CORONA LOCKDOWN : WHO में बदलाव की शुरूआत, भारत स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन होंगे कार्यकारी अध्यक्ष


  • 22 मई को संभालेंगे हर्षवर्धन कार्यभार
कोरोना महामारी के बीच दुनिया के तमाम देशों की आलोचना के शिकार हो रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन  WHO में कार्यकारी बोर्ड के चेयरमैन का पदभार भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन, 22 मई को संभालेंगे।  डॉक्टर हर्ष वर्धन को कार डब्लूएचओ के 34 सदस्यों वाले बोर्ड में जापान के डॉक्टर हिरोकी नाकातानी की जगह अब डॉक्टर हर्ष वर्धन लेंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर हर्ष वर्धन 22 मई को बोर्ड के चेयरमैन पद संभालेंगे। जिसके बाद डॉ. हर्ष वर्धन के पास भारत के साथ- साथ दूसरे देशों की जिम्मेदारी होगी। हालांकि, यह पूर्णकालिक जिम्मेदारी नहीं होगी,  लेकिन स्वास्थ्य मंत्री को WHO की कुछ बैठकों में जरूर शामिल होना होगा।

  • पिछले वर्ष हो गया था निर्णय 
वैश्विक मंच पर भारत के प्रतिनिधित्व के प्रस्ताव पर 194 देशों ने हस्ताक्षर किए। हालांकि, संगठन की ओर से यह फैसला पिछली साल कर लिया गया था कि अगर चेयरमैन भारत की ओर से होगा. अधिकारियों के अनुसार, हर साल यह पद बदलता है और ऐसे में पिछले साल तय हुआ था कि अगला प्रतिनिधित्व भारत करेगा।  बोर्ड की साल में दो बार बैठक होती है जिसमें मुख्य बैठक आमतौर पर जनवरी और दूसरी बैठक मई में होती है. संगठन में कार्यकारी बोर्ड का मुख्य कार्य असेंबली के निर्णयों व पॉलिसी तैयार करने के लिए सलाह देना होता है। तकनीकी रूप से देखें तो स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर 34 देशों को ही कार्यकारी बोर्ड का सदस्य बनाया जाता है. हालांकि, इस बार कुछ पिछड़े देशों को शामिल किया गया है जिसमें बोट्सवाना, कोलंबिया, घाना, गिनी-बिसाऊ, मेडागास्कर समेत कई देश शामिल हैं।

  • डोनाल्ड ट्रंप को नहीं भा रहा एप्पल कंपनी का भारत आना
 अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नहीं चाहते कि गैजेट कंपनी एप्पल भारत में अपने मैनुफैक्चरिंग प्लांट लगाए। ऐसा करने पर उन्होंने नया टैक्स लगाने की धमकी दी एक इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर कंपनियां भारत या आयरलैंड समेत और देशों में जाना चाहती हैं तो उनपर सरकार नया टैक्स लगा सकती है।

  • COVID 19 : WHO की चेतावनी- शायद कभी खत्म नहीं होगा कोरोना वायरस

दुनिया में कोरोना वायरस के हाहाकार के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जो खबर दी है वो आपको भी चिंता में डाल सकती है. डब्लूएचओ के अनुसार, कोरोना वायरस ऐसी बीमारी है जो शायद कभी खत्म नहीं होगी. वैश्विक संगठन ने कहा कि हो सकता है कोरोना वायरस समुदायों के बीच बना रहे जिसका भविष्य में कभी खात्मा न हो.                                                                                        
  • डोनाल्ड ट्रंप का दावा :   चीन में हुई अमेरीका से भी अधिक मौतें



अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि चीन में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या असल में कहीं अधिक है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि, "इस अज्ञात शत्रु से होने वाली मौतों का आंकड़ा चीन अचानक बढ़ा कर दोगुना कर दिया है. लेकिन ये इससे कहीं अधिक है, ये अमरीका में हो रही मौतों के आंकड़े से भी कहीं अधिक है."
इससे पहले चीन के हुबे प्रांत के वुहान में अधिकारियों ने कोविड-19 से होने वाली मौतों के आंकड़े को 50 फीसदी तक बढ़ा दिया था। अधिकारियों के अनुसार और 1,290 मौतें कोरोना वायरस के कारण हुई हैं. इसके साथ ही हुबे में मौतों का आंकड़ा कुल 3,869 तक पहुंच गया और चीन के लिए ये आंकड़ा 4,600 तक पहुंच गया है।
अधिकारियों का कहना है कि जेलों और मुर्दाघरों में मौतों के संबंध में रखी गई रिपोर्टों से जो नया डेटा मिला है उसी के आधार पर नए आकड़े जारी किए गए हैं।
जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार चीन ने अब तक करीब कोरोना संक्रमण के 84,000 मामलों की पुष्टि की है।

  • चीन में कम मौतों के दावे पर सवाल

विभिन्न मीडिया माध्यम से आ रहीं खबरों के मुताबिक   वुहान में होने वाली मौतों का आंकड़ा दोगुना बढ़ा कर चीन ने विश्लेषकों को चिंता में डाल दिया है। बीते कई सप्ताह से चीन के आधिकारिक आंकड़ों के बारे में सवाल पूछे जाते रहे हैं। अब तक अनुमान ये लगाया जा रहा था कि अपने शहरों और कस्बों में इमर्जेंसी का बेहतर प्रबंधन कर मौतों को कम करने में सफलता दिखाने के लिए चीनी अधिकारियों ने जान बूझकर आकड़ों के बारे में सच नहीं बताया होगा। लेकिन ऐसा होता भी है तो चीनी अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि दूसरे देशों में यह संकट कितना व्यापक रूप ले चुका है।

वुहान के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस बारे में जानबूझकर कोई गलत ब्योरा नहीं दिया, बल्कि यहां हालत सुधरने के बाद उन्होंने एक बार फिर सभी मामलों के बारे में जानकारी जुटाई है। हालांकि चीन में मौतों के आंकड़ों की ख़बर ऐसे वक्त आई है जब वहां के आर्थिक विकास के आंकड़ों में गिरावट की घोषणा हुई। इसपर कुछ जानकारों का मानना है कि हो सकता है कि चीन जानबूझकर ये ख़बर छिपाना चाहता हो। हालांकि यह मात्र एक संयोग भी हो सकता है।                                
  • चीन की जीडीपी में 6.8 फीसदी की गिरावट
चीन ने अर्थव्यवस्था पर कोरोना के प्रभाव से संबंधित आधिकारिक तौर पर आंकड़े जारी किए हैं. वर्ष 2020 के पहली तिमाही में चीन की जीडीपी में 6.8 फ़ीसदी की गिरावट देखी गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, बीते तीन दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।

  • वायरस को लेकर चीन और अमेरिका में तनाव
कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान से ही हुई थी। उससे निपटने में चीन क तरीकों विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जमकर तारीफ़ भी की, लेकिन इसके बावजूद चीन की ओर से जारी किए गए आँकड़ों और संक्रमण पूरी तरह रोक पाने के दावों पर लगातार संदेह बना रहा है।
व्हाइट हाउस कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य एंथोनी फ़ाउची न भीे चीन के आकड़ों पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि चीन में नवंबर महीने के तीसरे सप्ताह से ही कोरोना के मामले सामने आना शुरू  हो गए थे, लेकिन चीन  ने ये बात पूरी दुनिया से छिपाई।  उनका आरोप था कि चीन ने इस बीमारी के बारे में जानकारी और तथ्य को छिपाता रहा। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड 19 पर चीन ने जो जानकारी अब तक दी है उस पर भरोसा करना मुश्किल है। उधर, ब्रिटिश सरकार के वरिष्ठ मंत्री माइकल गोव ने हाल में  मीडिया  को बताया कि, "चीन से जुड़ी कुछ रिपोर्ट स्पष्ट नहीं थीं   -जैसे यह किस स्तर पर फैला, इसकी प्रकृति क्या है और यह कितना फैल सकता है।"               
  • चीन में दिसंबर से पहले ही शुरू हो गए थे केस आने
चीन में दिसंबर से पहले  ही कोरोना के मामले आने शुरू हो गए थे, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को 31 दिसंबर को कोरेना वायरस की जानकारी दी । इसके दो कारण हो सकते हैं, एक तो चीन ने शुरू में गंभीरता से नहीं लिया या दूसरा जानबूझकर वह इस वायरस का अपनी धरती से उसकी उत्पत्ति की किसी को जानकारी ही नहीं होने देना चाहता था, लेकिन जब वायरस के हालात बेकाबू होने लगे तो फिर डब्ल्यूएचओ (WHO) को एक सूचना देने की औपचारिकता निभाई।
एक डॉक्टर ने अपने सहकर्मियों को सार्स जैसे किसी वायरस के संक्रमण को लेकर आगाह किया था उनसे पुलिस ने पूछताछ भी की थी।
मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉ. ली वेनलियांग  ने भी अपने साथी डॉक्टरों को चेताया था कि उन्होंने कुछ मरीज़ों में सार्स जैसे वायरस के लक्षण देखे हैं,  लेकिन उन्हें ये कहकर चुप करा दिया गया कि वे लोगों को भ्रमित ना करें. कुछ दिनों बाद डॉ. ली की मौत कोरोना वायरस से हो गई।
बाद में 14 जनवरी को संगठन ने ट्वीट किया कि चीन की शुरुआती जांच में इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में फैलता है।
डोनल्ड ट्रंप और अन्य लोगों ने इस ट्वीट के ज़रिए WHO पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि संगठन आंख मूंदकर चीन की बातों पर भरोसा कर रहा है।
  • WHO ने वैश्विक महामारी घोषित किया 22 जनवरी को                            
22 जनवरी को एक ट्वीट में WHO ने एक बयान जारी करके कहा कि वुहान में कोरोना वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद जनवरी के आखिर में WHO ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया।
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट वॉच से जुड़े केनेथ रॉथ ने भी कहा था कि देश में हो रही मौतों के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर चीनी सरकार बेहद कड़ा रुख़ अपना रही है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा था कि सोशल मीडिया पर वुहान में अंतिम संस्कार के लिए लाए गए शवों की संख्या के बारे में बताने पर एक व्यक्ति को चीनी सरकार ने ऐसा करने से रोका।

  • ट्रंप WHO  से भिड़े, बंद कर दिया फंड

हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ऐडहॉनम गीब्रियेसिस ने चीन के प्रयासों की तारीफ़ की और कहा कि जिस तेज़ी से चीन ने इस महामारी का पता लगाया और लगातार पारदर्शिता बरती वो सराहनीय है, जिसपर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए
अमेरिका ने बयान की आलोचना की और राष्ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन परस्त रवैया अपनाने का आरोप लगाया। अमेरिका की तरफ़ से WHO को दिए जाने वाले फंड का ज़िक्र करते हुए कहा कि, "अमेरिका WHO को सबसे ज़्यादा फंड देता है और आने वाले समय में हम इस फंड पर रोक लगाने जा रहे हैं "
इसके बाद ट्रंप ने अपने प्रशासन को WHO का फंड बंद करने के निर्देश दे दिए और कहा कि वायरस के संक्रमण को रोकने में संगठन की भूमिका की समीक्षा की जाएगी।

  • कोरोना वायरस का राजनीतिकरण न करें : WHO
इसके उत्तर में जेनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक डॉक्टर टेड्रॉस ने कहा कि कोरोना वायरस का 'राजनीतिकरण' नहीं किया जाना चाहिए।
उधर, चीन ने भी अमेरिका के राष्ट्रपति के बयान पर विरोध जताया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ाओ लिजियान ने कहा है, "अमेरीका को कोरोना वायरस महामारी का राजनीतिकरण करने से बचना चाहिए और इससे निपटने में अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"
जॉन हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार चीन में अब तक करीब कोरोना संक्रमण के 84,000 मामलों की पुष्टि की है और यहां इस कारण कुल 4,636 मौतें हुई हैं।





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