राजनीति में वंशवाद का नारा बेमायने --राजेन्द्र मौर्य---- देश के राष्ट्रपति रहे हैं ज्ञानी जैलसिंह। उनके पौत्र इंद्रजीत सिंह मेरे अच्छे मित्रों में हैं। राष्ट्रपति पद से हट जाने के बाद एक बार मैं ज्ञानी जी के पास बैठा था। मैंने उनसे पूछा कि क्या बात है, कि देश में अब हर चुनाव में गांधी-नेहरू परिवार को गैर कांग्रेसी दल राजनीति से बेदखल करने की बात करते हैं !, इसपर ज्ञानीजी ने बहुत ही सदा हुआ जवाब मुझे दिया कि ऐसा करने से किसी को कौन रोक रहा है, यह तो लोकतंत्र है जनता जब चाहे जिसको राजनीति से बाहर कर सकती है। लोग उनको वोट देना बंद कर दें, तो यह परिवार अपने आप बाहर हो जाएगा। इन दिनों लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारी शुरू हो गई है। सभी दलों ने अपने-अपने तरीके से चुनीवी अभियान की शुरूआत कर दी है। चुनावी अभियान में एक बार फिर भाजपा अपने नए प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को लेकर मैदान में उतरी है। नरेंद्र मोदी ने भारत को वंशवाद से मुक्ति के लिए कांग्रेस को हराने का आह्वान किया है, लेकिन उनको...
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Babar-Panipat-Mugal-Samarkand-Babri-Masjid-the-Empire
बाबर वास्तव में हीरो था या लुटेरा ? मुबाहिसाः आर.के. मौर्य भा रत में इन दिनों एक वेब सीरीज "द एंपायर" चर्चा में है, जिसमें भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक आक्रमणकारी बाबर का एक अलग रूप दिखाकर कुछ महामंडन करने की कोशिश करने का आरोप लग रहा है। बाबर वास्तविकता में हीरो था या लुटेरा आक्रमणकारी, इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी हुई है। इतिहास के पन्नों पर भी बाबर की वास्तविकता को लेकर सटीक दावा नहीं किया जा सकता है, चूंकि इतिहासकारों ने कहीं न कहीं छलकपट करके अपने व्यक्तिगत विचारों का घालमेल करके सत्यता को छिपाने का काम किया है? वेब सीरीज में भी यह साफ दिखता है। सीरीज के पहले सीजन के आठों एपीसोड में कहीं भी उनके द्वारा कसबों, जनपदों को लूटने के दौरान की गई क्रूरता नहीं दिखाई गई है, जबकि माना जाता है कि काबूल का शासक बनने से पहले वह निरंतर लूटमार करते हुए अपने साथ हजारों की संख्या में शामिल सैनिकों का भरण पोषण करता रहा। डिजनी प्लस हॉटस्टार सोशल मीडिया पर विवादों में फंसता दिख रहा है. दरअसल, मुगलों के इतिहास पर बने डिजनी के एक्सक्लूसिव सीरीज द एम्पायर (The Empire web seri...
महाराष्ट्र में वंचितों के रहबर थे मुंडे भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे से मेरी कभी व्यक्तिगत रूप से बैठकर बात तो नहीं हुई, लेकिन उनके एक प्रशंसक ने कई बार उनके बारे में मुझे बताया तो मेरे मन में उनकी एक अच्छी छवि बनी और लगा कि वह महाराष्ट्र में गरीबों के रहबर की तरह काम कर रहे थे। उनकी प्राथमिकता में भले ही भाजपा का राजनीतिक एजेंडा था, लेकिन उनकी व्यक्तिगत इच्छा अपने गरीब समाज के लिए भी काफी कुछ करने की थी। मैं अगले दिनों में उनसे मिलने की सोच रहा था, लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं था। पिछले सप्ताह ही उन्होंने मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व संभाला और शायद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की शुरुआत करने के लिए ही अपने निर्वाचन क्षेत्र बीड में बड़ी जनसभा के माध्यम से अपनी विजय का उत्सव मनाने जा रहे थे, लेकिन काल को कुछ और ही मंजूर था, जिसका नतीजा वे हमसे दूर अंतिम यात्रा पर चले गए। वह बंजारा समुदाय से थे, जो महाराष्ट्र में पिछड़े वर्ग में तो कई प्रदेशों में अनुसूचित जाति और जनजाति में भी शामिल हैं। तब ही तो वह पिछड़े वर्ग के साथ ...
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