Farmers Movement ends, will return home on 11th December with Victory March
- किसान आंदोलन खत्म, 11 दिसंबर को विजय यात्रा के साथ लौटेंगे अपने घर
केंद्र सरकार के नए प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा ने ने फैसला लेते हुए आंदोलन को स्थगित कर दिया है।आंदोलन स्थगित करने का फैसला लिए जाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने शहीद किसानों को याद किया। साथ ही उन्होंने सीडीएस बिपिन रावत और उनके साथ मृतक जवानों को भी याद किया।
- 13 दिसंबर को जाएंगे स्वर्ण मंदिर
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसान आंदोलन को स्थगित किया जा रहा है। 11 दिसंबर से किसानों की घर वापसी होगी। 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर जाएंगे। किसान नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा बरकरार रहेगा। हर महीने 15 तारीख को बैठक होगी। किसानों के मुद्दे पर आंदोलन जारी रहेगा।
मीडिया के चुनाव में उतरने के सवाल पर स्पष्ट रूप से कहा गया कि मोर्चा चुनाव नहीं लड़ेगा. साथ ही मीडिया और सोशल मीडिया के साथियों को भी किसान नेताओं ने धन्यवाद दिया.
- धरना स्थल को खाली करने के लिए पैकिंग शुरू कर दी गई : टिकैत
किसानों का एक वर्ष से चल रहा आंदोलन स्थगित करने के फैसले के बाद भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मोर्चा था है और हमेशा रहेगा. उन्होंने कहा, "संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है. 11 दिसंबर से बॉर्डर खाली होना शुरू हो जाएगा. आज से धरना स्थल को खाली करने के लिए पैकिंग शुरू कर दी है." उन्होंने कहा जो हमारे किसान और जवान शहीद हुए हैं हम उनके साथ हैं और 11 तारीख को हम इस विजय के साथ अपने गांवों को लौटेंगे. भारतीय किसान यूनियन के नेता ने पर लिखा, ''लड़ेंगे जीतेंगे.'
- यदि सरकार वादे पूरे नहीं करेगी, तो शुरू कर सकते हैं आंदोलन : चढूनी
दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा, "हमने अपना आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है. हम 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे. अगर सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है, तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं."
- आजादी के बाद सबसे बड़ा शांतिपूर्वक आंदोलन रहा : हन्नान मोल्ला
किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा, "प्रदर्शनकारी किसान धरना स्थल को 11 दिसंबर को खाली करेंगे." वहीं, किसान नेता हन्नान मोल्ला ने कहा, "ये आजादी के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन है और सबसे शांतिपूर्वक आंदोलन रहा है." कोई भी साजिश आंदोलन का रूप बदलने में सफल नहीं हुई। यह किसानों का संयम रहा कि करीब 700 किसान आंदोलनकारी किसानों के शहीद होने पर भी किसानों ने आंदोलन को अपने हकों की लड़ाई के लिए शांतिपूर्ण ढंग से जारी रखा।
आंदोलन का प्रभाव इसी बात से साफ दिखता है कि जो तानाशाही और घमंड से चूर शासक वर्ग संसद में आंदोलन और आंदोलनकारियों की मजाक उड़ा रहे थे उन्हें घुटने टेक कर किसानों की मांगों को मानना पड़ा।
- कृषि कानून से देशभर के किसान एकजुट हुए- कक्का
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, "किसानों की ऐतिहासिक जीत है. हम उन लोगों से माफी मांगते हैं, जिन्हें प्रदर्शन के चलते परेशानी का सामना करना पड़ा." साथ ही उन्होंने सभी लोगों का धन्यवाद किया और कहा कि मोदी जी का विशेष तौर पर धन्यवाद, जिन्होंने तीन कृषि कानून लाकर देशभर के किसानों को एकजुट किया."
- अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे : बलबीर सिंह राजेवाल
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, "आंदोलन खत्म नहीं हुआ स्थगित हुआ है. अहंकारी सरकार को झुकाकर के जा रहे हैं. किसान 11 दिसंबर को अपने घर वापसी के लिए विजय मार्च निकालेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक 15 जनवरी को होगी."
- किसान आंदोलन वापसी के लिए मोदी सरकार ने मानी मांगें
पंजाब और हरियाणा से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन दिल्ली बार्डर पर अटक कर मोदी सरकार के गले की फांस बन गया। सरकार ने अपनी पूरी ताकत और बल का इस्तेमाल किया, लेकिन सरकार आंदोलन को खत्म नहीं करा पाई।
किसानों का यह आंदोलन भले ही तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध से शुरू हुआ था, लेकिन इन क़ानूनों के वापस लिए जाने पर ही यह ख़त्म नहीं हुआ। किसान इन क़ानूनों के अलावा छह अन्य मांगों को लेकर भी प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पहले सरकार इस पर राजी नहीं हो रही थी। लंबे चले संघर्ष के बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों में चुनाव से ऐन पहले सरकार ने किसानों की क़रीब-क़रीब सभी मांगें मान ली हैं। इसने किसान नेताओं से बातचीत की मांगें माने जाने का प्रस्ताव पेश किया। इस पर किसान नेता पिछले दो दिन से गहन मंथन कर रहे थे और आज सरकार के प्रस्ताव को किसानों ने स्वीकार कर लिया। तो सवाल है कि आख़िर किसानों की मांग क्या-क्या थी और और सरकार ने किन-किन मांगों को किस रूप में माना।
- सरकार ने ये मांगें मानीं
- केंद्र एमएसपी पर एक समिति बनाने को सहमत है। इसमें अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि होंगे।
- केंद्र किसानों के ख़िलाफ़ सभी पुलिस मामले वापस लेने को सहमत है। इसमें सुरक्षा बलों से झड़पों को लेकर हरियाणा, यूपी में दर्ज केस भी शामिल हैं।
- किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर किए गए मामले भी हटाए जाएंगे।दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर यह मुद्दा बनता रहा है।
- केंद्र ने कहा हरियाणा, यूपी ने जान गँवाने वाले किसानों के मुआवजे के लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी है, पंजाब ने पहले ही घोषणा कर दी है।
- किसानों को प्रभावित करने वाले वर्गों के संबंध में एसकेएम सहित सभी हितधारकों से परामर्श के बाद ही बिजली बिल पेश होगा।
- किसानों की ये छह मांगें थीं
- एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाना.
- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेना.
- बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना.
- केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करना.
- आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवज़ा देना.
- पराली जलाने पर किसानों पर मुक़दमे का प्रावधान हटाना
इन मांगों पर यह साफ़ है कि क़रीब-क़रीब पाँच मांगें मान ली गई हैं। एमएसपी की गारंटी तो नहीं दी गई है, लेकिन सरकार ने इसके लिए कमेटी बना दी है। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
- दिल्ली से संपादक राजेश्वरी की रिपोर्ट.
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