्ट रूप से सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक सामूहिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी योजना को लागू करने से संबंधित फाइल का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए सरकार ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह के रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ करार किया था.
- मलिक ने बताया : किसान आंदोलन का हल
केंद्र सरकार को एमएसपी पर क़ानून बना देना चाहिए. उसमें सरकार का कोई नुक़सान भी नहीं है. प्रधानमंत्री का रुख़ पूरे मसले पर सकारात्मक ही रहा है. उन्होंने संसद में भी कहा है एमएसपी था, है और रहेगा. बिना एमएसपी पर क़ानून के ये आंदोलन ख़त्म नहीं होगा."
मलिक ने यह भी कहा, "मेरे हिसाब से केंद्र सरकार मान जाएगी. एक समझदारी विकसित करनी होगी. केंद्र सरकार को ही इसमें मानना होगा. क्योंकि किसान तो बर्बाद हो जाएगा, अगर ये (एमएसपी) नहीं होगा."
- गांवों में नहीं घुस पाएंगे भाजपा के मंत्री और नेता ः मलिक
गवर्नर मलिक ने कहा, "उत्तर प्रदेश के चुनाव में लोगों को लगता है 'हिंदू-मुसलमान' हो जाएगा और किसान आंदोलन 'मुद्दा' नहीं रहेगा. चुनाव को एक तरफ़ छोड़ दें, जब तक ये मुद्दा रहेगा, किसानों का आंदोलन रहेगा, तब तक देश में राजनीति अस्थिर और असहज रहेगी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कहीं भी बीजेपी का मंत्री, सांसद, विधायक किसी गाँव में नहीं जा सकता. मैं सब जगह जाता हूँ. मैं इनके काम आ सकता हूँ, अगर ये (केंद्र) इस बात को समझते हों."
- तो तुरंत दे दूंगा इस्तीफा
मीडिया के एक सवाल पर मलिक ने कहा है कि "केंद्र सरकार को अगर ये लगेगा कि मेरे बोलने से कोई नुक़सान होगा, हल्का सा भी इशारा होगा तो मैं पद छोड़ दूँगा. ये बात किसान के हक़ की है, मैं उनके बीच में पैदा हुआ हूँ, मैं कभी भी अपने 'क्लास इंटरेस्ट' (जहाँ से आता हूँ) से समझौता नहीं करता हूँ, मैं पद एक मिनट में छोड़ दूँगा."
- Courtesy:
- R.K.Maurya, Sr. Journalist.
- New Delhi. 09410891721.
Kisan ka beta hi Kisan ke hak ke liye sub kuch chod sakta hai.
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