Chirag Paswan Vs Paras : चिराग की मोदी का हनुमान बनाया रहने की कोशिश

  • चिराग की अभी भी मोदी का हनुमान बने रहने की कोशिश



  • लोजपा को भाजपा द्वारा तोड़े जाने पर भी नहीं खुली आंख


लोजपा को तोड़ने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा की भूमिका जब पूरी तरह से जगजाहिर हो चुकी है, तब भी लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अपने को मोदी के हनुमान ही बने रहने की कोशिश में लगे हैं। पता नहीं उनको कौन इस बात की सलाह दे रहा है कि मोदी या भाजपा किसी भी तरह उनका साथ दे सकते हैं और इस संकट के दौर से उनको पूरे सम्मान के साथ बाहर निकाल सकते हैं। 

चिराग पासवान ने मोदी का हनुमान बनकर बिहार में है विधानसभा चुनाव के दौरान तो अपनी शर्मनाक हार का सामना किया ही है लेकिन यहां भी लेकिन अब पार्टी दो फाड़ होने पर भी उनको मोदी की कोई मदद या सहारा नहीं मिलेगा, चूंकि  इसमें यदि थोड़ी भी राजनीतिक गुंजाइश होती तो शायद लोकसभा अध्यक्ष द्वारा पशुपति पारस समेत पांच सांसदों की चिट्ठी पर पशुपति पारस को सदन में लोजपा का नेता मानने में इतनी जल्दी नहीं दिखाई होती ?


सभी जानते हैं बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान चिराग पासवान ने खुद को हनुमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम कहा था। और अब लोजपा पर उनके चाचा द्वारा कब्जा करने पर चिराग ने  कहा है कि हनुमान को अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर वह हनुमान काहे के और वह राम काहे के।


लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता चिराग पासवान ने जेडीयू को अपनी पार्टी में विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट द्वारा लिए गए फैसलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पार्टी का संविधान उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं देता है। पार्टी में विभाजन के बाद मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में 

चिराग ने कहा कि मैं 

  •  'शेर का बेटा हूं' 


और कहा कि वह अपने पिता रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के लिए लड़ेंगे।

विभाजन के लिए जेडीयू को दोषी ठहराते हुए, उन्होंने इस घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका के बारे में सवालों से किनारा कर लिया और कहा कि जो हुआ है वह एक आंतरिक मामला है, जिसके लिए वह दूसरों को निशाना नहीं बनाएंगे।



  • चाचा से बात करने की कोशिश की : चिराग


एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि ''यह सब तब हुआ जब मैं बीमार था. मैंने उस समय अपने चाचा से बात करने की भी कोशिश की, लेकिन मैं असफल रहा.'' उन्होंने कहा कि ''सदन के नेता की नियुक्ति पार्लियामेंट्री बोर्ड का फैसला है, न कि मौजूदा सांसद. ऐसी खबरें आई हैं कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है. पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष को केवल तभी हटाया जा सकता है जब उसकी मृत्यु हो जाती है या इस्तीफा देता है.''


  • चाचा कहते तो बना देते संसदीय दल का नेता

चिराग ने कहा कि ''अगर मेरे चाचा मुझे बोलते कि वो संसदीय दल के नेता बनना चाहते हैं तो मैं तैयार हो जाता। बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था। मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैने चुनाव लड़ा  कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे। मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई। मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे।''

  • किसके हाथ में लोजपा की कमान, चिराग या पारस ? 



लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में चाचा-भतीजे की लड़ाई जारी है। चाचा पशुपति पारस ने पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में बाजी मारी तो चिराग पासवान ने सभी बागियों को बाहर करने का फरमान जारी कर दिया।



लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में  दिल्ली से पटना तक चाचा-भतीजा के समर्थक सड़कों पर हैं. एलजेपी के अंदर जारी इस रस्साकस्सी पर संविधान एक्सपर्ट सुभाष कश्यप ने

मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं पार्टी पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, केवल कानूनी मुद्दे पर बात करूंगा, किसके पास पार्टी का नियंत्रण है और किसके पास किसी को निष्कासित करने का अधिकार है, यह पार्टी के संविधान पर निर्भर करता है, पार्टी के अधिकांश सदस्य ही पार्टी के नियंत्रण पर फैसला करेंगे।


संविधान एक्सपर्ट सुभाष कश्यप के मुताबिक एलजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सांसद/विधायक निष्कासन के बाद भी सदन में पार्टी के सांसद/विधायक के रूप में बने रह सकते हैं, पार्टी का नियंत्रण किसके पास है, यह तय करने के लिए उन्हें अदालत जाना पड़ सकता है, चुनाव आयोग को यह तय करना होगा कि पार्टी का चुनाव चिन्ह किसे मिलेगा।


कश्यप का मानना है कि अब एलजेपी का संविधान ही तय करेगा कि किसके हाथ में पार्टी की कमान रहेगी, हर पार्टी का अलग-अलग संविधान होता है, उसमें नेताओं के चयन और निकालने की गाइडलाइन होती है, एलजेपी के संविधान में भी अलग गाइडलाइन होगा, जिसके जरिए ही साफ हो पाएगा कि चाचा-भतीजे में किसके पास पार्टी की कमान रहेगी।



  • विवाद क्या है ?

रामविलास पासवान की मौत के महज 8 महीने बाद ही लोक जनशक्ति पार्टी में चाचा-भतीजे की जंग छिड़ गई है. चाचा पशुपति पारस ने भतीचे चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटाया तो भतीजे ने चाचा समेत सभी पांच बागी सांसदों को पार्टी से बाहर कर दिया. पार्टी पर कब्जे की जंग के तहत पारस गुट ने सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर नए अध्यक्ष का चुनाव करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है.


एलजेपी के नए अध्यक्ष के लिए नामांकन के वक़्त  चिराग समर्थकों का हंगामा होना तय है जैसा कि कल भी पटना में देखा गया है. एलजेपी में छिड़ी इसी लड़ाई पर पहली बार पशुपति कुमार पारस ने मीडिया से बात की. उन्होंने चिराग पर कई सवाल उठाए. वहीं चिराग भी अपने चाचा पशुपति पारस पर हमलावर हैं.


  • पशुपति पारस का घर चिराग समर्थकों ने घेरा, स्पीकर को भी लिखी चिट्ठी.



  • लोजपा में टूट के बाद चिराग को साथ लाने में जुटी RJD, पूर्व विधायक बोले- लालच में चाचा ने पार्टी तोड़ दी।

Comments

Popular posts from this blog

हिंदुओं का गुरु-मुसलमानों का पीर...Guru of Hindus, Pir of Muslims

हनुमानजी की जाति ?

Mediapersons oppose Modi Govt’s. labour law