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Chief Justice ; अप्रिय विवादों से परे बेहतर फैसलों की उम्मीद

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 अप्रिय विवादों से परे बेहतर फैसलों की उम्मीद छात्र नेता और श्रमजीवी पत्रकार रह चुके 64 वर्षीय नूतलपाटि वेंकट रमण भारत के 48वें प्रधान न्यायाधीश नामित हो गए हैं। अगले माह (24 अप्रैल, 2021) यह तेलुगुभाषी विधिवेत्ता पद संभालेंगे। इनका ताजातरीन फैसला बड़ा जनवादी था। कश्मीर घाटी में इंटरनेट पर लगी पाबंदी को समाप्त करना। नागरिक स्वतंत्रता के प्रति इनकी पक्षधरता मई 1975 से ही मजबूत होती गई। वह जब 18 साल के थे, अविभाजित आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के अपने गांव पोन्नवरम में एक जनसभा को संबोधित करने के बाद घर लौटे थे और पिता ने उन्हें तत्काल मामा के शहर रवाना कर दिया था। एक अतिरिक्त जोड़ी कपड़े ले जाने को कहा। दस रुपये दिए और बस में बैठा दिया। उसी शाम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत पर आपातकाल थोपा था। जेल भराई चालू हो गई थी। किसान पिता को भनक लग गई थी कि सत्ता-विरोधी और लोकतंत्र-समर्थक पुत्र को पुलिस शीघ्र ही कैद में डाल देगी। युवा वेंकट रमण को इस बात का गिला था कि यात्रा के लिए मिले दस रुपये कम पड़ गए थे। खैर, कानून की डिग्री लेकर जीविका के लिए दो साल बहुप्रसारित तेलुगु दैनिक ईनाडु  की...

Journalist becomes the Chief Justice of the country : पत्रकार बना देश का प्रधान न्यायाधीश

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  पत्रकार बना देश का प्रधान न्यायाधीश !                       एन वी रमण        छात्र नेता और श्रमजीवी पत्रकार रहा एक किसान का बेटा चौंसठ वर्षीय नूतलपाटि वेंकट रमण भारत का 48वां प्रधान न्यायाधीश नामित हो गया है। अगले माह (24 अप्रैल 2021) यह तेलुगुभाषी विधिवेत्ता सर्वोच्च न्यायालय में नया पद संभालेंगे। इनका ताजातरीन निर्णय बड़ा जनवादी था। कश्मीर घाटी में इन्टरनेट पर से पाबंदियों को समाप्त करना। कारण बताया कि संवाददाता पर दबाव नहीं थोपना चाहिये। नागरिक स्वतंत्रता की इनकी पक्षधरता मई 1975 से ही दृढ़तर होती गयी। तब यह 18—वर्षीय युवा अविभाजित आंध्र—प्रदेश के कृष्णा जिला के अपने गांव पोन्नवरम में एक जनसभा को संबोधित करने के बाद घर आया।  पिता ने उसे तत्काल मामा के शहर रवाना कर दिया। एक अतिरिक्त जोड़ा कपड़ा ले जाने को कहा। दस रुपये दिये। बस में बैठाया। उसी शाम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत पर आपातकाल थोप दिया था। जेल भरायी चालू हो गई थी। किसान पिता को भनक लग गयी थी कि सत्ता—विरोधी और लोकतंत्र—समर्थक पुत्र को...

Calcium for Sleeping (Video) : नींद के लिए कैल्शियम मात्रा पूरी करें

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  नींद के लिए कैल्शियम मात्रा पूरी करें

West Bengal :; जंग- ए- बर्रे बंगाल

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 जंग—ए—बर्रे बंगाल ! *के. विक्रम राव*         चोटिल ममता बनर्जी बोलीं : ''घायल शेरनी ज्यादा घातक होती है।'' अर्थात वे भाजपा को धमका रहीं हैं कि राज्य विधानसभा चुनाव में खराब नतीजों के लिये वे लोग तैयार रहें। कल (मार्च 15) वे झाल्दा (पुरुलिया) रैली में बोली: ''अगले कुछ दिनों में मेरे पैर के घाव तो ठीक हो ही जायेंगे। पर अब आप सोचिये कि बंगाल में आप लोग अपनी टांगों पर चल पायेंगे?'' (दि हिन्दू दैनिक, 16 मार्च, पृष्ट—10, कालम—एक से चार)। उनके चुनावी उदगार थे : ''नरेन्द्र मोदी निकम्मे हैं। देश नहीं चला सकतें''  अमित शाह पर वे बोलीं : ''यदि गृहमंत्री प्रार्थना करते तो मैं अपने पार्टीजन को उनकी सभा में भेज देती। वह फीकी न रहती।'' ममता बनर्जी बोलीं कि विरोधियों को विश्वास था कि घायल होकर वे चुनाव अभियान से दूर हो जायेंगी। ''मगर वे अब समझ लें कि आखिरी सांस तक, लहू के अंतिम कतरे तक मैं लडूंगी। कदापि नहीं झुकूंगी। भले ही टूट जाऊं।'' तो यह हुयी गर्जना !                 पर ममता दीदी द्वारा दर्द से कराहने पर अमित शाह बोले...

Gandhi'S Dandi March : दांडी मार्च : जब अंग्रेजों को नमक मिर्चेदार लगा था

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 दाण्डी मार्च की सालगिरह जब ब्रिटिश को नमक मिर्चेदार लगा था !! *के. विक्रम राव*           ठीक पचास वर्ष हुये आज से, (12 मार्च 2021)। मेरे पत्रकारी व्रत (अब वृत्ति) का प्रथम दशक था। अहमदाबाद के आश्रम रोड (नवरंगपुरा) पर हमारा दफ्तर (टाइम्स आफ इंडिया) रहा, अभी भी है। साबरमती नदी तट पीछे और गांधी आश्रम दूसरी छोरपर पड़ता है।         गुजरात में मेरी पहली खास ऐतिहासिक रिपोर्टिंग का वह मौका था। बापू की दाण्डी मार्च। (12 मार्च 1930)की चालीसवीं जयंती थी। ब्रिटिश फिल्म निर्माता रिचर्ड एटेनबरो ने अपनी कृति ''गांधी'' ने इस सत्याग्रह की घटना का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है। यह फिल्म 1982 में प्रदर्शित हुयी थी।         तभी बस चन्द माह पूर्व (1968) मुंबई मुख्यालय से नये संस्करण हेतु मेरा तबादला अहमदाबाद कार्यालय किया गया था। मेरा भाग्य था कि वह गांधी शताब्दी वर्ष था। पत्रकारिता का नया दशक शुरु करने का मुझे अवसर मिला था। ठीक दो वर्ष पूर्व (फरवरी 1928) चालीस किलोमीटर दूर बारडोली में वल्लभभाई पटेल का किसान सत्याग्रह विपुल सफलता लिये ख्...

Nari Shakti: एक सच, जिससे पुरुष अनजान

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एक सच, जिससे पुरुष अनजान डॉ. पुष्प लता  एक सच जो पुरुष नहीं जानता जब स्त्री बच्चे को जन्म देती है तो उसकी देह लगभग निर्जीव हो जाती है वह बैठने की हालत में नॉर्मल में भी नहीं होती ऑपरेशन में तो और भी मुश्किल  उसी वक्त उसके ऊपर एक शिशु की जिम्मेदारी उसे उसे बैठकर ही दूध पिलाना होता है  वरना उसके कान में जा सकता है।वह भी हर वक्त क्योंकि शिशु एक घण्टे में दूध पीता है एक आधा घण्टा डकार दिलाने में वरना उसकी सांस की नली में दूध जा सकता है। उसकी बड़ी सुई के छेद जितनी नाक दबकर  दम घुट सकता है क्योंकि मुँह से सांस वह दूध पीते  हुए नहीं ले सकता । प्रकृति ने माँ का दूध ऐसा बनाया वह हर वक्त भी पिये नुकसान नहीं करता।आदमी का बच्चा सबसे कमजोर होता है ।वह दो घूँट पिए सो गया ऐसे चलता है।वह लेटने को होती है वह दोबारा चीखने लगता है।अधिकतर शिशु असुरक्षित महसूस करते हैं मुँह में दूध लेकर  ही सोते  हैं बिस्तर पर लेटाते  ही चीखने लगते हैं । वह माँ से दूध से जुड़कर सुरक्षित महसूस करते हैं मर्जी में आया पिया मर्जी में आया सो गया ।मुँह में लॉक  लगा लेता  है जिससे अल...

Women's day: आठ हस्तियों को मिला महिला शक्ति सम्मान-2021

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 महिला शक्ति सम्मान-2021 गाजियाबाद  उत्तरपदेश की प्रसिद्ध संस्था  "प्रणवाक्षर  साहित्यिक, समाजिक, सांस्कृतिक संघ "ने महिला दिवस पर आठ विशेष  स्त्री शक्तियों को सम्मानित किया । संस्था की  लगभग तीस वर्ष पुरानी सक्रिय    विंग "संयुक्त ग्रामीण विकास समिति" गांवों में सामाजिक सेवा के कार्यक्रम करती रहती  है। कोरोना में भी , समय- समय पर गरीबों  को भोजन ,मास्क, साबुन ,सेनेटाइजर ,कैप ,राशन आदि  वितरित करवाया , आज तक कभी कोई सरकारी लाभ सहयोग  नहीं लिया यह सब वह स्वयं ही ऑर्गनाइज करती है । क्योंकि कोरोना में  दर्शक आने में कतराते  हैं इसलिए  महिला दिवस को आठ विशेष  स्त्री शक्तियों  को ऑनलाइन  सम्मानित  किया है  ।साहित्यकार  डॉ वर्षा चौबे  ,डॉ प्रीति खरे  भोपाल से वरिष्ठ साहित्यकार हैं ।उन्हें अनेक सरकारी गैर सरकारी सम्मानों से सम्मानित किया गया है ।शैल अग्रवाल इंग्लैंड से वरिष्ठ साहित्यकार हैं ,सुषमा गजापुरे ,    "साहित्य सुषमा" और "बचपन "की संपादक हैं  नवभारत की कॉलमि...

‍BATLA HOUSE : बाटला हाउस का दर्द

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बाटला हाउस का दर्द                                                (लाइब्रेरी फोटो) के. विक्रम राव          बाटला हाउस केस (2008) में अगले सोमवार (15 मार्च 2021) को दिल्ली के अतिरिक्त न्यायाधीश माननीय संदीप यादव संभवत: सरकारी वकील मियां एटी अंसारी की मांग मानकर हत्यारे मोहम्मद आरिज खान को फांसी की सजा सुना दें। आखिर इसी आजमगढ़वासी सुन्नी कातिल ने दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर (अलमोड़ा में जन्मे) मोहनचन्द्र शर्मा की निर्मम हत्या की थी। मगर इस वीभत्स सियासी प्रकरण का पटाक्षेप मात्र इतने से नहीं हो जायेगा। असली दोषियों को जन—अदालत के कटघरे में खड़ा करना होगा। इनमें शामिल हैं तमाम राजनेता (राजनेत्री भी), इस्लामी तंजीमें, मानवाधिकार के कथित डुग्गी पीटनवालें,  गंगाजमुनी ढकोसलेबाज, मुसलमान वोट बैंक के ठेकेदार तथा अन्य लोग जो शहीद इंस्पेक्टर शर्मा की विधवा माया शर्मा को मुआवजा देने की आलोचना करते रहें।         इंस्पेक्टर शर्मा की पत्न...

Book review : फॉर्मूला 44 की लघु कथाएं

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 " विविध विषयों को समेटे हुए बहुरंगी पुष्प गुच्छ है फार्मूला 44  की लघु कथाएं ।"     डाक्टर पुष्पलता अधिवक्ता हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक सुपरिचित नाम हैं।वे एक प्रसिद्ध साहित्यकार हैं और अनेक  सरकारी- गैर सरकारी उच्च स्तरीय सम्मानों से सम्मानित हो चुकी हैं। उनका लेखन साहित्य की अनेक विधाओं में है। उनके लेखन में निरंतरता है और इस कारण उनकी एक पत्रकार जैसी खोजी दृष्टि समाज में घटित सभी प्रकार की घटनाओं को अपने लेखन का विषय बना लेती है। उनकी अब तक लगभग 21 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें अनेक गीत संग्रह,तीन खण्ड काव्य, उपन्यास,बालगीत,बाल उपन्यास , सूफी टप्पे ,कहानी संग्रह  व  लघु कहानियों का संग्रह हैं। इस वर्ष उनकी नव प्रकाशित लघु कहानियों का संग्रह  " फार्मूला -44 "मेरे हाथ में है। सर्व प्रथम कहानी संग्रह का शीर्षक ही पाठक को आकर्षित करता है पढ़ने के लिए।इस संग्रह में 41 कहानियाँ हैं जिनके विषय अपने आस-पास घटित सामान्य घटनाएं हैं जो प्रभावित करती हैं। कुछ कहानियों में संदेश है तो कुछ में साहित्य जगत में आपसी होड़ व आपाधापी का सजीव चित्रण ह...

Dictator : क्रूरतम तानाशाह की बरसी

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क्रूरतम तानाशाह की बरसी के. विक्रम राव         एकदा राजधानी मास्को के सत्ताभवन क्रेमलिन में सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठतम अधिनायकों की बैठक हो रही थी। महासचिव निकिता खुश्चोव बता रहे थे कि: ''जोसेफ स्टालिन रुसी इतिहास में क्रूरतम तानाशाह रहा। इसने लाखों निर्दोष जनों का कत्ल कराया।'' इस पर पीछे से आवाज आई : ''कामरेड, तब आपने विरोध क्यों नहीं किया ?''  खुश्चेव ने पूछा: ''किसका प्रश्न है यह?'' सभागार में एकदम शांति पसर गयी। खुश्चेव ने कहा: ''बस यही खामोशी मेरा उत्तर है।''         आज (5 मार्च 2021) रुसी तानाशाह जोसेफ विस्सारवियानोविच स्टालिन की 68वीं पुण्य (मुक्ति) तिथि है। एक अनुमान में उसने अपने राज में डेढ़ करोड़ को मौत दी। द्वितीय विश्वयुद्ध में 90 लाख रुसी सैनिकों की बलि चढ़ाई। इसी युद्ध में स्टालिनग्राद में पकड़े गये नाजी सेना के पराजित जवानों में थे इतालवी तानाशाह तथा हिटलर के हमराही बेनिटो मुसोलिनी के एक सिपाही। उनका नाम था स्टिफानो मियानों। उनकी पुत्री है सोनिया मियानो—गांधी, अब भारतीय कांग्रेसी नेता।         सं...

Poetry Video : कान्हा की बांसुरी

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UP: मुकदमा- वापसी दायित्व है

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मुकदमा—वापसी दायित्व है ! के. विक्रम राव*     *यूपी* विधानसभा में कल (2 मार्च 2021) समाजवादी विपक्ष ने जानकारी मांगी थी कि भाजपा सरकार ने कितने मुकदमें वापस लिये? विधि मंत्री ने चलताउ उत्तर दिया कि संख्या 670 है, मगर लाभार्थियों के नाम नहीं बताये। अब बजाये टालमटोल के, विधि मंत्री पटुता दर्शाते। पिछली तीनों सरकारों की सूची पटल पर रख देते। अधिक सूचना देने पर सदन में कोई रोक नहीं होती। सभी दलों की करनी उजागर हो जाती।        *कल* रात ही जी—टीवी पर एक मुबाहिसा में मैंने अभिमत व्यक्त किया था कि हर निर्वाचित सरकार को सार्वभौम अधिकार है कि वह राजनीतिक मुकदमों को निरस्त कराये। यह कमनसीबी है कि सत्ता पर सवार होते ही हर पार्टी की वाणी बदल जाती है। आचरण में बौद्धिक ईमानदारी तथा व्यवहारिक प्रौढ़ता नहीं दिखती। मसलन केरल के प्रथम कम्युनिस्ट सरकार का 1958 वाला निर्णय देख लें। तब ईएमएस नंबूदिरपाद के नेतृत्व में विश्व में वोट द्वारा (न कि बन्दूक की नली से) गठित प्रथम जनवादी सरकार बनी थी। राजभवन में शपथ लेकर काबीना ने पहला फैसला किया था कि कम्युनिस्ट किसान नेता की दूसरे दिन ह...

My Friend Arif Qureshi ; आरिफ कुरैशी: दोस्त, जो सभी रिश्तों पर भारी

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 आरिफ कुरैशी :  दोस्त,  जो सभी रिश्तों पर भारी हमें जिंदगी में जन्म से परिजन और रिश्तेदार तमाम मिलते हैं। दोस्त हम खुद चुनते हैं। इस भागती दौड़ती जिंदगी में देश के विभिन्न हिस्सों में तमाम लोग मिले, जो व्यावसायिक युग में बहुत नजदीक भी आए, लेकिन समय के साथ जिंदगी के इस मेले में कहीं औझल हो गए।  सच्चा दोस्त दिल में बसता है, सभी रिश्तों पर भारी होता है। आंखों से दूर होते हुए भी हमेशा अपने साथ रहता है। कभी कितने समय बाद भी मिले, बिना बनावटी तरो-ताजगी और जोश दिखा, ऐसा था मेरा दोस्त आरिफ कुरैशी। जिसमें न कोई स्वार्थ था न कोई औपचारिकता। मैं 30 वर्ष पहले अपना गृहनगर सरधना छोड़कर देश के कई हिस्सों में रहा हूं अभी भी सैकड़ों किमी दूरी पर कानपुर में कार्यरत हूं। आज दोपहर बाद मुझे सरधना से एक मोबाइल कॉल आई, जिसपर भाई आरिफ कुरैशी के निधन की मिली सूचना से स्तब्ध रह गया और रो पड़ा। निशब्द होकर अपने मुंह से कुछ क्षणों के लिए बोल भी नहीं पाया।  पिछले कुछ माह में ही मैंने आज अपने परिवार में आरिफ भाई समेत तीन मौतें देखीं, जिनसे मैं अंदर तक हिल गया और मैंने अपने को एक झटके में ही क...

Mahatma Gandhi : गांधी की धर्मनिरपेक्षता

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  गांधी की धर्मनिरपेक्षता   के. विक्रम राव   म हात्मा गांधी ने सेक्युलर शब्द न कभी कहा और न कही लिखा। वे चाहते थे कि यदि पुनर्जन्म हुआ तो वे हिन्दू ही हों। अपने को संकोच नहीं होता था। फिर भी मनसा, वाचा, कर्मणा बापू अप्रतिम सेक्युलर थे। अल्पसंख्यक उनपर बेहिचक भरोसा करते थे। मुसलमानों के वे अविचल सुहृद थे क्योंकि उनकी दृष्टि में इस्लाम के ये मतावलंबी मात्र वोटर नहीं थे। खुद उनकी भांति हिन्दुस्तानी थे। हालांकि इतिहास का मान्य यह तथ्य है कि अविभाजित भारत में मुस्लिमों का बहुलांश मियाँ मोहम्मद अली जिन्ना के पीछे था। गांधी और उनके हमराह खान अब्दुल गफ्फार खान तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद को अनसुनी करता था। इसीलिये वेदना होती है, रोष भी, जब चन्द बहके भारतीय अधकचरी जानकारी के बूते विकृत बातें पेश करते हैं। इससे सेक्युलर राष्ट्रवादी का मन खट्टा होना स्वाभाविक है। मसलन कुछ उग्र हिन्दू कहते हैं कि तुर्की के खलीफा का समर्थन कर गांधीजी ने भारत में इस्लामी फिरकापरस्ती को खादपानी दिया, पोषित किया।            दूस...

Journalist: कानपुर में पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर भड़के मुरादाबाद के पत्रकार, डीएम को दिया ज्ञापन

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  कानपुर के तीन पत्रकारों पर लगे मुकदमे को तुरंत हटाये जाने को लेकर डीएम से मिला उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन मुरादाबाद, मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन  मुरादाबाद । उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर में के न्यूज़ चैनल के तीन पत्रकारों पर वहां के बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा उन पर भ्रामक खबर चलाने के आरोप में मुकदमा लिखवाने से नाराज उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की मुरादाबाद यूनिट ने बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पर एकत्रित होकर जिलाधिकारी मुरादाबाद राकेश कुमार सिंह से मिले और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक ज्ञापन सौपा है जहां तुरन्त कानपुर के तीनों पत्रकारों पर लगे मुकदमे को हटाए जाने की मांग की गई है ।  मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में यहां कहा गया कि कानपुर में कार्यरत के न्यूज़ के पत्रकार मोहित कश्यप यासीन अली एवं अमित सिंह के खिलाफ एक स्कूल के छोटे बच्चों को कड़कड़ाती ठंड में नेकर और हाफ शर्ट में योगा कराने की सच्ची खबर दिखाने के उपरांत चिढ़ कर बीएसए द्वारा उन तीनों पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करवा दी है ।  ज्ञापन में मुख्यमंत्री से कहा गया है कि पत्रकार अपन...

Dr. Ambedkar : डॉक्टर अंबेडकर : एक सपना जो कभी पूरा नहीं हुआ

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 डॉ. अंबेडकर:  एक सपना जो कभी पूरा नहीं हुआ

8 Royal family of India: भारत के आठ राजघराने

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 भारत के आठ राजघराने

Journalist: शहीद सिपाहियों के परिजन सम्मानित

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  यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने संभल में शहीद हुए सिपाहियों के परिजनो को किया सम्मानित, परेशानी में मदद का दिया भरोसा  मुरादाबाद । 17 जुलाई 2019 की वह तारीख शायद ही किसी ने भूली होगी जहां अपनी ड्यूटी और कर्तव्य का पालन करते हुए जिले के दो जाबांज़ सिपाही  कैदियों की गोली का शिकार हुए और शहीद हो गए थे । उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन शहीद हुए सिपाहियों  के  परिवार के साथ सदैव खड़ा है । गणतंत्र दिवस के अवसर पर यूनियन के सभी सदस्य संभल जनपद में शहीद हुए पुलिस कर्मियों के मुरादाबाद में रह रहे परिवारजनों से मिले और उन्हें सम्मानित किया है । इस दौरान यूनियन ने परिजनों से मुलाकत करते हुए उनकी हर परेशानी में हर सम्भव मदद करने का भरोसा भी दिलाया है । वहीं यूनियन द्वारा सम्मानित किए जाने और हर संभव मदद का आश्वासन मिलने पर शहीद हुए सिपाहियों के परिवार ने कहा कि आपका प्रयास बेहद सराहनीय है यह सम्मान हमारे परिवार के लिए बहुत अहम है । परिवार ने इस सम्मान के लिए बहुत आभार जताया है ।  बता दे, 17 जुलाई 2019 को मुरादाबाद की जेल में बंद  24 कैदियों को संभल जनपद के...

Dr. Ambedkar : गणतंत्र और बाबा साहेब डा. अम्बेडकर

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Journalist : पत्रकारों ने दिया ज्ञापन

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 डीएम से मिला उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन मुरादाबाद, पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं को लेकर की चर्चा  मुरादाबाद । इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अधीन उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन मुरादाबाद यूनिट की नई कार्यकारिणी के सभी नव निर्वाचित पदाधिकारी और सदस्य गुरुवार को जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह से मिले और पत्रकारों की विभिन्य समस्याओं सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की । इस दौरान पत्रकारों के उठने बैठने की जगह, उनकी सुरक्षा और उनके लिए आवास अलॉट करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई । जिलाधिकारी ने भी इस दौरान आश्वस्त किया है साथ ही जल्द ही उनके दिए गए सुझाव पर विचार करते हुए इसे जल्द ही पूरा किए जाने का भी आश्वासन दिया है । उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन मुरादाबाद के जिलाध्यक्ष मोहम्मद फहीम खान ने बताया कि हमारी यूनियन की पहले से ही मांग रही है की पत्रकारों का जो भी उत्पीड़न हो रहा है उसे बंद किया जाए क्योंकि पत्रकार अपना सबकुछ दांव पर लगा कर समाज और प्रशासन की खिदमत करता है साथ ही सरकार और मुल्क की खिदमत करता है । वहीं उन्होंने बताया कि यूनियन ने प...