America Delhi USA haryana hisar News Retired commodore of Indian Navy arrived to repay 67 years old Rs 28 of the Lussy and pede
- अमेरिका से 67 वर्ष पुराना 28 रुपए का कर्ज हलवाई को चुकाने के लिए हिसार आए रिटायर्ड नौसेना कॉमोडोर बीएस उप्पल
भारतीय नौसेना में बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित होने वाले रिटायर्ड नौसेना कॉमोडोर बीएस उप्पल अमेरिका से हरियाणा के अपने गृहनगर हिसार में पहुंचे। वे हिसार के मोती बाजार स्थित दिल्ली वाले हलवाई के पास पहुंचे। वहां उन्होंने दुकान के स्वामी विनय बंसल को बताया कि तुम्हारे दादा शम्भू दयाल बंसल के मुझ पर 1954 में 28 रुपये बकाया थे, परंतु मुझे अचानक शहर से बाहर जाना पड़ गया। उसके बाद मैं नौसेना में भर्ती हो गया और फिर हिसार आना ही नहीं हो पाया।
- विनय बंसल ने लेने से किया इंकार, पर नहीं माने उप्पल
अब सेवानिवृत्ति के बाद बेटे के साथ अमेरिका में रहने लगा। वहां मुझे हिसार की दो बातें हमेशा याद रहती थीं। एक तो आपके दादा जी के 28 रुपये। दूसरा, मैं हरजीराम हिन्दू हाईस्कूल में दसवीं पास करने के बाद नहीं जा सका था। वहां जाने की मेरी बड़ी इच्छा थी। आपकी दुकान पर मैं दही की लस्सी में पेड़े डालकर पीता था। जिसके 28 रुपये बकाया रह गए थे। आप की राशि का उधार चुकाने और अपनी शिक्षण संस्था को देखने के लिए अमेरिका से विशेष रूप से हिसार में आया हूं। यह सुनकर हलवाई विनय बंसल भावुक हो गया। और जब बीएस उप्पल ने विनय बंसल के हाथ में दस हजार की राशि रखी तो विनय बंसल ने लेने से इंकार कर दिया, लेकिन जिद के पक्के उप्पल ने करते हुए कहा कि मेरे सिर पर आपकी दुकान का ऋण बकाया है, इस ऋण के लिए कृपया यह राशि स्वीकार कर लो। मैं अमेरिका से विशेष रूप से इस कार्य के लिए आया हूं। मेरी उम्र 85 साल हो चुकी है। उस समय की यह राशि आज इतनी तो हो गई होगी, इस कारण मैं यह राशि दिए बिना नहीं जाऊंगा। तब विनय बंसल ने राशि को स्वीकार किया।
- स्कूल देखने की इच्छा रही अधूरी, निराश लौटे उप्पल
भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त कॉमोडोर बीएस उप्पल बाद में हरजीराम स्कूल में गए। बंद स्कूल को देखकर वे निराश लौट आए। बता दें बीएस उप्पल उस पनडुब्बी के कमोडोर थे, जिसने भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के जहाज को डुबो दिया था। अपनी पनडुब्बी और नौसैनिकों को सुरक्षित ले आए थे। इस बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने उन्हें बहादुरी के नौसेना पुरस्कार से सम्मानित किया था। (दिल्ली ब्यूरो)
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