Mahatma Gandhi : गांधी की धर्मनिरपेक्षता
     गांधी की धर्मनिरपेक्षता                      के. विक्रम राव            म हात्मा गांधी ने सेक्युलर शब्द न कभी कहा और न कही लिखा।  वे चाहते थे कि यदि पुनर्जन्म हुआ तो वे हिन्दू ही हों। अपने को संकोच  नहीं होता था। फिर भी मनसा, वाचा, कर्मणा बापू अप्रतिम सेक्युलर थे।  अल्पसंख्यक उनपर बेहिचक भरोसा करते थे। मुसलमानों के वे अविचल सुहृद थे  क्योंकि उनकी दृष्टि में इस्लाम के ये मतावलंबी मात्र वोटर नहीं थे। खुद  उनकी भांति हिन्दुस्तानी थे। हालांकि इतिहास का मान्य यह तथ्य है कि  अविभाजित भारत में मुस्लिमों का बहुलांश मियाँ मोहम्मद अली जिन्ना के पीछे  था। गांधी और उनके हमराह खान अब्दुल गफ्फार खान तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद  को अनसुनी करता था।  इसीलिये वेदना होती है, रोष भी,  जब चन्द बहके भारतीय अधकचरी जानकारी के बूते विकृत बातें पेश करते हैं।  इससे सेक्युलर राष्ट्रवादी का मन खट्टा होना स्वाभाविक है। मसलन कुछ उग्र  हिन्दू कहते हैं कि तुर्की के खलीफा का समर्थन कर गांधीजी ने भारत में  इस्लामी फिरकापरस्ती को खादपानी दिया, पोषित किया।                  दूस...
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
