Adani Enterprises wins Ganga Expressway project worth Rs 17000 crore for Meerut to prayagraj way


  • राहुल गांधी का आरोप "हम दो, हमारे दो"  हुआ और मजबूत
  • अडानी ग्रुप बनाएगा गंगा एक्सप्रेसवे,  17 हजार करोड़  का है प्रोजेक्ट


                                               प्रतीकात्मक फोटो
  • मुबाहिसा: आर. के. मौर्य

भले ही भारतीय जनता पार्टी या उसके समर्थक और सरकारी दावे यह कहें कि देश के दूसरे सबसे अमीर अडानी ग्रुप को अपने काम की काबिलियत और सभी सरकारी नियमों का पालन करने के साथ प्रोजेक्ट मिल रहे हैं, लेकिन इसके विपरीत निरंतर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाया जा रहा आरोप "हम दो,हमारे दो" भी कमजोर नहीं बल्कि दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है कि देश के दो ही प्रमुख उद्योगपतियों को सभी सरकारी प्रोजेक्ट और सरकारी कंपनियों की बिक्री का सीधा लाभ मिल रहा है। राहुल गांधी के इस आरोप को गंगा एक्सप्रेसवे बनाने का प्रोजेक्ट अडानी ग्रुप को मिल जाने से और मजबूती मिली है। देश में प्रमुख उद्योगपति होते हुए भी गौतम अडानी या उनके अडानी ग्रुप का 2014 से पूर्व देश की आम जनता को नाम तक नहीं पता था, लेकिन आज देश में अगर उद्योगपति और अमीरों की बात होती है तो दो ही नाम सामने आते हैं अंबानी और अडानी जैसे किसी समय टाटा और बिरला का नाम अमीरी का प्रतीक था आज ऐसे ही अंबानी और अडानी देश के दोनों नाम अमीरी के प्रतीक बन गए हैं। कारण भले ही कुछ हो लेकिन इस बात से भी कतई इंकार नहीं किया जा सकता की सरकार में इनकी जबरदस्त पहुंच और दबदबा भी उनको काफी रास आ रहा है। 

खैर, देश के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी की कंपनी को 17 हजार करोड़ रुपये का गंगा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट बनाने का काम मिल गया है। मीडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक अडाणी इंटरप्राइजेज उत्तर प्रदेश में तीन हिस्सों में छह लेन के एक्सप्रेसवे का निर्माण करेगी जो आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा और रियायत की अवधि 30 वर्ष होगी.

उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेसवे दरअसल मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा। अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को गंगा एक्सप्रेसवे के तीन प्रमुख हिस्सों के क्रियान्वयन को लेकर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से स्वीकृति पत्र मिला है. कंपनी ने भी एक बयान में मीडिया को जानकारी दी है कि इस परियोजना की लागत 17,000 करोड़ रुपये से अधिक है. यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत देश की किसी निजी कंपनी को दी गई अब तक की सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजना है.


अडाणी इंटरप्राइजेज के मुताबिक वह उत्तर प्रदेश में तीन हिस्सों में छह लेन के एक्सप्रेसवे का निर्माण करेगी जो आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा तथा रियायत की अवधि 30 वर्ष होगी. यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा। उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेसवे दरअसल मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा और डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर लागू होने वाला भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा. कुल 594 किलोमीटर की लंबाई में से अडाणी एंटरप्राइजेज बदायूं से प्रयागराज तक 464 किलोमीटर का निर्माण करेगी. यह एक्सप्रेसवे परियोजना का 80 प्रतिशत हिस्सा है.

  • कई शहरों से होकर गुजरेगा गंगा एक्‍सप्रेसवे

गंगा एक्सप्रेसवे आधे से ज्यादा पश्चिमी यूपी के मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं और शाहजहांपुर जिले से गुजरेगा. फिलहाल हापुड़ और बुलन्दशहर सहित अन्य जिलों के लोगों के आवागमन के लिए गढ़मुक्तेश्वर में एक अन्य पुल बनाया जाएगा. वहीं, शाहजहांपुर के आगे यह एक्सप्रेसवे हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ व प्रयागराज तक जाएगा। एक्सप्रेसवे के लिए अब 94 प्रतिशत जमीन खरीदी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है.


  • गंगा एक्सप्रेसवे की खास बातें


  1. प्रवेश नियंत्रित गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ-बुलन्दशहर मार्ग (एनएच संख्या-334) पर मेरठ जिले के बिजौली गांव के पास से शुरू होगा एवं प्रयागराज बाइपास (एनएच संख्या-19) पर प्रयागराज जिले के जुडापुर दाँदू गांव के पास खत्म होगा.
  2. यह एक्सप्रेसवे 06 लेन चौड़ा होगा. इसका भविष्य में 08 लेन तक विस्तार किया जा सकेगा.
  3. गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के निर्माण से नजदीक के इलाकों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योग सम्बन्धी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.
  4.  यह एक्सप्रेसवे कई उत्पादन इकाइयों, विकास केन्द्रों और कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में मददगार साबित होगा.
  5. यह एक्सप्रेसवे हैंडलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, मंडी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों आदि की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में सहायक होगा.
  6. एक्सप्रेसवे पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ट्रॉमा सेंटर, पेट्रोल पंप, ढाबे और शौचालय बनाए जाएंगे. इसके अलावा लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए और भी कई व्यवस्थाएं की जाएंगी.


  • एक्सप्रेसवे की लंबाई 

  1. मेरठ में 15 किमी.
  2.  हापुड़ में 33 किमी. बुलंदशहर में 11 किमी.
  3. अमरोहा में 26 किमी. 
  4. संभल में 39 किमी.
  5. बदायूं में 92 किमी. 
  6. शाहजहांपुर में 40 किमी.
  7. हरदोई में 99 किमी.
  8. उन्नाव में 105 किमी. 
  9. रायबरेली में 77 किमी.
  10. प्रतापगढ़ में 41 किमी. 
  11. प्रयागराज में 16 किलोमीटर.


  • एक्सप्रेसवे टोल टैक्स के कारण वाहन चालकों के लिए मुसीबत

कहने के लिए सरकार वाहनों से सड़क पर दौड़ने के लिए के नाम पर रोड टैक्स वसूलती है, इसके बावजूद सड़कों पर हाईवे और एक्सप्रेसवे के नाम पर दो से तीन रुपए किमी की दर से टोल टैक्स वसूलती है और प्रचार जनसुविधा का किया जाता है। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि जब सरकार रोड टैक्स वसूल रही है तो फिर टोल टैक्स क्यों ?  और यदि टोल टैक्स वसूल रही है तो रोड टैक्स क्यों लिया जा रहा है ?


  • पीपीपी मॉडल के नाम पर कई दशक तक निर्माण करने वाले ग्रुप को अंधी कमाई का साधन


वाहनों से रोड टैक्स वसूली के बाद अच्छी सड़क बनाने का जो कार्य करना चाहिए, वह बड़े-बड़े उद्योगपतियों को एक्सप्रेसवे और हाईवे बनवाकर कई दशकों तक टोल टैक्स की वसूली के नाम पर अंधी कमाई का साधन मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही इसकी आड़ में बेशकीमती जमीन भी इन ग्रुपों को एक्सप्रेसवे और हाईवे के किनारे उपलब्ध हो रही है। काश सरकार जनहित को भी समझती। आज चार पहिया और दो पहिया वाहन आम लोगों की सवारी हो गई है और हर तीसरे घर में उपलब्ध हैं। टोल टैक्स की दर इन वाहनों के चलने में बाधा बनता है।

  • साभार, 
  • आर.के.मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार 
  • Tweeter @RajendraMaurya
  • नई दिल्ली.


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