On the Birth anniversary of Dr. Rajendra Prasad, what was simplycity and who is hypocrite

 राजेन बाबू की जयंती पर विशेष

 


  • सादगी क्या ? ढोंगी कौन ?

 

  • के. विक्रम राव                 


        ''राजेन बाबू'', इसी नाम से पुकारे जाते थे वे। तब राजेन्द्र प्रसाद अपना गमछा  तक नहीं धोते थे। सफर पर नौकर लेकर चलते थे। चम्पारण सत्याग्रह पर बापू का संग मिला तो दोनों लतें बदल गयी। धोती खुद धोने लगे (राष्ट्रपति भवन में भी)। घुटने तक पहनी धोती उनका प्रतीक बन गयी। जब सम्राट जॉर्ज पंचम से बकिंघम महल में 1931 में गांधीजी से भेंट करने गये थे तब वे सूती वस्त्र ही पहने थे। लन्दन का तापमान जीरो डिग्री था। रिपोर्टरों ने पूछा :''ठण्ड नहीं लगी?''  बापू का जवाब था ''सम्राट इतना लबादा ओढे थे जो हम सब के लिये पर्याप्त लगा।''


        आजकल तो रिटायर राष्ट्रपति को आलीशान विशाल बंगला मिलता है। राजेन बाबू सीलन में सदाकत आश्रम (कांग्रेस आफिस, पटना) में रहे। दमे की बीमारी थी। मृत्यु भी श्वास के रोग से हुयी। जब उनका निधन हुआ (28 फरवरी 1963) तो उनके अंतिम संस्कार में जवाहरलाल नहीं गये। बल्कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन से आग्रह किया था कि वे भी न जायें।  डा. राधाकृष्णन ने जवाब में लिखा (पत्र उपलब्ध है) कि : ''मैं तो जा ही रहा हूं। तुम्हें भी शामिल होना चाहिये।'' नेहरु नहीं गये। बल्कि अल्प सूचना पर जयपुर का दौरा लगवा लिया। वहां सम्पूर्णानन्द (यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री) राज्यपाल थे। राजेन बाबू के साथी और सहधर्मी रहे। नहीं जा पाये। उन्होंने प्रधानमंत्री से दौरा टालने की प्रार्थना की थी। पर नेहरु जयपुर गये। राज्यपाल को एयरपोर्ट पर अगवानी की ड्यूटी बजानी पड़ी। खुद जीते जी अपने को भारत रत्न प्रधानमंत्री नेहरु ने दे डाला। प्रथम राष्ट्रपति को पद से हटने के बाद दिया। मौलाना आजाद ने भारत रत्न लेने से इन्कार कर दिया था, क्योंकि वे (शिक्षा मंत्री) उसे परामर्श समिति के स्वयं सदस्य थे। ऐसी हिचक प्रधानमंत्री को कभी नहीं हुयी।


        एक बार प्रधानमंत्री कार्यालय से राजेन बाबू को नोटिस मिली कि अपना आयकर का भुगतान सुनिश्चित करें। राजेन बाबू ने याद दिलाया कि वे केवल आधा वेतन लेते हैं। यूं भी राष्ट्रपति आयकर से मुक्त रहते हैं। 


       सबसे दुखद घटना राजेन बाबू के साथ हुयी जब उनका एक महत्वपूर्ण भाषण होना था। विधि संस्थान में ''राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री'' की शक्तियों वाला विषय था। संपादक दुर्गादास की आत्मकथा के अनुसार नेहरु खुद सभा स्थल पहुंच गये तथा राष्ट्रपति के भाषण की सारी प्रतियां जला दीं। राष्ट्रपति के निजी सचिव बाल्मीकि बाबू बमुश्किल केवल एक प्रति ही बचा पाये। 


       अमेरिकी राष्ट्रपति जनरल आइजनहोवर ने राजेन बाबू को ''ईश्वर का नेक आदमी'' बताया था। अमेरिका आमंत्रित भी किया था। विदेश मंत्रालय ने आमंत्रण को निरस्त करवाया। विदेश मंत्री ने कारण बताया कि अवसर उपयुक्त नहीं है। (दुर्गादास : ''इंडिया फ्रॉम कर्जन टू नेहरू एण्ड आफ्टर'' : पृष्ठ—331.339, अनुच्छेद 13, शीर्षक राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री)।


       सर्वाधिक रुचिकर प्रश्न है कि यह अदना बिहारी ग्रामीण गणतंत्र का प्रथम नागरिक कैसे निर्वाचित हुआ? ब्रिटिश गवर्नर जनरल माउन्टबेटन के बाद प्रथम भारतीय राष्ट्राध्यक्ष बने थे सी. राजगोपालाचारी। उन्हें नेहरु पहला राष्ट्रपति बनाना चाहते थे। सरदार वल्लभभाई पटेल का मत भिन्न था। उन्हें याद रहा कि राजगोपालाचारी ने 1942  के ''भारत छोड़ो'' आन्दोलन का विरोध किया था। बल्कि जिन्ना की पाकिस्तान वाली मांग का पूरा समर्थन कर विभाजन के पक्ष में अभियान भी चलाया था। औपचारिकता वश बस प्रधानमंत्री द्वारा राजेन बाबू को सूचित किया गया था कि राजगोपालाचारी गवर्नर जनरल से राष्ट्रपति पद संभालेंगे। चकित होकर राजेन बाबू बोले कि वे सरदार पटेल के आग्रह पर नामांकन दायर कर चुके है। अपने हठ में नेहरु ने राजेन बाबू से राजगोपालाचारी के पक्ष से प्रस्ताव वापस लेने का आग्रह किया। राजेन बाबू का बस एक ही वाक्य था : ''क्या मैं राष्ट्रपति पद के लायक नहीं हूं?''


       जब सरदार पटेल ने पुनर्निर्मित सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह पर राष्ट्रपति को आमंत्रित किया तो नेहरु ने कहा कि ''सेक्युलर राष्ट्र के प्रथम नागरिक के नाते आपको धर्म से दूर रहना चाहिये।'' पर राजेन बाबू गुजरात गये। सरदार पटेल ने बताया राजेन बाबू को कि जब—जब भारत मुक्त हुआ है, तब—तब सोमनाथ मंदिर का दोबारा निर्माण हुआ है। यह राष्ट्र के गौरव और विजय का प्रतीक है।


        उस दौर में बहस चली थी कि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री, कौन संविधान के तहत अधिक ताकतवर है? लखनऊ के काफी हाउस में डा. राममनोहर लोहिया से एक ने पूछा तो जवाब मिला : ''निर्भर करता है कि नेहरु किस पद पर आसीन हैं।'' संविधान को बस खिलौना बना डाला गया। तो यह गाथा है राजेन बाबू की।

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